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| <poem>आज जाने की ज़िद न करो
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| यूँही पहलू में बैठे रहो
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| हाय, मर जायेंगे
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| हम तो लुट जायेंगे
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| ऐसी बातें किया न करो
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| तुम ही सोचो ज़रा, क्यूँ न रोकें तुम्हें?
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| जान जाती है जब उठ के जाते हो तुम
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| तुमको अपनी क़सम जान-ए-जाँ
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| बात इतनी मेरी मान लो
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| आज जाने की...
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| वक़्त की क़ैद में ज़िंदगी है मगर
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| चंद घड़ियाँ यही हैं जो आज़ाद हैं
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| इनको खोकर मेरी, जान-ए-जाँ
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| उम्र भर न तरसते रहो
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| आज जाने की...
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| कितना मासूम रंगीन है ये समा
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| हुस्न और इश्क़ की आज मेराज<ref>यहाँ पर अर्थ है 'मिलन'। ([[इस्लाम]] की मान्यता के अनुसार मुहम्मद साहब का आसमान पर जाकर ईश्वर-साक्षात्कार करने को 'मेराज' (मिअराज) कहा गया)। अरबी में इसका अर्थ है 'सीढ़ी'</ref> है
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| कल की किसको ख़बर जान-ए-जाँ
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| रोक लो आज की रात को
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| आज जाने की...
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| </poem>
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| ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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| <references/>
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| ==बाहरी कड़ियाँ==
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| *[http://www.youtube.com/watch?v=XUVS91UGNO8 आज जाने की ज़िद ना करो (यू ट्यूब विडियो)]
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| *[http://www.musicindiaonline.com/#/album/51-Urdu_Ghazals/10841-Ghazalpaikar/ आज जाने की ज़िद ना करो (म्यूज़िक इन्डिया ऑनलाइन)]
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