अपचार:
अपचारः (पुल्लिंग) [अप +चर्+घञ्]
- 1. प्रस्थान, मृत्यु-पु-सिंहघोषश्च कांतकापचारं निर्भिद्य-दश. 72
- 2. कमी, अभाव
- 3. दोष, अपराध, दुष्कर्म, दुराचरण, जुर्म-राजन्प्रजासु ते कश्चिदपचारः प्रवर्तते रघु. 15/47
- 4. हानिकर या कष्टप्रद आचरण, क्षति
- 5. दोष या कमी-नापचारमगमन् क्वचित्क्रियाः- शि. 14/32
- 6. अस्वास्थ्यकर या अपथ्य-कृतापचारोऽपि परैरनाविष्कृतविक्रियः, असाध्यः कुरुते कोपं प्राप्ते काले गदो यथा। शि. 2/84, (यहाँ अ° भी आघात या क्षति का अर्थ रखता है)।[1]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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