ज़िम्मेदारी -लाल बहादुर शास्त्री: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replacement - "छः" to "छह")
 
(2 intermediate revisions by 2 users not shown)
Line 29: Line 29:
}}
}}
<poem style="background:#fbf8df; padding:15px; font-size:14px; border:1px solid #003333; border-radius:5px">
<poem style="background:#fbf8df; padding:15px; font-size:14px; border:1px solid #003333; border-radius:5px">
छः साल का एक लड़का अपने दोस्तों के साथ एक बग़ीचे में फूल तोड़ने के लिए घुस गया। उसके दोस्तों ने बहुत सारे फूल तोड़कर अपनी झोलियाँ भर लीं। वह लड़का सबसे छोटा और कमज़ोर होने के कारण सबसे पिछड़ गया। उसने पहला फूल तोड़ा ही था कि बग़ीचे का माली आ पहुँचा। दूसरे लड़के भागने में सफल हो गए लेकिन छोटा लड़का माली के हत्थे चढ़ गया।
छह साल का एक लड़का अपने दोस्तों के साथ एक बग़ीचे में फूल तोड़ने के लिए घुस गया। उसके दोस्तों ने बहुत सारे फूल तोड़कर अपनी झोलियाँ भर लीं। वह लड़का सबसे छोटा और कमज़ोर होने के कारण सबसे पिछड़ गया। उसने पहला फूल तोड़ा ही था कि बग़ीचे का माली आ पहुँचा। दूसरे लड़के भागने में सफल हो गए लेकिन छोटा लड़का माली के हत्थे चढ़ गया।
बहुत सारे फूलों के टूट जाने और दूसरे लड़कों के भाग जाने के कारण माली बहुत गुस्से में था। उसने अपना सारा क्रोध उस छः साल के बालक पर निकाला और उसे पीट दिया।
बहुत सारे फूलों के टूट जाने और दूसरे लड़कों के भाग जाने के कारण माली बहुत ग़ुस्से में था। उसने अपना सारा क्रोध उस छह साल के बालक पर निकाला और उसे पीट दिया।
नन्हे बच्चे ने माली से कहा – “आप मुझे इसलिए पीट रहे हैं क्योंकि मेरे पिता नहीं हैं!”
नन्हे बच्चे ने माली से कहा – “आप मुझे इसलिए पीट रहे हैं क्योंकि मेरे पिता नहीं हैं!”
यह सुनकर माली का क्रोध जाता रहा। वह बोला – “बेटे, पिता के न होने पर तो तुम्हारी जिम्मेदारी और अधिक हो जाती है।”
यह सुनकर माली का क्रोध जाता रहा। वह बोला– “बेटे, पिता के न होने पर तो तुम्हारी ज़िम्मेदारी और अधिक हो जाती है।”
माली की मार खाने पर तो उस बच्चे ने एक आंसू भी नहीं बहाया था लेकिन यह सुनकर बच्चा बिलखकर रो पड़ा। यह बात उसके दिल में घर कर गई और उसने इसे जीवन भर नहीं भुलाया।
माली की मार खाने पर तो उस बच्चे ने एक आंसू भी नहीं बहाया था लेकिन यह सुनकर बच्चा बिलखकर रो पड़ा। यह बात उसके दिल में घर कर गई और उसने इसे जीवन भर नहीं भुलाया।
उसी दिन से बच्चे ने अपने ह्रदय में यह निश्चय कर लिया कि वह कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे किसी का कोई नुकसान हो।
उसी दिन से बच्चे ने अपने [[हृदय]] में यह निश्चय कर लिया कि वह कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे किसी का कोई नुक़सान हो।
बड़ा होने पर वही बालक भारत के [[भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम|स्वतंत्रता प्राप्ति के आन्दोलन]] में कूद पड़ा। एक दिन उसने [[लाल बहादुर शास्त्री]] के नाम से देश के [[प्रधानमंत्री]] पद को सुशोभित किया।
बड़ा होने पर वही बालक भारत के [[भारतीय स्वतन्त्रता संग्राम|स्वतंत्रता प्राप्ति के आन्दोलन]] में कूद पड़ा। एक दिन उसने [[लाल बहादुर शास्त्री]] के नाम से देश के [[प्रधानमंत्री]] पद को सुशोभित किया।


Line 44: Line 44:
<references/>
<references/>
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{प्रेरक प्रसंग}}
[[Category:अशोक कुमार शुक्ला]][[Category:लाल बहादुर शास्त्री]][[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:प्रेरक प्रसंग]]
[[Category:अशोक कुमार शुक्ला]][[Category:लाल बहादुर शास्त्री]][[Category:समकालीन साहित्य]][[Category:प्रेरक प्रसंग]]
[[Category:साहित्य कोश]]
[[Category:साहित्य कोश]]
__INDEX__
__INDEX__

Latest revision as of 10:10, 9 February 2021

ज़िम्मेदारी -लाल बहादुर शास्त्री
विवरण लाल बहादुर शास्त्री
भाषा हिंदी
देश भारत
मूल शीर्षक प्रेरक प्रसंग
उप शीर्षक लाल बहादुर शास्त्री के प्रेरक प्रसंग
संकलनकर्ता अशोक कुमार शुक्ला

छह साल का एक लड़का अपने दोस्तों के साथ एक बग़ीचे में फूल तोड़ने के लिए घुस गया। उसके दोस्तों ने बहुत सारे फूल तोड़कर अपनी झोलियाँ भर लीं। वह लड़का सबसे छोटा और कमज़ोर होने के कारण सबसे पिछड़ गया। उसने पहला फूल तोड़ा ही था कि बग़ीचे का माली आ पहुँचा। दूसरे लड़के भागने में सफल हो गए लेकिन छोटा लड़का माली के हत्थे चढ़ गया।
बहुत सारे फूलों के टूट जाने और दूसरे लड़कों के भाग जाने के कारण माली बहुत ग़ुस्से में था। उसने अपना सारा क्रोध उस छह साल के बालक पर निकाला और उसे पीट दिया।
नन्हे बच्चे ने माली से कहा – “आप मुझे इसलिए पीट रहे हैं क्योंकि मेरे पिता नहीं हैं!”
यह सुनकर माली का क्रोध जाता रहा। वह बोला– “बेटे, पिता के न होने पर तो तुम्हारी ज़िम्मेदारी और अधिक हो जाती है।”
माली की मार खाने पर तो उस बच्चे ने एक आंसू भी नहीं बहाया था लेकिन यह सुनकर बच्चा बिलखकर रो पड़ा। यह बात उसके दिल में घर कर गई और उसने इसे जीवन भर नहीं भुलाया।
उसी दिन से बच्चे ने अपने हृदय में यह निश्चय कर लिया कि वह कभी भी ऐसा कोई काम नहीं करेगा जिससे किसी का कोई नुक़सान हो।
बड़ा होने पर वही बालक भारत के स्वतंत्रता प्राप्ति के आन्दोलन में कूद पड़ा। एक दिन उसने लाल बहादुर शास्त्री के नाम से देश के प्रधानमंत्री पद को सुशोभित किया।

लाल बहादुर शास्त्री से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए लाल बहादुर शास्त्री के प्रेरक प्रसंग पर जाएँ।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख