User:प्रीति चौधरी/अभ्यास पन्ना2: Difference between revisions

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==हिन्दी==
{| class="bharattable-green" width="100%"
|-
| valign="top"|
{| width="100%"
|
<quiz display=simple>
{'[[बीसलदेव रासो]]' के रचनाकार का नाम क्या हैं?
|type="()"}
-जगनिक
+नरपति नाल्ह
-[[चन्दबरदाई]]
-[[प्रेमचन्द]]


{[[भूषण]] किस [[रस]] के [[कवि]] थे?
|type="()"}
-[[रौद्र रस]]
-[[करुण रस]]
+[[वीर रस]]
-श्रृंगार रस
||[[भक्तिकाल]] एवं रीतिकाल में परिस्थितियों के परिवर्तन के कारण [[वीर रस]] की धारा सूखती-सी प्रतीत होती है। तथापि, [[केशवदास]] का ‘[[वीरसिंहदेव चरित]]’, मान का ‘राजविलास’, [[भूषण]] का ‘शिवराजभूषण’, [[लाल कवि|लाल]] का ‘[[छत्रप्रकाश -लाल कवि|छत्रप्रकाश]]’ इत्यादि [[ग्रन्थ|ग्रन्थों]] में वीर रस का प्रवाह प्रवहमान है। ‘[[रामचरितमानस]]’ यों तो [[शान्त रस]] प्रधान रचना है, तो भी [[राम]]-[[रावण]] युद्ध के प्रसंग में प्रचुर वीर रस की निष्पत्ति हुई है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[वीर रस]]
{'[[निराला सूर्यकान्त त्रिपाठी|निराला]]' को कैसा [[कवि]] माना जाता है?
|type="()"}
-अवसरवादी
+क्रान्तिकारी
-पलायनवादी
-भाग्यवादी
{[[ज्ञानपीठ पुरस्कार]] किस क्षेत्र में श्रेष्ठ कार्य के लिए दिया जाता है?
|type="()"}
-सिनेमा
-[[विज्ञान]]
-समाज सेवा
+[[साहित्य]]
{'कठिन काव्य का प्रेत' किस [[कवि]] को कहा जाता हैं?
|type="()"}
-[[सेनापति]] को
-[[चिंतामणि त्रिपाठी|चिंतामणि]] को
-[[मतिराम]] को
+[[केशवदास]] को
||[[चित्र:Keshavdas.jpg|right|100px|right]][[हिन्दी]] में सर्वप्रथम केशवदास जी ने ही काव्य के विभिन्न अंगों का शास्त्रीय पद्धति से विवेचन किया। यह ठीक है कि उनके काव्य में भाव पक्ष की अपेक्षा कला पक्ष की प्रधानता है और पांडित्य प्रदर्शन के कारण उन्हें 'कठिन काव्य का प्रेत' कहकर पुकारा जाता है, किंतु उनका महत्त्व बिल्कुल समाप्त नहीं हो जाता। भाव और [[रस]] कवित्व की [[आत्मा]] है। केशव अपने रचना-चमत्कार द्वारा श्रोता और पाठकों को चमत्कृत करने के प्रयास में रहे हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[केशवदास]]
{[[हिन्दी]] में स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले [[अक्षर]] क्या कहलाते हैं?
|type="()"}
+[[स्वर (व्याकरण)|स्वर]]
-संयुक्त अक्षर
-[[व्यंजन (व्याकरण)|व्यंजन]]
-स्वतंत्र ध्वनि
{[[हिन्दी भाषा]] में वे ध्वनियाँ कौन सी हैं, जो दूसरी ध्वनियों की सहायता से बोली या लिखी जाती हैं?
|type="()"}
-[[स्वर (व्याकरण)|स्वर]]
+[[व्यंजन (व्याकरण)|व्यंजन]]
-[[वर्णमाला (व्याकरण)|वर्ण]]
-[[अक्षर]]
{निम्नलिखित में से कौन-सी पुस्तक '[[रामचन्द्र शुक्ल]]' द्वारा लिखी गई है?
|type="()"}
-यमगाथा
-निबन्ध संग्रह
+हिन्दी साहित्य का इतिहास
-कविता के प्रतिमान
{[[वीर रस]] का स्थायी भाव क्या होता है?
|type="()"}
-रति
+उत्साह
-हास्य
-परिहास
{[[अवधी भाषा]] के सर्वाधिक लोकप्रिय [[महाकाव्य]] का नाम क्या है?
|type="()"}
-[[पद्मावत]]
-[[मधुमालती]]
-[[मृगावती]]
+[[रामचरित मानस]]
||[[चित्र:Tulsidas-Ramacharitamanasa.jpg|right|80px|रामचरित मानस]]'रामचरितमानस' [[तुलसीदास]] की सबसे प्रमुख कृति है। इसकी रचना [[संवत]] 1631 ई. की [[रामनवमी]] को [[अयोध्या]] में प्रारम्भ हुई थी, किन्तु इसका कुछ अंश [[काशी]] ([[वाराणसी]]) में भी निर्मित हुआ था। यह रचना [[अवधी]] में लिखी गयी है। इसके मुख्य [[छन्द]] [[चौपाई]] और [[दोहा]] हैं, बीच-बीच में कुछ अन्य प्रकार के भी छन्दों का प्रयोग हुआ है। प्राय: 8 या अधिक अर्द्धलियों के बाद दोहा होता है और इन दोहों के साथ कड़वक संख्या दी गयी है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचरित मानस]]
{निम्नलिखित में से कौन-सा पश्च स्वर है?
|type="()"}
+आ
-इ
-ई
-अ
{'रसोईघर' में कौन-सा समास है?
|type="()"}
+तत्पुरुष
-बहुव्रीहि
-द्वन्द्व
-अव्ययीभाव
{[[हिन्दी साहित्य]] के किस भाव को व्यभिचारी भाव कहा जाता है?
|type="()"}
-विभाव
-अनुभाव
-स्थायी भाव
+संचारी भाव
{जहाँ एक ही [[शब्द (व्याकरण)|शब्द]] के अनेक अर्थ व्यक्त किये गए हों, तो वहाँ कौन-सा [[अलंकार]] होता है?
|type="()"}
-[[रूपक अलंकार|रूपक]]
-[[यमक अलंकार|यमक]]
+[[श्लेष अलंकार|श्लेष]]
-[[उत्प्रेक्षा अलंकार|उत्प्रेक्षा]]
{आदिकाल में किस [[कवि]] ने 'अवहट्ट भाषा' में रचना की?
|type="()"}
-[[अमीर खुसरो]]
+अब्दुल रहमान
-[[कुतुबन]]
-[[मंझन]]
</quiz>
|}
|}
__NOTOC__

Latest revision as of 08:38, 28 April 2012