Difference between revisions of "मेंहदी"

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'''मेंहदी''' का इस्तेमाल गर्मी में ठंडक देने के लिए किया जाता है। कुछ लोग विशेषकर बूढे़ अपने सफेद रंग सफेद बालों में मेंहदी लगाकर बालों को सुनहरे बनाने की कोशिश करते हैं, '''इससे दिमाग में ठंडक''' मिलती है। मेंहदी मानव स्वास्थ्य को बनाये रखती है। यदि आप सिर दर्द से परेशान हैं तो मेंहदी की पत्तियों को पीसकर उनका सिर पर लेप करने से जल्दी आराम मिलता है। मेंहदी के पेड़ सदाबहार झाड़ियों के रूप में पाये जाते हैं। महिलाएं इसका प्रयोग [[श्रृंगार]] शोभा को बढ़ाने के लिए करती हैं। यही कारण है कि यह बहुत विश्वसनीय है। मेंहदी की पत्तियों को सुखाकर बनाया पाउडर बाज़ार में कम कीमत पर आसानी से आकर्षक पैक में मिलती है।
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'''मेंहदी''' का इस्तेमाल गर्मी में ठंडक देने के लिए किया जाता है। कुछ लोग विशेषकर बूढे़ अपने सफ़ेद बालों में मेंहदी लगाकर बालों को सुनहरे बनाने की कोशिश करते हैं। इससे दिमाग में ठंडक मिलती है। मेंहदी के पेड़ सदाबहार झाड़ियों के रूप में पाये जाते हैं। महिलाएँ इसका प्रयोग [[श्रृंगार]] शोभा को बढ़ाने के लिए करती हैं। यही कारण है कि यह बहुत विश्वसनीय है। मेंहदी की पत्तियों को सुखाकर बनाया पाउडर बाज़ार में कम कीमत पर आसानी से आकर्षक पैक में मिलता है।
 
==रंग==
 
==रंग==
मेंहदी के पेड़ की पत्तियां [[हरा रंग|हरे रंग]] की होती हैं, इसे पीसकर त्वचा पर लगाने से लाल रंग का निखार कई दिनों तक रहता है।
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मेंहदी के पेड़ की पत्तियाँ [[हरा रंग|हरे रंग]] की होती हैं, इसे पीसकर लगाने से लाल रंग का निखार कई दिनों तक रहता है। मेंहदी का स्वाद कसैला होता है।
मेंहदी का स्वाद कसैला होता है।
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==मेंहदी का स्वरूप==
 
 
==मेंहदी का स्वरूप:==
 
 
मेंहदी के पेड़ की पत्तियों की लम्बाई लगभग 1 इंच से डेढ़ इंच के लगभग होती है। मेंहदी के पत्ते [[अण्डा|अंडे]] के जैसे होते हैं। इसके [[फूल]] अत्यन्त सुंगन्धित होते हैं तथा [[भारत के फल|फल]] मटर के समान, गोलाकार होते हैं जिनके भीतर छोटे-छोटे त्रिभुज की आकृति के चिकने अनेक [[बीज]] होते हैं। इसमें [[अक्टूबर]]-[[नवम्बर]] में फूल और उसके बाद फल लगते हैं। मेंहदी की पत्तियों में '''टैनिन तथा वासोन''' नामक मुख्य रजक द्रव्य तरल पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त मैलिक एसिड, ग्लूकोज मैनिटोल, वसराल और म्यूसिलेज आदि तत्च मेंहदी में पाये जाते हैं। इससे एक गाढ़े भूरे रंग का सुगन्धित [[तेल]] भी प्राप्त किया जाता है।
 
मेंहदी के पेड़ की पत्तियों की लम्बाई लगभग 1 इंच से डेढ़ इंच के लगभग होती है। मेंहदी के पत्ते [[अण्डा|अंडे]] के जैसे होते हैं। इसके [[फूल]] अत्यन्त सुंगन्धित होते हैं तथा [[भारत के फल|फल]] मटर के समान, गोलाकार होते हैं जिनके भीतर छोटे-छोटे त्रिभुज की आकृति के चिकने अनेक [[बीज]] होते हैं। इसमें [[अक्टूबर]]-[[नवम्बर]] में फूल और उसके बाद फल लगते हैं। मेंहदी की पत्तियों में '''टैनिन तथा वासोन''' नामक मुख्य रजक द्रव्य तरल पाये जाते हैं। इसके अतिरिक्त मैलिक एसिड, ग्लूकोज मैनिटोल, वसराल और म्यूसिलेज आदि तत्च मेंहदी में पाये जाते हैं। इससे एक गाढ़े भूरे रंग का सुगन्धित [[तेल]] भी प्राप्त किया जाता है।
 
==मेंहदी के गुण==
 
==मेंहदी के गुण==
मेंहदी की '''तासीर''' ठंड़ी होती हैं। यह बालों में चमक के साथ-साथ दिमाग को शांत रखती है।
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*मेंहदी की '''तासीर''' ठंड़ी होती हैं। यह बालों में चमक के साथ-साथ दिमाग को शांत रखती है।
मेंहदी का प्रयोग केवल बालों को सुदंर बनाने के लिए ही नहीं किया जाता है, बल्कि इसका प्रयोग विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता है। खून के विकार, उल्टी, कब्ज, कफ-पित्त, कुष्ठ (कोढ़), बुखार, जलन, रक्तपित्त, पेशाब करने में कठिनाई होना (मूत्रकृच्छ) तथा खुजली आदि रोगों में मेंहदी काफी लाभकारी है। उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति के पैरों के तलुवों और हथेलियों पर मेंहदी का लेप समय-समय पर करने से आराम मिलता है। मेंहदी लगाने से शरीर की बढ़ी हुई गर्मी बाहर निकल जाती है। रात के समय मेंहदी को साफ पानी में भिगो दें और सवेरे के समय छानकर पीयें। इसके पीने से खून की सफाई होने के साथ-साथ शरीर के अन्दर की गर्मी भी शांत हो जाती है।
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*मेंहदी का प्रयोग केवल बालों को सुदंर बनाने के लिए ही नहीं किया जाता है, बल्कि इसका प्रयोग विभिन्न रोगों के इलाज में किया जाता है।  
 
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*खून के विकार, उल्टी, कब्ज, कफ-पित्त, कुष्ठ (कोढ़), बुखार, जलन, रक्तपित्त, पेशाब करने में कठिनाई होना (मूत्रकृच्छ) तथा खुजली आदि रोगों में मेंहदी काफ़ी लाभकारी है।  
मेंहदी लगाना :मेंहदी सोलह श्रृंगारों में से एक है। यह ना केवल सौंन्दर्य बढ़ाती है बल्कि इसके लगाने के पीछे तथ्य यह है कि मेंहदी की तासीर ठण्डी होती है और हाथों में मेंहदी लगाए जाने का उद्देश्य अपने धैर्य और शांति को बनाए रखने का प्रतीक माना जा सकता है। आज मेंहदी का प्रयोग ना केवल हाथों में होता है बल्कि पैरों में भी शौक के रूप में इसे लगाया जाता है जो एक अच्छा संकेत है।
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*उच्च रक्तचाप से पीड़ित व्यक्ति के पैरों के तलवों और हथेलियों पर मेंहदी का लेप समय-समय पर करने से आराम मिलता है।  
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*मेंहदी लगाने से शरीर की बढ़ी हुई गर्मी बाहर निकल जाती है।  
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*रात के समय मेंहदी को साफ पानी में भिगो दें और सवेरे के समय छानकर पीयें। इसके पीने से खून की सफाई होने के साथ-साथ शरीर के अन्दर की गर्मी भी शांत हो जाती है।
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==श्रृंगार==
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मेंहदी सोलह श्रृंगारों में से एक है। यह ना केवल सौंन्दर्य बढ़ाती है बल्कि इसके लगाने के पीछे तथ्य यह है कि मेंहदी की तासीर ठण्डी होती है और हाथों में मेंहदी लगाए जाने का उद्देश्य अपने धैर्य और शांति को बनाए रखने का प्रतीक माना जा सकता है। आज मेंहदी का प्रयोग ना केवल हाथों में होता है बल्कि पैरों में भी शौक के रूप में इसे लगाया जाता है जो एक अच्छा संकेत है।
  
  

Revision as of 11:16, 29 January 2011

[[chitr:Indian-Mehndi.jpg|thumb|250px|meanhadi
Mehndi]]

meanhadi ka istemal garmi mean thandak dene ke lie kiya jata hai. kuchh log visheshakar boodhe़ apane safed baloan mean meanhadi lagakar baloan ko sunahare banane ki koshish karate haian. isase dimag mean thandak milati hai. meanhadi ke pe d sadabahar jha diyoan ke roop mean paye jate haian. mahilaean isaka prayog shrriangar shobha ko badhane ke lie karati haian. yahi karan hai ki yah bahut vishvasaniy hai. meanhadi ki pattiyoan ko sukhakar banaya paudar bazar mean kam kimat par asani se akarshak paik mean milata hai.

rang

meanhadi ke pe d ki pattiyaan hare rang ki hoti haian, ise pisakar lagane se lal rang ka nikhar kee dinoan tak rahata hai. meanhadi ka svad kasaila hota hai.

meanhadi ka svaroop

meanhadi ke pe d ki pattiyoan ki lambaee lagabhag 1 ianch se dedh ianch ke lagabhag hoti hai. meanhadi ke patte aande ke jaise hote haian. isake phool atyant suangandhit hote haian tatha phal matar ke saman, golakar hote haian jinake bhitar chhote-chhote tribhuj ki akriti ke chikane anek bij hote haian. isamean aktoobar-navambar mean phool aur usake bad phal lagate haian. meanhadi ki pattiyoan mean tainin tatha vason namak mukhy rajak dravy taral paye jate haian. isake atirikt mailik esid, glookoj mainitol, vasaral aur myoosilej adi tatch meanhadi mean paye jate haian. isase ek gadhe bhoore rang ka sugandhit tel bhi prapt kiya jata hai.

meanhadi ke gun

  • meanhadi ki tasir than di hoti haian. yah baloan mean chamak ke sath-sath dimag ko shaant rakhati hai.
  • meanhadi ka prayog keval baloan ko sudanr banane ke lie hi nahian kiya jata hai, balki isaka prayog vibhinn rogoan ke ilaj mean kiya jata hai.
  • khoon ke vikar, ulti, kabj, kaph-pitt, kushth (kodh), bukhar, jalan, raktapitt, peshab karane mean kathinaee hona (mootrakrichchh) tatha khujali adi rogoan mean meanhadi kafi labhakari hai.
  • uchch raktachap se pi dit vyakti ke pairoan ke talavoan aur hatheliyoan par meanhadi ka lep samay-samay par karane se aram milata hai.
  • meanhadi lagane se sharir ki badhi huee garmi bahar nikal jati hai.
  • rat ke samay meanhadi ko saph pani mean bhigo dean aur savere ke samay chhanakar piyean. isake pine se khoon ki saphaee hone ke sath-sath sharir ke andar ki garmi bhi shaant ho jati hai.

shrriangar

meanhadi solah shrriangaroan mean se ek hai. yah na keval sauanndary badhati hai balki isake lagane ke pichhe tathy yah hai ki meanhadi ki tasir thandi hoti hai aur hathoan mean meanhadi lagae jane ka uddeshy apane dhairy aur shaanti ko banae rakhane ka pratik mana ja sakata hai. aj meanhadi ka prayog na keval hathoan mean hota hai balki pairoan mean bhi shauk ke roop mean ise lagaya jata hai jo ek achchha sanket hai.




panne ki pragati avastha
adhar
prarambhik
madhyamik
poornata
shodh

tika tippani aur sandarbh