अलंकारसर्वस्व: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
('{{पुनरीक्षण}} *अलंकारसर्वस्व 12वीं- 13 वीं शती विक्रमी के...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
m (Text replacement - " शृंगार " to " श्रृंगार ")
 
(5 intermediate revisions by 3 users not shown)
Line 1: Line 1:
{{पुनरीक्षण}}
*अलंकारसर्वस्व 12वीं- 13 वीं शती विक्रमी के काव्यशास्त्री 'राजानक रुय्यक' की [[संस्कृत]]-कृति है जिसमें [[अलंकार|अलंकारों]] का विस्तृत विवेचन है।  
*अलंकारसर्वस्व 12वीं- 13 वीं शती विक्रमी के काव्यशास्त्री 'राजानक रुय्यक' की [[संस्कृत]]-कृति है जिसमें [[अलंकार|अलंकारों]] का विस्तृत विवेचन है।  
*आचार्य रुय्यक के अलंकारसर्वस्व ग्रंथ पर मंखक ने वृत्ति लिखी थी।
*आचार्य रुय्यक के अलंकारसर्वस्व ग्रंथ पर मंखक ने वृत्ति लिखी थी।
*समुद्रबंध आदि दक्षिण के विद्वान टीकाकारों ने [[मंखक]] को ही '[[अलंकारसर्वस्व]]' का भी कर्ता माना है। किंतु मंखक के ही भतीजे, बड़े भाई श्रृंगार के पुत्र जयरथ ने, जो 'अलंकारसर्वस्व' के यशस्वी टीकाकार हैं, उसे आचार्य रुय्यक की कृति कहा है।
*अलंकारसर्वस्व को [[अलंकारसूत्र]] भी कहा जाता है।
{{लेख प्रगति|आधार=आधार1|प्रारम्भिक= |माध्यमिक= |पूर्णता= |शोध= }}
*समुद्रबंध आदि दक्षिण के विद्वान् टीकाकारों ने [[मंखक]] को ही 'अलंकारसर्वस्व' का भी कर्ता माना है। किंतु मंखक के ही भतीजे, बड़े भाई श्रृंगार के पुत्र जयरथ ने, जो 'अलंकारसर्वस्व' के यशस्वी टीकाकार हैं, उसे आचार्य रुय्यक की कृति कहा है।
{{संदर्भ ग्रंथ}}
{{संदर्भ ग्रंथ}}
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
Line 10: Line 9:


==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
 
[[Category:संस्कृत साहित्य]]
[[Category:नया पन्ना]]
[[Category:पद्य साहित्य]]
[[Category:अलंकार]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 08:53, 17 July 2017

  • अलंकारसर्वस्व 12वीं- 13 वीं शती विक्रमी के काव्यशास्त्री 'राजानक रुय्यक' की संस्कृत-कृति है जिसमें अलंकारों का विस्तृत विवेचन है।
  • आचार्य रुय्यक के अलंकारसर्वस्व ग्रंथ पर मंखक ने वृत्ति लिखी थी।
  • अलंकारसर्वस्व को अलंकारसूत्र भी कहा जाता है।
  • समुद्रबंध आदि दक्षिण के विद्वान् टीकाकारों ने मंखक को ही 'अलंकारसर्वस्व' का भी कर्ता माना है। किंतु मंखक के ही भतीजे, बड़े भाई श्रृंगार के पुत्र जयरथ ने, जो 'अलंकारसर्वस्व' के यशस्वी टीकाकार हैं, उसे आचार्य रुय्यक की कृति कहा है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख