असकृत
असकृत् (अव्य.) [नञ् तत्पुरुष समास]
- एक बार नहीं, बार-बार, बहुधा-असकृदेकरथेन तरस्विना[1]
समस्त पद-समाधिः-बार-बार चिंतन, मनन,-गर्भवासः (पुल्लिंग) बारंबार जन्म[2]
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
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