अंतर्दर्शन: Difference between revisions

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#किसी बाह्य वस्तु के निरीक्षण क्रम में अपनी ही मानसिक क्रिया पर विचार करना।
#किसी बाह्य वस्तु के निरीक्षण क्रम में अपनी ही मानसिक क्रिया पर विचार करना।
#अपनी ही मानसिक क्रियाओं के कारणों पर विचार करना।
#अपनी ही मानसिक क्रियाओं के कारणों पर विचार करना।
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*इस पद्धति के अनुसार एक ही मानसिक प्रक्रिया के बारे में लोग विभिन्न मत दे सकते हैं। अत: यह पद्धति अवैधानिक है।
*इस पद्धति के अनुसार एक ही मानसिक प्रक्रिया के बारे में लोग विभिन्न मत दे सकते हैं। अत: यह पद्धति अवैधानिक है।

Latest revision as of 12:26, 25 October 2017

अंतर्दर्शन का तात्पर्य अंदर देखने से है। इसे आत्म निरीक्षण या आत्म चेतना भी कहा जाता है। मनोविज्ञान की यह एक पद्धति है।

  • इसका उद्देश्य मानसिक प्रक्रियाओं का स्वयं अध्ययन कर उनकी व्याख्या करना है।
  • इस पद्धति के सहारे हम अपनी अनुभूतियों के रूप को समझना चाहते हैं। केवल आत्मविचार (सेल्फ-रिफ्लेक्शन) ही अंतर्दर्शन नहीं है।
  • अंतर्दर्शन के विकास में तीन सीढ़ियों का होना आवश्यक है-
  1. किसी बाह्य वस्तु के निरीक्षण क्रम में अपनी ही मानसिक क्रिया पर विचार करना।
  2. अपनी ही मानसिक क्रियाओं के कारणों पर विचार करना।
  3. अपनी मानसिक क्रियाओं के सुधार के बारे में सोचना।[1]
  • इस पद्धति के अनुसार एक ही मानसिक प्रक्रिया के बारे में लोग विभिन्न मत दे सकते हैं। अत: यह पद्धति अवैधानिक है।
  • वैयक्तिक होने के कारण इससे केवल एक ही व्यक्ति कीे मानसिक दशा का पता चल सकता है। इस पद्धति की सहायता के लिए बहिर्दर्शन पद्धति आवश्यक है।
  • अंतर्दर्शन पद्धति का सबसे बड़ा गुण यह है कि इसमें निरीक्षण की वस्तु सदा हमारे साथ रहती है और हम अपने सुविधानुसार चाहे जब अंतर्दर्शन कर सकते हैं।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अंतर्दर्शन (हिन्दी) भारतखोज। अभिगमन तिथि: 14 मार्च, 2015।

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