प्रयोग:कविता बघेल 7: Difference between revisions

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'''असद भोपाली''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Asad Bhopali'', जन्म: [[10 जुलाई]], [[1921]], [[भोपाल]]; मृत्यु: [[9 जून]], [[1990]]), बॉलीवुड के एक गीतकार और शायर  थे। उन्हें ऐसे गीतकार में शुमार किया जाता है, जिन्होंने फ़िल्म इंडस्ट्री में 40 साल तक का लंबा संघर्ष किया। उन्हें फ़िल्म 'मैंने प्यार किया' के लिए लिखे गीत 'कबूतर जा जा जा' के लिए प्रतिष्ठित फ़िल्मफेयर पुरस्कार मिला।
==परिचय==
{{मुख्य|असद भोपाली का जीवन परिचय}}
असद भोपाली का जन्म 10 जुलाई, 1921 को भोपाल के इतवारा इलाके में पैदा हुए थे। उनका वास्तविक नाम असदुल्लाह खान था। उनके पिता मुंशी अहमद खाँ  भोपाल के आदरणीय व्यक्तियों में शुमार थे। वे एक शिक्षक थे और बच्चों को [[अरबी भाषा|अरबी]]-[[फ़ारसी भाषा|फारसी]] पढ़ाया करते थे। पूर्व राष्ट्रपति [[शंकरदयाल शर्मा]] भी उनके शिष्यों में से एक थे। वो घर में ही बच्चों को पढ़ाया करते थे, इसीलिए असद भी अरबी-फारसी के साथ-साथ [[उर्दू]] में भी महारत हासिल कर पाए, जो उनकी शायरी और गीतों में हमेशा झलकती रही। उनके पास शब्दों का खज़ाना था। एक ही अर्थ के बेहिसाब शब्द हुआ करते थे उनके पास। इसलिए उनके जानने वाले संगीतकार उन्हें गीत लिखने की मशीन कहा करते थे।<ref>{{cite web |url=http://radioplaybackindia.blogspot.in/2015/11/14.html |title=असद भोपाली |accessmonthday=13 जुलाई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=radioplaybackindia.blogspot.in |language=हिंदी }}</ref>
;जेल यात्रा
असद भोपाली को शायरी का शौक़ किशोरावस्था से ही था। उस दौर में जब कवियों और शायरों ने आज़ादी की लड़ाई में अपनी कलम से योगदान किया था, उस दौर में उन्हें भी अपनी क्रान्तिकारी लेखनी के कारण जेल की हवा खानी पड़ी थी। आज़ादी की लड़ाई में हर वर्ग के लोगों ने हिस्सा लिया था। इनमें साहित्यकारों की भी भूमिका रही है। असद भोपाली ने एक बुद्धिजीवी के रूप में इस लड़ाई में अपना योगदान किया था। क्रान्तिकारी लेखनी के कारण अँग्रेजी सरकार ने उन्हें जेल में बन्द कर दिया था। ये और बात है कि अँग्रेज़ जेलर भी उनकी 'गालिबी' के प्रशंसक हो गये थे। जेल से छूटने के बाद असद मुशायरों में हिस्सा लेते रहे। 
==कॅरियर==
{{मुख्य|असद भोपाली का फ़िल्मी कॅरियर}}
[[1940]] के अंतिम दौर में मशहूर फ़िल्म निर्माता फजली ब्रादर्स 'दुनिया' नामक फ़िल्म बना रहे थे। फ़िल्म के गीत मशहूर शायर आरजू लखनवी लिख रहे थे, लेकिन दो गीत लिखने के बाद वे पाकिस्तान चले गए। बाद में [[एस. एच. बिहारी]], सरस्वती कुमार दीपक और तालिब इलाहाबादी ने भी उसके गीत लिखे। मगर, फजली बंधु और निदेशक एस. एफ. हसनैन लगातार नए गीतकार की तलाश कर रहे थे। इसी मकसद से उन्होंने [[5 मई]], [[1949]] को भोपाल टॉकिज में मुशायरे का आयोजन किया। असद भोपाली ने भी उसमें भाग लिया और अपने कलाम से महफिल लूट ली साथ ही फजली बंधुओं का दिल भी। फिर क्या था, अगले दिन भोपाल-भारत टॉकिज के मैनेजर सैयद मिस्बाउद्दीन साहब के जरिए असद को पांच सौ रुपए का एडवांस देकर फ़िल्म 'दुनिया' के लिए बतौर गीतकार साइन कर लिया गया। कुछ दिन बाद असद बंबई रवाना हो गए। 'दुनिया' उनकी पहली फ़िल्म थी। संगीतकार थे सी. रामचन्द्र और मुख्य भूमिकाओं में करण दीवान, [[सुरैया]], और याकूब जैसे महान कलाकार थे। इस फ़िल्म का गीत “अरमान लुटे दिल टूट गया...” लोकप्रिय भी हुआ था।<ref>{{cite web |url=http://vinitutpal.blogspot.in/2010/09/blog-post_27.html |title=असद भोपाली |accessmonthday=13 जुलाई |accessyear=2017 |last= |first= |authorlink= |format= |publisher=vinitutpal.blogspot.in |language=हिंदी }}</ref>
असद भोपाली की पहली फ़िल्म बहुत बड़े बजट की 'अफसाना' थी, जिसमें [[अशोक कुमार]], [[प्राण]] आदि थे। सालों साल तक वह एन.के. दत्ता, हंसराज बहल, रवि, सोनिक ओमी, ऊषा खन्ना, [[लक्ष्मीकांत प्यारेलाल]] आदि संगीतकारों के साथ करते रहे। इस तरह असद भोपाली के फ़िल्मी सफर की शुरुआत हुई। 'दुनिया' के दो गीत 'अरमान लुटे, दिल टूट गया..' और 'रोना है तो चुपके-चुपके रो..' उन्होंने ही लिखे, लेकिन उन्हें ख्याति न दिला पाये। हालांकि काम मिलता गया लेकिन पहचान न मिली। उन्होंने हुस्नलाल-भगतराम के साथ फ़िल्म 'आधी रात' में दो ही गीत लिखे और दोनों को आवाज [[लता मंगेशकर]] ने दी। वो गीत थे- 'दिल ही तो है तड़प गया..' और 'इधर तो आओ मेरी सरकार..'।


[[बी. आर. चोपड़ा]] की फ़िल्म 'अफसाना' में 'वो आए बहारें लाए, बजी शहनाई..', 'कहां है तू मेरे सपनों के राजा', 'वो पास भी रहकर पास नहीं' आदि लिखा। असद भोपाली उस वक्त बंबई पहुंचे जब फ़िल्म संगीत में नया मोड़ आ रहा था। [[शंकर-जयकिशन]] की पहली फ़िल्म 'बरसात' भी इसी साल रिलीज हुई। [[1963]] में लक्ष्मीकांत- प्यारेलाल की पहली रिलीज फ़िल्म 'पारसमणि' का सबसे हिट गीत 'हंसता हुआ नूरानी चेहरा..' भी असद भोपाली का ही लिखा हुआ था। इसी फ़िल्म के गीत 'मेरे दिल में हल्की सी जो खलिश है.' और 'वो जब याद आए..' भी इन्होंने ही लिखे थे। [[1964]] की फ़िल्म 'आया तूफान' के सारे गीत हिट रहे, जो असद भोपाली ने लिखे थे। [[1965]] की फ़िल्म 'हम सब उस्ताद है', में सफलता की वही कहानी दोहराई गई। संगीतकार रवि के साथ काम करने के दौरान असद भोपाली ने सदाबहार गीत 'ऐ मेरे दिले नादां.', 'मै खुशनसीब हूं..' लिखा। [[29 दिसम्बर]], [[1989]] को जब 'मैने प्यार किया' बंबई में रिलीज हुई, तो फ़िल्म के सभी गीतों ने देशभर में धूम मचा दी। उन्हें साल के बेहतरीन गीतकार का फ़िल्मफेयर अवार्ड भी दिया गया, लेकिन उसे लेने वह नहीं जा सके। 40 साल के अरसे में करीब 100 फ़िल्मों के लिए असद साहब ने 400 गीत लिखे।
==निधन==
[[1990]] में असद को उनके द्वारा फ़िल्म 'मैंने प्यार किया' के लिए लिखे गीत 'कबूतर जा जा जा' के लिए प्रतिष्ठित फ़िल्मफेयर पुरस्कार दिया गया, हालांकि, तब तक वह पक्षाघात होने से अपाहिज हो गये थे और वह उसे लेने नहीं जा सके। [[9 जून]], [[1990]] को उनका निधन हो गया।
लोकप्रिय गीत
==असद भोपाली द्वारा लिखे कुछ लोकप्रिय गीत==
{{मुख्य|असद भोपाली के लोकप्रिय गीत}}
*दिल दीवाना बिन सजना के माने ना - मैंने प्यार किया
*कबूतर जा जा जा - मैने प्यार किया
*हम तुम से जुदा होक - एक सपेरा एक लुटेरा
*दिल का सूना साज़ - एक नारी दो रूप
*ऐ मेरे दिल-ए-नादां तू ग़म से न घबराना - टॉवर हाउस
*दिल की बातें दिल ही जाने - रूप तेरा मस्ताना
*हसीन दिलरुबा करीब आ ज़रा - रूप तेरा मस्ताना
*अजनबी तुम जाने पहचाने से लगते हो - हम सब उस्ताद हैं
*इना मीना डीका दाई डम नीका - आशा
*वो जब याद आये बहुत याद आये - पारसमणि
*हम कश्म-ए कशे गम से गुज़र क्यों नही जाते – फ्री लव
*प्यार बांटते चलो - हम सब उस्ताद हैं
* सुनो जाना सुनो जाना - हम सब उस्ताद हैं
* हंसता हुआ नूरानी चेहरा- पारसमणि
* मैने कह था आना संडे को – उस्तादों के उस्ताद
* पजामा तंग है कुर्ता ढीला - शिमला रोड
*आप की इनायतें आप के करम - वंदना

Latest revision as of 12:09, 29 September 2017