अलंकारसर्वस्व
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- अलंकारसर्वस्व 12वीं- 13 वीं शती विक्रमी के काव्यशास्त्री 'राजानक रुय्यक' की संस्कृत-कृति है जिसमें अलंकारों का विस्तृत विवेचन है।
- आचार्य रुय्यक के अलंकारसर्वस्व ग्रंथ पर मंखक ने वृत्ति लिखी थी।
- अलंकारसर्वस्व को अलंकारसूत्र भी कहा जाता है।
- समुद्रबंध आदि दक्षिण के विद्वान् टीकाकारों ने मंखक को ही 'अलंकारसर्वस्व' का भी कर्ता माना है। किंतु मंखक के ही भतीजे, बड़े भाई श्रृंगार के पुत्र जयरथ ने, जो 'अलंकारसर्वस्व' के यशस्वी टीकाकार हैं, उसे आचार्य रुय्यक की कृति कहा है।