Difference between revisions of "चित्ररथ"

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#[[चित्ररथ गंधर्व]]- महाभारत में एक चरित्र।
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#[[चित्ररथ (शशबिन्दु के पिता)]]- महाभारत में वर्णित चित्ररथ, शशबिन्दु का पिता था।
  
{{महाभारत2}}
 
==चित्ररथ / Chitrarath==
 
====1. चित्ररथ गंधर्व====
 
[[पांडव|पांडवों]] के साथ [[कुंती]] ने [[पांचाल]] देश की ओर प्रस्थान किया। मार्ग में [[गंगा]] के किनारे सोमाश्रयायण नामक तीर्थ पड़ता था। रात्रि की बेला में वे वहां जा निकले। उस समय गंगा में गंधर्वराज अंगारपर्ण चित्ररथ अपनी पत्नी के साथ जलक्रीड़ा कर रहा थां उस एकांत में पांडवों की पदचाप सुनकर वह क्रुद्ध हो उठा। पांडवों में सबसे आगे हाथ में मशाल लिये अर्जुन थे। चित्ररथ ने कहा कि रात्रि का समय गंधर्व, [[यक्ष]] तथा [[राक्षसों]] के विचरण के लिए निश्चित है अत: उनका आगमन अनुचित था। उसने [[अर्जुन]] पर प्रहार किया। अर्जुन ने उसपर [[अस्त्र शस्त्र|आग्नेयास्त्र]] छोड़ दिया, जिससे वह मूर्च्छित हो गया। उसकी पत्नी कुंभीनसी ने [[युधिष्ठिर]] की शरण ग्रहण की। पांडवों ने चित्ररथ को छोड़ दिया। चित्ररथ ने कृतज्ञता प्रदर्शन करते हुए उन्हें चाक्षुषी विद्या सिखायी। इस विद्या के प्रभाव से, जिसे जिस रूप में देखने की इच्छा हो, देखा जा सकता है। चित्ररथ ने प्रत्येक पांडव को गंधर्वलोक के सौ-सौ घोड़े प्रदान किये जो स्वेच्छा से आकार-प्रकार तथा रंग बदलने में समर्थ थे। वे घोड़े कभी भी स्मरण करने पर उपस्थित हो सकते थे। अर्जुन ने चित्ररथ को [[अस्त्र शस्त्र|दिव्यास्त्र]] (आग्नेयास्त्र) की विद्या प्रदान की। चित्ररथ का रथ उस युद्ध में खंडित हो गया था अत: उसने अपना नाम चित्ररथ के स्थान पर दग्धरथ रख लिया। <ref>[[महाभारत]], आदिपर्व, अध्याय 169</ref>
 
====2. चित्ररथ शशिबिंदु का पिता====
 
[[महाभारत]] में वर्णित चित्ररथ, [[शशिबिंदु]] का पिता यादव राजा था। [[भागवत पुराण|भागवत]] तथा कुछ अन्य [[पुराण|पुराणों]] में शशिबिंदु की स्त्रियों की संख्या दस हज़ार बताई गई है। इनमें से प्रत्येक स्त्री से दस-दस हजार पुत्र उत्पन्न हुए थे। यह यम की सभा में रहकर उसकी उपासना करता था। इसकी पुत्री [[अयोध्या]]पति [[मान्धाता]] को ब्याही थी।
 
[[Category:पौराणिक कोश]]
 
[[Category:महाभारत]]
 
==टीका-टिप्पणी==
 
<references/>
 
{{महाभारत}}
 
__NOTOC__
 
 
__INDEX__
 
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Latest revision as of 06:10, 10 September 2011

Disamb.svg "yah ek bahuvikalpi shabd ka prishth hai. arthat saman shirshak vale lekhoan ki soochi. agar ap yahaan kisi bharatakosh ki k di ke dvara bheje ge hai, to kripaya use sudhar kar sidhe hi sanbandhit lekh se jo dean, taki pathak agali bar sahi panne par ja sakean."


shreni:bahuvikalpi shabd

  1. chitrarath gandharv- mahabharat mean ek charitr.
  2. chitrarath (shashabindu ke pita)- mahabharat mean varnit chitrarath, shashabindu ka pita tha.