प्रयोग:कविता1: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
No edit summary
No edit summary
 
(16 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 1: Line 1:
अंबाला की लाला दुनीचंद का जन्म 1873 में पटियाला रियासत में एक गरीब परिवार में हुआ था। उनकी शिक्षा पटियाला और लाहौर में हुई और शिक्षा पूरी करके उन्होंने अंबाला में वकालत आरम्भ की। इसी बीच वे लाला लाजपत राय के संपर्क में आए और स्वामी दयानंद के विचारों से प्रभावित होकर आर्य समाजी बन गए। उन्होंने शिक्षा प्रसार के माध्यम से सार्वजनिक क्षेत्र में प्रवेश किया और अनेक प्रमुख शिक्षा संस्थाओं से जुड़े
मैडम क्यूरी ने अपने लगन धैर्य उत्साह एवं अथक प्रयास से शिवपुराण की लक्ष्मण रेखा को पार कर भारी विपरीत परिस्थितियों को शुद्ध कार्य करके रेडियो सक्रिय पदार्थों की खोज की
 
1920 में जब गाँधी जी ने असहयोग आंदोलन आरंभ किया तो लाला दुनीचंद ने अपनी चलती वकालत छोड़ दी और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में सम्मिलित हो गए। असहयोग आंदोलन में भाग लेने के कारण 1922 में उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। कुछ कांग्रेसजनों द्वारा स्वराज पार्टी का गठन करने पर वे उसमें सम्मिलित हो गए और उसके टिकिट पर केंद्रीय असेम्बली के सदस्य चुने गए। 1930 के सविनय अवज्ञा आदोंलन में फिर उन्हें गिरफ़्तार कर लिया गया। बाद में वे पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष निर्वाचित हुए और कांग्रेस कार्य समिति के सदस्य भी नामजद हुए। 1937 के निर्वाचन में वे पंजाब असेम्बली के सदस्य चुने गए। 1920 से 1947तक उनकी गणना पंजाब के प्रमुख कांग्रेसजनों में होती थी।
 
लाला दुनीचंद बड़े उदार विचारों के व्यक्ति थे। हरिजनोद्धार और स्त्री-शिक्षा के कामों में उनकी विशेष रुचि थी। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने सक्रिय भाग लिया था और जेल की सजा भोगी। स्वतंत्रता के बाद वे सक्रिय राजनीति से अलग हो गए थे। और 1965 में उनका देहांत हो गया।
मैडम क्यूरी का जन्म पोलैंड की राजधानी वारसा में 7 नवंबर 1867 में हुआ था उनकी बड़ी बहन का नाम ब्रॉनया था उनके पिता एक उच्च विद्यालय में गणित और भौतिक के शिक्षक थे उन्होंने पोलैंड के स्वतंत्रता संग्राम में पूर्ण रुप से भाग लिया इसलिए उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा विपत्ति अकेली नहीं आती अभी मानया 11 वर्ष की थी क्यों उनकी मां का देहांत हो गया पूरे परिवार पर दुख के बादल छा गए!
2.जीवन यापन के लिए नौकरी
                                    मां की मृत्यु के पश्चात हम दोनों बहनों ने हिम्मत नहीं आ रही है दोनों अपने अध्ययन में संलग्न रही 16 वर्ष की आयु में मैडम क्यूरी मैं सेकेंडरी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया इस सफलता के लिए उन्हें स्वर्ण पदक भी मिला!
बचपन से ही दोनों बहनें कुशाग्र बुद्धि की थी उन दिनों पोलैंड में लोग इंग्लैंड या फ्रांस जाकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई करते थे! दोनों बहने पेरिस जाकर चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन करना चाहती थी! परंतु घर की हालत देखकर उनके पिता अत्यंत ही चिंतित थे !
कहां गया है
जहां चाह होती है वही राह होती है, घर की स्थिति को देखते हुए मैडम क्यूरी ने काम करने का निर्णय लिया तथा उन्होंने अपना जीवन यापन प्रारंभिक किया तथा उन्होंने फ्रांस में अपनी बड़ी बहन शिक्षा का भार भी अपने ही ऊपर उठा लिया के बच्चों की देखभाल कर उन्होंने धनार्जन करना आरंभ किया इस धन का अधिकांश भाग पेरिस में चौहान की शिक्षा पर खर्च होता था पेरिस में मैडम क्यूरी की बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन कर रही थी नौकरी के दौरान मैडम क्यूरी को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिस घर में मैडम क्यूरी काम किया करती थी उसी धनी व्यक्ति का पुत्र मैडम क्यूरी की ओर आकर्षित हो गया वह उसके साथ वैवाहिक सूत्र में बधना चाहता था परंतु मैडम क्यूरी के मन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ललक थी इसलिए मैडम क्यूरी ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जिसकी वजह से उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा ! वह एक दूसरे घर में काम करने लगी!
क्यूरी के कई वर्षों की मेहनत के बाद बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र में अपना अध्ययन पूरा करके पेरिस में शादी भी कर ली और वही अपना एक फ्लैट भी ले लिया!
Uncategorized
मैडम क्यूरी-जीवन परिचय[Biography]
Raju1993 4 months ago No Comments
    Facebook
Next Article
मैडम क्यूरी जीवन परिचय
    प्रस्तावना
    जीवन यापन के लिए नौकरी
    फ्रांस में उच्च शिक्षा
    शोध कार्य में भागीदारी
    रेडियम का आविष्कार
    नोबेल पुरस्कार से सम्मानित
    मैडम क्यूरी की मृत्यु
Gyan Sager
1.प्रस्तावना
              मैडम क्यूरी ने अपने लगन धैर्य उत्साह एवं अथक प्रयास से शिवपुराण की लक्ष्मण रेखा को पार कर भारी विपरीत परिस्थितियों को शुद्ध कार्य करके रेडियो सक्रिय पदार्थों की खोज की
मैडम क्यूरी का जन्म पोलैंड की राजधानी वारसा में 7 नवंबर 1867 में हुआ था उनकी बड़ी बहन का नाम ब्रॉनया था उनके पिता एक उच्च विद्यालय में गणित और भौतिक के शिक्षक थे उन्होंने पोलैंड के स्वतंत्रता संग्राम में पूर्ण रुप से भाग लिया इसलिए उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा विपत्ति अकेली नहीं आती अभी मानया 11 वर्ष की थी क्यों उनकी मां का देहांत हो गया पूरे परिवार पर दुख के बादल छा गए!
2.जीवन यापन के लिए नौकरी
                                    मां की मृत्यु के पश्चात हम दोनों बहनों ने हिम्मत नहीं आ रही है दोनों अपने अध्ययन में संलग्न रही 16 वर्ष की आयु में मैडम क्यूरी मैं सेकेंडरी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया इस सफलता के लिए उन्हें स्वर्ण पदक भी मिला!
बचपन से ही दोनों बहनें कुशाग्र बुद्धि की थी उन दिनों पोलैंड में लोग इंग्लैंड या फ्रांस जाकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई करते थे! दोनों बहने पेरिस जाकर चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन करना चाहती थी! परंतु घर की हालत देखकर उनके पिता अत्यंत ही चिंतित थे !
कहां गया है
जहां चाह होती है वही राह होती है, घर की स्थिति को देखते हुए मैडम क्यूरी ने काम करने का निर्णय लिया तथा उन्होंने अपना जीवन यापन प्रारंभिक किया तथा उन्होंने फ्रांस में अपनी बड़ी बहन शिक्षा का भार भी अपने ही ऊपर उठा लिया के बच्चों की देखभाल कर उन्होंने धनार्जन करना आरंभ किया इस धन का अधिकांश भाग पेरिस में चौहान की शिक्षा पर खर्च होता था पेरिस में मैडम क्यूरी की बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन कर रही थी नौकरी के दौरान मैडम क्यूरी को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिस घर में मैडम क्यूरी काम किया करती थी उसी धनी व्यक्ति का पुत्र मैडम क्यूरी की ओर आकर्षित हो गया वह उसके साथ वैवाहिक सूत्र में बधना चाहता था परंतु मैडम क्यूरी के मन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ललक थी इसलिए मैडम क्यूरी ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जिसकी वजह से उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा ! वह एक दूसरे घर में काम करने लगी!
क्यूरी के कई वर्षों की मेहनत के बाद बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र में अपना अध्ययन पूरा करके पेरिस में शादी भी कर ली और वही अपना एक फ्लैट भी ले लिया!
Gyan Sager
3.फ्रांस में उच्च शिक्षा
                        24 साल की उम्र में सन सन सन 1891 में कथा वही एक विश्वविद्यालय में अपना प्रवेश ले लिया! मैडम क्यूरी को अपने साथ रखना चाहती थी परंतु चोरी उनके साथ ना रह कर स्वतंत्र जीवन व्यतीत करना चाहती थी उन्होंने किराए पर एक छोटी सी कोठी ले ली जिसमें हवा एवं धूप का उचित प्रबंध भी नहीं था जाड़े के दिनों में कभी-कभी पेरिस बर्फ से ढक जाता है उस समय कोयला जलाकर लोग अपने घरों को गर्म रखते थे गर्म जल की स्थान पर घरेलू कार्य में उसे ठंडा जल ही प्रयुक्त करना पड़ता था!
93 में उन्होंने भौतिकी की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में स्थान प्राप्त किया तथा सन 18 से 94 में गणित की परीक्षा में उन्होंने दूसरा स्थान प्राप्त किया!
उनकी सफलता एवं मेहनत से प्रसन्न होकर उस विश्वविद्यालय के भौतिकी के प्रोफेसर ने उन्हें अपने शोध कार्य में सहयोग देने के लिए नियुक्त कर दिया.
फ्रांस में उनके नाम के उच्चारण में कठिनाइयां होती थी उन्हें लोग मेरी कहकर पुकारते थे इस वजह से लोग फ्रांस में उन्हें मैरी के नाम से जानने लगे.
4.शोध कार्य में भागीदारी
                                पियरे को जीवनसाथी पाकर मैडम क्यूरी अत्यंत प्रसन्न रखे! पियरे एक अध्यापक थे परंतु उनका वेतन कम था जिसमें दोनों के जीवन का निर्वाह कठिनतापूर्वक होता था!
उन दोनों ने अपने आवास स्थान पर ही एक छोटी सी प्रयोगशाला स्थापित कर ली इसके व्यय का भार भी इसी कम वेतन में खर्च करना पड़ता था! उन्हीं दिनों सन 1896 में बेकुरल अपने शोध कार्य में रत थे
उनका मत था
यूरेनियम नामक एक भारी तत्व से कुछ किरणें निर्गत होती है मैडम क्यूरी ने पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने के लिए इसी शोध कार्य विषय का चयन किया वह अपने शोध में जुट गए! मेरी ने यह पता लगाया कि
यूरेनियम से कुछ किरणें निर्गत होती हैं
यूरेनियम के अतिरिक्त थोरियम मैं भी रेडियो सक्रियता का गुण है
.रेडियम का आविष्कार
                                  1897 में मैडम क्यूरी ने एक बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम आइरिन रखा! प्रयोगशाला में काम करने की अतिरिक्त भी मैडम क्यूरी को अपनी पुत्री की देखभाल भी करनी पड़ती थी! उन्हें कुछ धन राशि भी खर्च करनी पड़ती थी इससे उनका आर्थिक संकट गहराया, परंतु मैडम क्यूरी अपने साहस एवं उत्साह से कार्य में जुटे रहे!
यूरेनियम अत्यंत ही मूल्यवान होता है उन दिनों इसे खरीदने के लिए क्यूरी के पास पर्याप्त धन नहीं था उन्हें पीचब्लडी नामक एक रेडियो सक्रिय पदार्थ मिला, जो काले भूरे रंग का एक खनिज है!
यह शुद्ध यूरेनियम से अधिक सक्रिय होता है, अपने इस खोज पर वह अत्यंत ही संतुष्ट थे उनके शोध कार्य में अनेक प्रकार की आर्थिक कठिनाई रही वस्तुतः पिचब्लडी से यूरेनियम तत्व को अलग करने के बाद यह व्यर्थ माना जाता है एवं इसके मूल्य में काफी कमी हो जाती है परंतु यूरेनियम अलग की गई सस्ती पिचब्लडी को खरीदने के लिए भी मैडम क्यूरी के पास पर्याप्त धन नहीं था किसी प्रकार कुछ धनराशि लेकर उन्होंने पिचब्लडी को ऑस्ट्रिया से आयात किया!
क्यूरी के कठोर परिश्रम और शोध कार्य में उनकी लगन का अनुमान इस तथ्य से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने लगभग 30 टन पिचब्लडी रासायनिक विधियों द्वारा अलग-अलग तत्वों को अलग करके केवल 2 मिलीग्राम रेडियम प्राप्त किया, इसके द्वारा एक अन्य रेडियम सक्रिय पदार्थ की भी खोज की गई जिसका नाम मैडम क्यूरी के जन्म भूमि पोलैंड के नाम पर पोलोनियम रखा गया!
6.नोबेल पुरस्कार से सम्मानित
                                      रेडियम और पोलोनियम की खोज, उनके शुद्ध अवस्था का निर्माण परमाणु भार निर्धारण तथा गुण की अध्ययन के लिए मैडम क्यूरी को सन 1911 में रसायन का नोबेल पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया
उन्हें एक बार नहीं वरन दो बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया जिस वजह से वह दो बार नोबेल पुरस्कार लेने वाली प्रथम व्यक्ति हो गई इसके पूर्व किसी भी व्यक्ति को दो बार नोबेल पुरस्कार प्राप्त नहीं हुआ था!
7.मैडम क्यूरी की मृत्यु
                              रेडियो सक्रिय पदार्थ की खोज करने के बाद मेडम क्यूरी ने लोगों को इसकी उपयोगिता के बारे में जानकारी देना आरंभ किया और संसार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए तथा उनके जन्म स्थान पोलैंड में सन 1932 में उन्होंने रेडियम संस्थान की स्थापना करें.
  रेडियम सक्रिय पदार्थों की कुप्रभाव के कारण मैडम क्यूरी अपने शरीर को सुरक्षित नहीं रख पाए. इसके कुप्रभाव से मैडम क्यूरी के शरीर में रक्त की कमी हो गया जिसके कारण उनकी मृत्यु 4 जुलाई 1934 को हो गई!
    मैडम क्यूरी की की गई सबसे बड़ी रेडियम की खोज ही उनकी मृत्यु का कारण बनी.
उन्होंने सादगी उत्साह और कठिन परिश्रम से सफलता के उच्च शिखर पर पहुंचकर आजीवन मानवता की सेवा की तथा विज्ञान जगत में रेडियम तथा पोलोनियम का आविष्कार किया विज्ञान जगत मैडम क्यूरी का सदैव ऋणी रहेग
[https://www.gyansager.com/biography-of-madamecuire/ मैडम क्यूरी-जीवन परिचय]

Latest revision as of 12:23, 24 December 2017

मैडम क्यूरी ने अपने लगन धैर्य उत्साह एवं अथक प्रयास से शिवपुराण की लक्ष्मण रेखा को पार कर भारी विपरीत परिस्थितियों को शुद्ध कार्य करके रेडियो सक्रिय पदार्थों की खोज की

− मैडम क्यूरी का जन्म पोलैंड की राजधानी वारसा में 7 नवंबर 1867 में हुआ था उनकी बड़ी बहन का नाम ब्रॉनया था उनके पिता एक उच्च विद्यालय में गणित और भौतिक के शिक्षक थे उन्होंने पोलैंड के स्वतंत्रता संग्राम में पूर्ण रुप से भाग लिया इसलिए उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा विपत्ति अकेली नहीं आती अभी मानया 11 वर्ष की थी क्यों उनकी मां का देहांत हो गया पूरे परिवार पर दुख के बादल छा गए!

− 2.जीवन यापन के लिए नौकरी

                                   मां की मृत्यु के पश्चात हम दोनों बहनों ने हिम्मत नहीं आ रही है दोनों अपने अध्ययन में संलग्न रही 16 वर्ष की आयु में मैडम क्यूरी मैं सेकेंडरी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया इस सफलता के लिए उन्हें स्वर्ण पदक भी मिला!

− बचपन से ही दोनों बहनें कुशाग्र बुद्धि की थी उन दिनों पोलैंड में लोग इंग्लैंड या फ्रांस जाकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई करते थे! दोनों बहने पेरिस जाकर चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन करना चाहती थी! परंतु घर की हालत देखकर उनके पिता अत्यंत ही चिंतित थे !

− कहां गया है

− जहां चाह होती है वही राह होती है, घर की स्थिति को देखते हुए मैडम क्यूरी ने काम करने का निर्णय लिया तथा उन्होंने अपना जीवन यापन प्रारंभिक किया तथा उन्होंने फ्रांस में अपनी बड़ी बहन शिक्षा का भार भी अपने ही ऊपर उठा लिया के बच्चों की देखभाल कर उन्होंने धनार्जन करना आरंभ किया इस धन का अधिकांश भाग पेरिस में चौहान की शिक्षा पर खर्च होता था पेरिस में मैडम क्यूरी की बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन कर रही थी नौकरी के दौरान मैडम क्यूरी को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिस घर में मैडम क्यूरी काम किया करती थी उसी धनी व्यक्ति का पुत्र मैडम क्यूरी की ओर आकर्षित हो गया वह उसके साथ वैवाहिक सूत्र में बधना चाहता था परंतु मैडम क्यूरी के मन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ललक थी इसलिए मैडम क्यूरी ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जिसकी वजह से उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा ! वह एक दूसरे घर में काम करने लगी!

− क्यूरी के कई वर्षों की मेहनत के बाद बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र में अपना अध्ययन पूरा करके पेरिस में शादी भी कर ली और वही अपना एक फ्लैट भी ले लिया!

− Uncategorized

− मैडम क्यूरी-जीवन परिचय[Biography]

− Raju1993 4 months ago No Comments

   Facebook

− Next Article

− मैडम क्यूरी जीवन परिचय

    प्रस्तावना

    जीवन यापन के लिए नौकरी

    फ्रांस में उच्च शिक्षा

    शोध कार्य में भागीदारी

    रेडियम का आविष्कार

    नोबेल पुरस्कार से सम्मानित

    मैडम क्यूरी की मृत्यु

− Gyan Sager

− 1.प्रस्तावना

              मैडम क्यूरी ने अपने लगन धैर्य उत्साह एवं अथक प्रयास से शिवपुराण की लक्ष्मण रेखा को पार कर भारी विपरीत परिस्थितियों को शुद्ध कार्य करके रेडियो सक्रिय पदार्थों की खोज की

− मैडम क्यूरी का जन्म पोलैंड की राजधानी वारसा में 7 नवंबर 1867 में हुआ था उनकी बड़ी बहन का नाम ब्रॉनया था उनके पिता एक उच्च विद्यालय में गणित और भौतिक के शिक्षक थे उन्होंने पोलैंड के स्वतंत्रता संग्राम में पूर्ण रुप से भाग लिया इसलिए उन्हें नौकरी से निकाल दिया गया उन्हें अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा विपत्ति अकेली नहीं आती अभी मानया 11 वर्ष की थी क्यों उनकी मां का देहांत हो गया पूरे परिवार पर दुख के बादल छा गए!

− 2.जीवन यापन के लिए नौकरी

                                   मां की मृत्यु के पश्चात हम दोनों बहनों ने हिम्मत नहीं आ रही है दोनों अपने अध्ययन में संलग्न रही 16 वर्ष की आयु में मैडम क्यूरी मैं सेकेंडरी परीक्षा में प्रथम स्थान प्राप्त कर सबको आश्चर्यचकित कर दिया इस सफलता के लिए उन्हें स्वर्ण पदक भी मिला!

− बचपन से ही दोनों बहनें कुशाग्र बुद्धि की थी उन दिनों पोलैंड में लोग इंग्लैंड या फ्रांस जाकर उच्च शिक्षा की पढ़ाई करते थे! दोनों बहने पेरिस जाकर चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन करना चाहती थी! परंतु घर की हालत देखकर उनके पिता अत्यंत ही चिंतित थे !

− कहां गया है

− जहां चाह होती है वही राह होती है, घर की स्थिति को देखते हुए मैडम क्यूरी ने काम करने का निर्णय लिया तथा उन्होंने अपना जीवन यापन प्रारंभिक किया तथा उन्होंने फ्रांस में अपनी बड़ी बहन शिक्षा का भार भी अपने ही ऊपर उठा लिया के बच्चों की देखभाल कर उन्होंने धनार्जन करना आरंभ किया इस धन का अधिकांश भाग पेरिस में चौहान की शिक्षा पर खर्च होता था पेरिस में मैडम क्यूरी की बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र का अध्ययन कर रही थी नौकरी के दौरान मैडम क्यूरी को अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ा जिस घर में मैडम क्यूरी काम किया करती थी उसी धनी व्यक्ति का पुत्र मैडम क्यूरी की ओर आकर्षित हो गया वह उसके साथ वैवाहिक सूत्र में बधना चाहता था परंतु मैडम क्यूरी के मन में उच्च शिक्षा प्राप्त करने की ललक थी इसलिए मैडम क्यूरी ने उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया जिसकी वजह से उसे अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा ! वह एक दूसरे घर में काम करने लगी!

− क्यूरी के कई वर्षों की मेहनत के बाद बड़ी बहन चिकित्सा शास्त्र में अपना अध्ययन पूरा करके पेरिस में शादी भी कर ली और वही अपना एक फ्लैट भी ले लिया!

− Gyan Sager

− 3.फ्रांस में उच्च शिक्षा

                        24 साल की उम्र में सन सन सन 1891 में कथा वही एक विश्वविद्यालय में अपना प्रवेश ले लिया! मैडम क्यूरी को अपने साथ रखना चाहती थी परंतु चोरी उनके साथ ना रह कर स्वतंत्र जीवन व्यतीत करना चाहती थी उन्होंने किराए पर एक छोटी सी कोठी ले ली जिसमें हवा एवं धूप का उचित प्रबंध भी नहीं था जाड़े के दिनों में कभी-कभी पेरिस बर्फ से ढक जाता है उस समय कोयला जलाकर लोग अपने घरों को गर्म रखते थे गर्म जल की स्थान पर घरेलू कार्य में उसे ठंडा जल ही प्रयुक्त करना पड़ता था!

− 93 में उन्होंने भौतिकी की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में स्थान प्राप्त किया तथा सन 18 से 94 में गणित की परीक्षा में उन्होंने दूसरा स्थान प्राप्त किया!

− उनकी सफलता एवं मेहनत से प्रसन्न होकर उस विश्वविद्यालय के भौतिकी के प्रोफेसर ने उन्हें अपने शोध कार्य में सहयोग देने के लिए नियुक्त कर दिया.

− फ्रांस में उनके नाम के उच्चारण में कठिनाइयां होती थी उन्हें लोग मेरी कहकर पुकारते थे इस वजह से लोग फ्रांस में उन्हें मैरी के नाम से जानने लगे.

− 4.शोध कार्य में भागीदारी

                               पियरे को जीवनसाथी पाकर मैडम क्यूरी अत्यंत प्रसन्न रखे! पियरे एक अध्यापक थे परंतु उनका वेतन कम था जिसमें दोनों के जीवन का निर्वाह कठिनतापूर्वक होता था!

− उन दोनों ने अपने आवास स्थान पर ही एक छोटी सी प्रयोगशाला स्थापित कर ली इसके व्यय का भार भी इसी कम वेतन में खर्च करना पड़ता था! उन्हीं दिनों सन 1896 में बेकुरल अपने शोध कार्य में रत थे

− उनका मत था

− यूरेनियम नामक एक भारी तत्व से कुछ किरणें निर्गत होती है मैडम क्यूरी ने पीएचडी की डिग्री प्राप्त करने के लिए इसी शोध कार्य विषय का चयन किया वह अपने शोध में जुट गए! मेरी ने यह पता लगाया कि

− यूरेनियम से कुछ किरणें निर्गत होती हैं

− यूरेनियम के अतिरिक्त थोरियम मैं भी रेडियो सक्रियता का गुण है

− .रेडियम का आविष्कार

                                 1897 में मैडम क्यूरी ने एक बच्चे को जन्म दिया जिसका नाम आइरिन रखा! प्रयोगशाला में काम करने की अतिरिक्त भी मैडम क्यूरी को अपनी पुत्री की देखभाल भी करनी पड़ती थी! उन्हें कुछ धन राशि भी खर्च करनी पड़ती थी इससे उनका आर्थिक संकट गहराया, परंतु मैडम क्यूरी अपने साहस एवं उत्साह से कार्य में जुटे रहे!

− यूरेनियम अत्यंत ही मूल्यवान होता है उन दिनों इसे खरीदने के लिए क्यूरी के पास पर्याप्त धन नहीं था उन्हें पीचब्लडी नामक एक रेडियो सक्रिय पदार्थ मिला, जो काले भूरे रंग का एक खनिज है!

− यह शुद्ध यूरेनियम से अधिक सक्रिय होता है, अपने इस खोज पर वह अत्यंत ही संतुष्ट थे उनके शोध कार्य में अनेक प्रकार की आर्थिक कठिनाई रही वस्तुतः पिचब्लडी से यूरेनियम तत्व को अलग करने के बाद यह व्यर्थ माना जाता है एवं इसके मूल्य में काफी कमी हो जाती है परंतु यूरेनियम अलग की गई सस्ती पिचब्लडी को खरीदने के लिए भी मैडम क्यूरी के पास पर्याप्त धन नहीं था किसी प्रकार कुछ धनराशि लेकर उन्होंने पिचब्लडी को ऑस्ट्रिया से आयात किया!

क्यूरी के कठोर परिश्रम और शोध कार्य में उनकी लगन का अनुमान इस तथ्य से ही लगाया जा सकता है कि उन्होंने लगभग 30 टन पिचब्लडी रासायनिक विधियों द्वारा अलग-अलग तत्वों को अलग करके केवल 2 मिलीग्राम रेडियम प्राप्त किया, इसके द्वारा एक अन्य रेडियम सक्रिय पदार्थ की भी खोज की गई जिसका नाम मैडम क्यूरी के जन्म भूमि पोलैंड के नाम पर पोलोनियम रखा गया!

− 6.नोबेल पुरस्कार से सम्मानित

                                     रेडियम और पोलोनियम की खोज, उनके शुद्ध अवस्था का निर्माण परमाणु भार निर्धारण तथा गुण की अध्ययन के लिए मैडम क्यूरी को सन 1911 में रसायन का नोबेल पुरस्कार प्रदान कर सम्मानित किया गया

− उन्हें एक बार नहीं वरन दो बार नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया जिस वजह से वह दो बार नोबेल पुरस्कार लेने वाली प्रथम व्यक्ति हो गई इसके पूर्व किसी भी व्यक्ति को दो बार नोबेल पुरस्कार प्राप्त नहीं हुआ था!

− 7.मैडम क्यूरी की मृत्यु

                             रेडियो सक्रिय पदार्थ की खोज करने के बाद मेडम क्यूरी ने लोगों को इसकी उपयोगिता के बारे में जानकारी देना आरंभ किया और संसार के विभिन्न विश्वविद्यालयों में व्याख्यान दिए तथा उनके जन्म स्थान पोलैंड में सन 1932 में उन्होंने रेडियम संस्थान की स्थापना करें.


 रेडियम सक्रिय पदार्थों की कुप्रभाव के कारण मैडम क्यूरी अपने शरीर को सुरक्षित नहीं रख पाए. इसके कुप्रभाव से मैडम क्यूरी के शरीर में रक्त की कमी हो गया जिसके कारण उनकी मृत्यु 4 जुलाई 1934 को हो गई!

   मैडम क्यूरी की की गई सबसे बड़ी रेडियम की खोज ही उनकी मृत्यु का कारण बनी.

− उन्होंने सादगी उत्साह और कठिन परिश्रम से सफलता के उच्च शिखर पर पहुंचकर आजीवन मानवता की सेवा की तथा विज्ञान जगत में रेडियम तथा पोलोनियम का आविष्कार किया विज्ञान जगत मैडम क्यूरी का सदैव ऋणी रहेग

मैडम क्यूरी-जीवन परिचय