बुद्ध और बच्चे -महात्मा बुद्ध: Difference between revisions

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गौतम बुद्ध किसी उपवन में विश्राम कर रहे थे| तभी बच्चों का एक झुंड आया और पेड़ पर पत्थर मारकर आम गिराने लगा| एक पत्थर बुद्ध के सर पर लगा और उस से खून बहने लगा| बुद्ध की आँखों में आंसू आ गये| बच्चों ने देखा तो भयभीत हो गये| उन्हें लगा कि अब बुद्ध उन्हें भला बुरा कहेंगे| बच्चों ने उनके चरण पकड़ लिए और उनसे क्षमा याचना करने लगे| उनमे से एक बच्चे ने कहा,
[[बुद्ध|गौतम बुद्ध]] किसी उपवन में विश्राम कर रहे थे। तभी बच्चों का एक झुंड आया और पेड़ पर पत्थर मारकर आम गिराने लगा। एक पत्थर बुद्ध के सर पर लगा और उस से खून बहने लगा। बुद्ध की आँखों में आंसू आ गये। बच्चों ने देखा तो भयभीत हो गये। उन्हें लगा कि अब बुद्ध उन्हें भला बुरा कहेंगे। बच्चों ने उनके चरण पकड़ लिए और उनसे क्षमा याचना करने लगे। उनमे से एक बच्चे ने कहा,


‘हमसे भरी भूल हो गई है| मेरी वजह से आपको पत्थर लगा और आपके आंसू आ गये|
‘हमसे भारी भूल हो गई है। मेरी वजह से आपको पत्थर लगा और आपके आंसू आ गये।


इस पर बुद्ध ने कहा, ‘ बच्चों, मैं इसलिए दुखी हूँ की तुमने आम के पेड़ पर पत्थर मारा तो पेड़ ने बदले में तुम्हे मीठे फल दिए, लेकिन मुझे मारने पर मै तुम्हे सिर्फ भय दे सका|
इस पर बुद्ध ने कहा, ‘बच्चों, मैं इसलिए दुखी हूँ कि तुमने आम के पेड़ पर पत्थर मारा तो पेड़ ने बदले में तुम्हें मीठे फल दिए, लेकिन मुझे मारने पर मैं तुम्हें सिर्फ भय दे सका।
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बुद्ध और बच्चे -महात्मा बुद्ध
विवरण इस लेख में महात्मा बुद्ध से संबंधित प्रेरक प्रसंगों के लिंक दिये गये हैं।
भाषा हिंदी
देश भारत
मूल शीर्षक प्रेरक प्रसंग
उप शीर्षक महात्मा बुद्ध के प्रेरक प्रसंग
संकलनकर्ता अशोक कुमार शुक्ला

गौतम बुद्ध किसी उपवन में विश्राम कर रहे थे। तभी बच्चों का एक झुंड आया और पेड़ पर पत्थर मारकर आम गिराने लगा। एक पत्थर बुद्ध के सर पर लगा और उस से खून बहने लगा। बुद्ध की आँखों में आंसू आ गये। बच्चों ने देखा तो भयभीत हो गये। उन्हें लगा कि अब बुद्ध उन्हें भला बुरा कहेंगे। बच्चों ने उनके चरण पकड़ लिए और उनसे क्षमा याचना करने लगे। उनमे से एक बच्चे ने कहा,

‘हमसे भारी भूल हो गई है। मेरी वजह से आपको पत्थर लगा और आपके आंसू आ गये।

इस पर बुद्ध ने कहा, ‘बच्चों, मैं इसलिए दुखी हूँ कि तुमने आम के पेड़ पर पत्थर मारा तो पेड़ ने बदले में तुम्हें मीठे फल दिए, लेकिन मुझे मारने पर मैं तुम्हें सिर्फ भय दे सका।

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टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख