जावेद अहमद: Difference between revisions

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जावेद अहमद ने अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए सिर्फ़ 12 साल की उम्र में लेखन शुरू किया। और 16 वर्ष की आयु में साप्ताहिक [[समाचार पत्र]] "सारांश समय" के तीन संस्करण (गोरखपुर, महाराजगंज और सिद्धार्थ नगर ) के संपादक रहे। फिर स्वतन्त्र रूप [[भारत]] की पत्र-पत्रिकाओं मे लिखते रहे।
जावेद अहमद ने अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए सिर्फ़ 12 साल की उम्र में लेखन शुरू किया। और 16 वर्ष की आयु में साप्ताहिक [[समाचार पत्र]] "सारांश समय" के तीन संस्करण (गोरखपुर, महाराजगंज और सिद्धार्थ नगर ) के संपादक रहे। फिर स्वतन्त्र रूप [[भारत]] की पत्र-पत्रिकाओं मे लिखते रहे।
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[[1998]] में [[मुंबई]] जा कर फ़िल्म उद्योग से जुड़ गये। हिंदी फिल्म "वैसा भी होता है" की पटकथा लिखी। इस फिल्म का गीत "अल्लाह के बन्दे हँस दे" बेहद लोकप्रिय हुआ। लगभग 200 विज्ञापन फ़िल्में कीं और विभिन्न टीवी चैनलों से जुड़े रहे।
[[1998]] में [[मुंबई]] जा कर फ़िल्म उद्योग से जुड़ गये। हिंदी फिल्म "वैसा भी होता है" की पटकथा लिखी। इस फिल्म का गीत "अल्लाह के बन्दे हँस दे" बेहद लोकप्रिय हुआ। लगभग 200 विज्ञापन फ़िल्में कीं और विभिन्न टीवी चैनलों से जुड़े रहे।


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==बाहरी कड़ियाँ==
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*[http://www.imdb.com/name/nm4413656/ Javed Ahmed (आईएमडीबी पर)
*[http://www.imdb.com/name/nm4413656/ Javed Ahmed (आईएमडीबी पर)]
==संबंधित लेख==
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जावेद अहमद (अंग्रेज़ी: Javed Ahmad, जन्म: 4 नवम्बर 1974 को उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद में वरिष्ठ पत्रकार एवम् राष्ट्रा भाषा रत्न से सम्मानित 'कमर अहमद आज़ाद' के यहां जन्मे।

कार्यक्षेत्र

जावेद अहमद ने अपने पिता के पदचिन्हों पर चलते हुए सिर्फ़ 12 साल की उम्र में लेखन शुरू किया। और 16 वर्ष की आयु में साप्ताहिक समाचार पत्र "सारांश समय" के तीन संस्करण (गोरखपुर, महाराजगंज और सिद्धार्थ नगर ) के संपादक रहे। फिर स्वतन्त्र रूप भारत की पत्र-पत्रिकाओं मे लिखते रहे।

फ़िल्म जगत् में

1998 में मुंबई जा कर फ़िल्म उद्योग से जुड़ गये। हिंदी फिल्म "वैसा भी होता है" की पटकथा लिखी। इस फिल्म का गीत "अल्लाह के बन्दे हँस दे" बेहद लोकप्रिय हुआ। लगभग 200 विज्ञापन फ़िल्में कीं और विभिन्न टीवी चैनलों से जुड़े रहे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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