समुद्री डाकू: Difference between revisions

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समुद्री डाकू, जो पानी से यात्रा करता है और अधिकांशत जहाजों, तटीय शहरों पर हमला करता है। समुद्री डाकू इतिहास के दौरान, समुद्री पानी पर माल परिवहन को लूटने के लिए होते थे। लगभग 1650-1720 से समुद्री डाकुओं के हजारों समूह सक्रिय थे। इन वर्षों में कभी कभी चोरी को  'द गोल्डन एज​​' के रूप में जाना जाता है। इस अवधि से प्रसिद्ध समुद्री डाकू ब्लैकबीयर्ड (एडवर्ड सिखाओ), हेनरी मॉर्गन, विलियम 'कप्तान' किड, 'केलिको' जैक रेकखम और बार्थोलोम्यू रॉबर्ट्स शामिल हैं।
'''समुद्री डाकू अथवा जल दस्यु''' समुद्री जहाज़ों को और कभी-कभी समुद्र तटीय स्थानों को लूटा करते थे। इनके पास अपने जहाज़ होते थे जिन पर ये समुद्री यात्रा करते थे। 17-18 [[सदी]] में अधिक सक्रिय रहे और आज भी कम संख्या में ही सही लेकिन सक्रिय तो हैं ही। लगभग 1650-1720 से समुद्री डाकुओं के हजारों समूह सक्रिय थे। इन वर्षों को कभी-कभी दस्युओं की 'द गोल्डन एज​​' के रूप में जाना जाता है। समुद्री डाकू समुद्री यात्राओं के प्राचीन काल से ही अस्तित्व में है। वे प्राचीन [[यूनान]] के व्यापार मार्गों की और रोमन जहाजों से अनाज और ज़ैतून का तेल से लदे मालवाहकों को ज़ब्त करते रहते थे और फिरौती वसूल करके छोड़ भी देते थे।
 
==पहचान चिह्न==
==पहला समुद्री डाकू==
जल दस्युओं से जुड़ी अनेक लोक कथाएँ हैं इस विषय पर अनेक फ़िल्में बन चुकी हैं। इनके कुछ विशेष पहचान चिह्न भी होते थे। जिनमें मनुष्य खोपड़ी  के निशान का झंडा और एक आँख को ढँक लेने वाला काले रंग का गोल-तिकोना जैसा एक टुकड़ा होता था। जो चमड़े या कपड़े का होता है और कभी-कभी धातु का भी। इसे पाइराइट पॅच (Pirate patch) या आई पॅच (Eye patch) कहा जाता है
समुद्री डाकू प्राचीन काल से ही अस्तित्व में है। वे प्राचीन [[यूनान]] के व्यापार मार्गों की और रोमन जहाजों से अनाज और जैतून का तेल के कार्गो को जब्त करते रहते थे। मध्य युग [[यूरोप]] में सबसे प्रसिद्ध और दूरगामी समुद्री डाकुओं में वाइकिंग्स मुख्य था।  
पाइराइट पॅच पहनने के कई कारण थे जैसे:
 
#एक आँख का ख़राब होना और उसे ढँकने के लिए।
 
#सिर्फ़ शौक़िया भी जिससे थोड़े डरावने रूप से प्रभावशाली लगें।
#एक व्यावहारिक कारण यह भी हो सकता है कि दूरबीन (टेलीस्कोप) से देखने के लिए एक आँख बंद करने में सुविधा हो।
#जो सबसे मुख्य और व्यावहारिक कारण था वह था; '''अचानक से रौशनी से अंधेरे में जाना या अंधेरे से रौशनी में जाना।''' जहाज़ों के निचले हिस्से अक्सर कम रौशनी वाले होते थे जबकि ऊपरी हिस्सा खुला और तेज़ धूप वाला होता था। रौशनी के कारण आँखें चुंधियाई रहती थी और अचानक निचले हिस्से में जाने पर काफ़ी देर तक कुछ दिखता नहीं था। इस समस्या का एक ही इलाज था कि एक आँख को बंद रखा जाय और कम रौशनी वाले हिस्से में उसे खोला जाय जिससे साफ़ दिखाई दे सके।
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चित्र:Pirate-patch.jpg
चित्र:Pirate-patch.jpg|चमड़े का पाइराइट पॅच
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चित्र:Sanjay-Dutt.jpg|अभिनेता संजय दत्त पाइराइट पॅच पहने हुए, फ़िल्म खलनायक
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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*[http://www.nmm.ac.uk/explore/sea-and-ships/facts/ships-and-seafarers/pirates Pirates]
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Latest revision as of 13:51, 22 October 2011

thumb|समुद्री डाकू|250px समुद्री डाकू अथवा जल दस्यु समुद्री जहाज़ों को और कभी-कभी समुद्र तटीय स्थानों को लूटा करते थे। इनके पास अपने जहाज़ होते थे जिन पर ये समुद्री यात्रा करते थे। 17-18 सदी में अधिक सक्रिय रहे और आज भी कम संख्या में ही सही लेकिन सक्रिय तो हैं ही। लगभग 1650-1720 से समुद्री डाकुओं के हजारों समूह सक्रिय थे। इन वर्षों को कभी-कभी दस्युओं की 'द गोल्डन एज​​' के रूप में जाना जाता है। समुद्री डाकू समुद्री यात्राओं के प्राचीन काल से ही अस्तित्व में है। वे प्राचीन यूनान के व्यापार मार्गों की और रोमन जहाजों से अनाज और ज़ैतून का तेल से लदे मालवाहकों को ज़ब्त करते रहते थे और फिरौती वसूल करके छोड़ भी देते थे।

पहचान चिह्न

जल दस्युओं से जुड़ी अनेक लोक कथाएँ हैं इस विषय पर अनेक फ़िल्में बन चुकी हैं। इनके कुछ विशेष पहचान चिह्न भी होते थे। जिनमें मनुष्य खोपड़ी के निशान का झंडा और एक आँख को ढँक लेने वाला काले रंग का गोल-तिकोना जैसा एक टुकड़ा होता था। जो चमड़े या कपड़े का होता है और कभी-कभी धातु का भी। इसे पाइराइट पॅच (Pirate patch) या आई पॅच (Eye patch) कहा जाता है पाइराइट पॅच पहनने के कई कारण थे जैसे:

  1. एक आँख का ख़राब होना और उसे ढँकने के लिए।
  2. सिर्फ़ शौक़िया भी जिससे थोड़े डरावने रूप से प्रभावशाली लगें।
  3. एक व्यावहारिक कारण यह भी हो सकता है कि दूरबीन (टेलीस्कोप) से देखने के लिए एक आँख बंद करने में सुविधा हो।
  4. जो सबसे मुख्य और व्यावहारिक कारण था वह था; अचानक से रौशनी से अंधेरे में जाना या अंधेरे से रौशनी में जाना। जहाज़ों के निचले हिस्से अक्सर कम रौशनी वाले होते थे जबकि ऊपरी हिस्सा खुला और तेज़ धूप वाला होता था। रौशनी के कारण आँखें चुंधियाई रहती थी और अचानक निचले हिस्से में जाने पर काफ़ी देर तक कुछ दिखता नहीं था। इस समस्या का एक ही इलाज था कि एक आँख को बंद रखा जाय और कम रौशनी वाले हिस्से में उसे खोला जाय जिससे साफ़ दिखाई दे सके।


टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ