नागरिक शास्त्र सामान्य ज्ञान 77: Difference between revisions
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{'दि पावर्टी ऑफ़ फिलॉसफी' के लेखक कौन थे? | |||
{'दि पावर्टी ऑफ़ फिलॉसफी' के लेखक कौन थे? | |||
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-माओ | -माओ | ||
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||'द पावर्टी ऑफ़ फिलॉसफी' के लेखक [[कार्ल मार्क्स]] है। मार्क्स ने इस ग्रन्थ की रचना प्रूधां के ग्रंथ (फिलॉसफी ऑफ़ पावर्टी) के प्रत्युत्तर में की। अपने ग्रंथ की रचना में मार्क्स का उद्देश्य तत्कालीन जर्मन विचार धारा को क्रांतिकारी स्वरूप देना था। | ||'द पावर्टी ऑफ़ फिलॉसफी' के लेखक [[कार्ल मार्क्स]] है। मार्क्स ने इस ग्रन्थ की रचना प्रूधां के ग्रंथ (फिलॉसफी ऑफ़ पावर्टी) के प्रत्युत्तर में की। अपने ग्रंथ की रचना में मार्क्स का उद्देश्य तत्कालीन जर्मन विचार धारा को क्रांतिकारी स्वरूप देना था। | ||
{"मैं ही राज्य हूं" यह घोषणा निम्नलिखित में से किसने की थी? | {"मैं ही राज्य हूं" यह घोषणा निम्नलिखित में से किसने की थी? | ||
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-जेम्स प्रथम | -जेम्स प्रथम | ||
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||फ्रांस के सम्राट लुई चौदहवें कहा करते थे कि "मैं ही राज्य हूं"। सामान्यत: राज्य और सरकार दोनों शब्दों का प्रयोग पर्यायवाची अर्थों में किया जाता है। यूरोप के निरंकुश शासक प्राय: अपनी अनियंत्रित सत्ता को न्यायपूर्ण सिद्ध करने के लिए दोनों में भेद नहीं मानते थे। इसी प्रकार की प्रवृत्ति इटली में मुसोलिनी तथा जर्मनी में हिटलर के निरंकुश शासन में मिलती है। | ||फ्रांस के सम्राट लुई चौदहवें कहा करते थे कि "मैं ही राज्य हूं"। सामान्यत: राज्य और सरकार दोनों शब्दों का प्रयोग पर्यायवाची अर्थों में किया जाता है। यूरोप के निरंकुश शासक प्राय: अपनी अनियंत्रित सत्ता को न्यायपूर्ण सिद्ध करने के लिए दोनों में भेद नहीं मानते थे। इसी प्रकार की प्रवृत्ति इटली में मुसोलिनी तथा जर्मनी में हिटलर के निरंकुश शासन में मिलती है। | ||
{राज्य की उत्पत्ति का पितृसत्तात्मक सिद्धांत जुड़ा है- | {राज्य की उत्पत्ति का पितृसत्तात्मक सिद्धांत जुड़ा है- | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-जेंक्स के नाम से | -जेंक्स के नाम से | ||
Line 33: | Line 32: | ||
||राज्य की उत्पत्ति का पितृसत्तात्मक सिद्धांत सर हेनरी मेन से जुड़ा है। इस सिद्धांत के अनुसार, "राज्य, परिवार का वृहत रूप है, ऐसे परिवार का जिसमें पिता की प्रधानता थी"। हेनरी मेन के अनुसार, "पितृसत्तात्मक सिद्धांत, वह सिद्धांत है जो समाज का आरंभ ऐसे पृथक परिवारों से मानता है जो सबसे अधिक आयु वाले पुरुष वंशज के नियंत्रण के नियंत्रण व छात्र-छाया में एक साथ रहते हैं"। | ||राज्य की उत्पत्ति का पितृसत्तात्मक सिद्धांत सर हेनरी मेन से जुड़ा है। इस सिद्धांत के अनुसार, "राज्य, परिवार का वृहत रूप है, ऐसे परिवार का जिसमें पिता की प्रधानता थी"। हेनरी मेन के अनुसार, "पितृसत्तात्मक सिद्धांत, वह सिद्धांत है जो समाज का आरंभ ऐसे पृथक परिवारों से मानता है जो सबसे अधिक आयु वाले पुरुष वंशज के नियंत्रण के नियंत्रण व छात्र-छाया में एक साथ रहते हैं"। | ||
{निम्नलिखित में से कौन प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का साधन नहीं है? | {निम्नलिखित में से कौन प्रत्यक्ष प्रजातंत्र का साधन नहीं है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
-जनमत संग्रह | -जनमत संग्रह | ||
Line 41: | Line 40: | ||
||'दबाव समूह' प्राय: प्रतिनिध्यात्मक या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र की विशेषता होते हैं। दबाव समूह एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा सामान्य हित वाले व्यक्ति सार्वजनिक मामलों को प्रभावित करने का प्रयत्न करते हैं। इसके अतिरिक्त जनमत संग्रह, उपक्रम, प्रत्याह्वान, आरंभन, लोकसभाएं आदि प्रत्यक्ष लोकतंत्र के उपकरण हैं। प्रत्यक्ष प्रजातंत्र स्विट्जरलैंड में पाई जाने वाली शासन प्रणाली है। प्राचीन काल में यह ग्रीक नगर राज्यों में पाई जाती थी। | ||'दबाव समूह' प्राय: प्रतिनिध्यात्मक या अप्रत्यक्ष लोकतंत्र की विशेषता होते हैं। दबाव समूह एक ऐसा माध्यम है जिसके द्वारा सामान्य हित वाले व्यक्ति सार्वजनिक मामलों को प्रभावित करने का प्रयत्न करते हैं। इसके अतिरिक्त जनमत संग्रह, उपक्रम, प्रत्याह्वान, आरंभन, लोकसभाएं आदि प्रत्यक्ष लोकतंत्र के उपकरण हैं। प्रत्यक्ष प्रजातंत्र स्विट्जरलैंड में पाई जाने वाली शासन प्रणाली है। प्राचीन काल में यह ग्रीक नगर राज्यों में पाई जाती थी। | ||
{निम्नांकित में से कौन-सी विशेषता फॉसीवाद में पाई जाती है? | {निम्नांकित में से कौन-सी विशेषता फॉसीवाद में पाई जाती है? | ||
|type="()"} | |type="()"} | ||
+प्रजातंत्र का विरोधी है | +प्रजातंत्र का विरोधी है | ||
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-अंतर्राष्ट्रीय शांति का अग्रदूत है | -अंतर्राष्ट्रीय शांति का अग्रदूत है | ||
||फॉसीवाद प्रजातंत्र का विरोधी है। फॉसीवाद का मानना है कि फ्रांसीसी क्रांति के बाद लोकतंत्रवाद आया और वास्तविक रूप से जनता के शासन की स्थापना न कर सका। लोकतंत्र में सत्ता कुछ चतुर और स्वार्थी लोगों के हाथों में केन्द्रित हो गई। इसलिए फॉसीवाद लोकतंत्र को भ्रष्ट, काल्पनिक तथा अव्यावहारिक शासन व्यवस्था मानता है। फॉसीवाद प्रजातंत्र की तुलना शव से करता है। ये संसद को 'बातों की दुकाने' तथा बहुमत के शासन को उलूकों की व्यवस्था कहकर उपहास उड़ाते हैं। मुसोलिनी प्रजातंत्र की व्याख्या कहकर उपहास उड़ाते हैं। मुसोलिनी प्रजातंत्र की व्याख्या इस प्रकार करते हैं" यह समय-समय पर लोगों को जनता की संप्रभुता का झूठा आभास देती रहती है जबकि वास्तविक तथा प्रभावशाली संप्रभुता अदृश्य, गुप्त तथा अनुत्तरदायी हाथों में रहती है।" | ||फॉसीवाद प्रजातंत्र का विरोधी है। फॉसीवाद का मानना है कि फ्रांसीसी क्रांति के बाद लोकतंत्रवाद आया और वास्तविक रूप से जनता के शासन की स्थापना न कर सका। लोकतंत्र में सत्ता कुछ चतुर और स्वार्थी लोगों के हाथों में केन्द्रित हो गई। इसलिए फॉसीवाद लोकतंत्र को भ्रष्ट, काल्पनिक तथा अव्यावहारिक शासन व्यवस्था मानता है। फॉसीवाद प्रजातंत्र की तुलना शव से करता है। ये संसद को 'बातों की दुकाने' तथा बहुमत के शासन को उलूकों की व्यवस्था कहकर उपहास उड़ाते हैं। मुसोलिनी प्रजातंत्र की व्याख्या कहकर उपहास उड़ाते हैं। मुसोलिनी प्रजातंत्र की व्याख्या इस प्रकार करते हैं" यह समय-समय पर लोगों को जनता की संप्रभुता का झूठा आभास देती रहती है जबकि वास्तविक तथा प्रभावशाली संप्रभुता अदृश्य, गुप्त तथा अनुत्तरदायी हाथों में रहती है।" | ||
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Latest revision as of 12:00, 26 December 2017
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