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किसी देश में शक्ति के संसाधनों का विकास वहाँ के औद्योगिक विकास की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखा जाता है। इसका कारण है कि शक्ति के संसाधनों का जितना अधिक उपयोग व्यापारिक स्तर पर किया जाता है, उत्पादनों की मात्रा एवं विविधता भी उतनी ही अधिक होती है। शक्ति संसाधन शान्ति एवं विकास के साथ ही अन्य विपरीत समयों मे भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके समुचित विकास द्वारा ही किसी देश को औद्योगिक आत्मनिर्भता प्राप्त हो सकती है। [[भारत]] में व्यापारिक स्तर पर प्रयोग किये जाने वाले तीन प्रमुख शक्ति के संसाधन हैं- [[कोयला]], [[खनिज तेल]] अथवा [[पेट्रोलियम]] एवं जल विद्युत। इसके अतिरिक्त [[प्राकृतिक गैस]], परमाणु ऊर्जा, पवन चक्की, ज्वारीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा, भूगर्भिक ऊर्जा आदि भी कुछ योगदान करते हैं। महत्त्वपूर्ण शक्ति संसाधनों का उत्पादन एवं वितरण प्रतिरूप निम्नवत हैं- | |||
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किसी देश में शक्ति के संसाधनों का विकास वहाँ के औद्योगिक विकास की एक महत्त्वपूर्ण कड़ी के रूप में देखा जाता है। इसका कारण है कि शक्ति के संसाधनों का जितना अधिक उपयोग व्यापारिक स्तर पर किया जाता है, उत्पादनों की मात्रा एवं विविधता भी उतनी ही अधिक होती है। शक्ति संसाधन शान्ति एवं विकास के साथ ही अन्य विपरीत समयों मे भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके समुचित विकास द्वारा ही किसी देश को औद्योगिक आत्मनिर्भता प्राप्त हो सकती है। भारत में व्यापारिक स्तर पर प्रयोग किये जाने वाले तीन प्रमुख शक्ति के संसाधन हैं- कोयला, खनिज तेल अथवा पेट्रोलियम एवं जल विद्युत। इसके अतिरिक्त प्राकृतिक गैस, परमाणु ऊर्जा, पवन चक्की, ज्वारीय ऊर्जा, सौर ऊर्जा, भूगर्भिक ऊर्जा आदि भी कुछ योगदान करते हैं। महत्त्वपूर्ण शक्ति संसाधनों का उत्पादन एवं वितरण प्रतिरूप निम्नवत हैं-
- कोयला
- खनिज तेल अथवा पेट्रोलियम
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