|
|
(27 intermediate revisions by 2 users not shown) |
Line 1: |
Line 1: |
| '''असद भोपाली''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Asad Bhopali'', जन्म: [[10 जुलाई]], [[1921]], [[भोपाल]]; मृत्यु: [[9 जून]], [[1990]]), बॉलीवुड के एक गीतकार थे। उन्हें ऐसे गीतकार में शुमार किया जाता है, जिन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री में 40 साल तक का लंबा संघर्ष किया।
| |
| ==परिचय==
| |
| असद भोपाली का जन्म 10 जुलाई, 1921 को भोपाल के इतवारा इलाके में पैदा हुए थे। उनका वास्तविक नाम असदुल्लाह खान था। उनके पिता मुंशी अहमद खाँ भोपाल के आदरणीय व्यक्तियों में शुमार था। वे एक शिक्षक थे और बच्चों को अरबी-फारसी पढ़ाया करते थे। पूर्व राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा भी उनके शिष्यों में से एक थे। वो घर में ही बच्चों को पढ़ाया करते थे, इसीलिए मेरे पिताजी भी अरबी-फारसी के साथ साथ उर्दू में भी वो महारत हासिल कर पाए जो उनकी शायरी और गीतों में हमेशा झलकती रही। उनके पास शब्दों का खज़ाना था। एक ही अर्थ के बेहिसाब शब्द हुआ करते थे उनके पास। इसलिए उनके जाननेवाले संगीतकार उन्हें गीत लिखने की मशीन कहा करते थे।
| |
| ;जेल यात्रा
| |
| असद भोपाली को शायरी का शौक़ किशोरावस्था से ही था। उस दौर में जब कवियों और शायरों ने आज़ादी की लड़ाई में अपनी कलम से योगदान किया था, उस दौर में उन्हें भी अपनी क्रान्तिकारी लेखनी के कारण जेल की हवा खानी पड़ी थी। आज़ादी की लड़ाई में हर वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया था। इनमें साहित्यकारों की भी भूमिका रही है। असद भोपाली ने एक बुद्धिजीवी के रूप में इस लड़ाई में अपना योगदान किया था। क्रान्तिकारी लेखनी के कारण अँग्रेजी सरकार ने उन्हें जेल में बन्द कर दिया था। ये और बात है कि अँग्रेज़ जेलर भी उनकी 'गालिबी' का प्रशंसक हो गये थे। जेल से छूटने के बाद असद मुशायरों में हिस्सा लेते रहे।
| |
| ==निधन==
| |
| [[1990]] में असद को उनके द्वारा फ़िल्म मैंने प्यार किया के लिए लिखे गीत कबूतर जा जा जा के लिए प्रतिष्ठित फ़िल्मफेयर पुरस्कार दिया गया, हालांकि, तब तक वह पक्षाघात होने से अपाहिज हो गये थे। 9 जून 1990 को उनका निधन हो गया।
| |
| लोकप्रिय गीत
| |
|
| |
|
| ==असद भोपाली द्वारा लिखे कुछ लोकप्रिय गीत==
| |
| *दिल दीवाना बिन सजना के माने ना - मैंने प्यार किया
| |
| *कबूतर जा जा जा - मैने प्यार किया
| |
| * हम तुम से जुदा होक - एक सपेरा एक लुटेरा
| |
| * दिल का सूना साज़ - एक नारी दो रूप
| |
| * ऐ मेरे दिल-ए-नादां तू ग़म से न घबराना - टॉवर हाउस
| |
| *दिल की बातें दिल ही जाने - रूप तेरा मस्ताना
| |
| * हसीन दिलरुबा करीब आ ज़रा - रूप तेरा मस्ताना
| |
| * अजनबी तुम जाने पहचाने से लगते हो - हम सब उस्ताद हैं
| |
| * इना मीना डीका दाई डम नीका - आशा
| |
| *वो जब याद आये बहुत याद आये - पारसमणि
| |
| *हम कश्म-ए कशे गम से गुज़र क्यों नही जाते – फ्री लव
| |
| *प्यार बांटते चलो - हम सब उस्ताद हैं
| |
| * सुनो जाना सुनो जाना - हम सब उस्ताद हैं
| |
| * हंसता हुआ नूरानी चेहरा- पारसमणि
| |
| *मैने कह था आना संडे को – उस्तादों के उस्ताद
| |
| * पजामा तंग है कुर्ता ढीला - शिमला रोड
| |
| *आप की इनायतें आप के करम - वंदना
| |