सहकारी समिति: Difference between revisions
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किसानों व ग्रामीण इलाकों में कर्ज़ देने वाली प्राथमिक [[कृषि]] कर्ज़ समितियाँ और आदिवासी सहकारी समितियाँ शीघ्र ही मज़बूत संस्थानों के तौर पर काम करने लगेंगी। केंद्र सरकार इन समितियों को सीमित आधार वाले मज़बूत वित्तीय संस्थानों में तब्दील करने पर विचार कर रही है, ताकि दूर-दराज़ के इलाकों व बेहद पिछड़े वर्ग में तेज़ीसे बैंकिंग सेवा पहुंचाई जा सके। वित्तीय संस्थान में तब्दील होने पर इन समितियों के काम करने का दायरा बढ़ेगा। ये तमाम बैंकिंग उत्पाद भी बेच सकेंगी। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक़ इस बारे में [[भारतीय रिज़र्व बैंक]], [[नाबार्ड]] और कुछ राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों को मिलाकर एक समिति गठित की गई है। यह समिति देश में कृषि ऋण समितियों (पीएसी), बड़ी आदिवासी बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों (एलएएमपी), किसान सेवा समितियों (एफएसएस) के काम करने के तरीके का अध्ययन कर रही है। देश में फिलहाल 220 ऐसी पीएसी, एलएएमपी या एफएसएस हैं, जो बेहद सफलता से काम कर रही हैं। सरकार इनकी कामयाबी को... | |||
किसानों व ग्रामीण इलाकों में | ====समाचार को विभिन्न स्रोतों पर पढ़ें==== | ||
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समाचार
गुरुवार, 4 नवम्बर, 2010
- आदिवासी सहकारी समितियों की बदलेगी सूरत
किसानों व ग्रामीण इलाकों में कर्ज़ देने वाली प्राथमिक कृषि कर्ज़ समितियाँ और आदिवासी सहकारी समितियाँ शीघ्र ही मज़बूत संस्थानों के तौर पर काम करने लगेंगी। केंद्र सरकार इन समितियों को सीमित आधार वाले मज़बूत वित्तीय संस्थानों में तब्दील करने पर विचार कर रही है, ताकि दूर-दराज़ के इलाकों व बेहद पिछड़े वर्ग में तेज़ीसे बैंकिंग सेवा पहुंचाई जा सके। वित्तीय संस्थान में तब्दील होने पर इन समितियों के काम करने का दायरा बढ़ेगा। ये तमाम बैंकिंग उत्पाद भी बेच सकेंगी। वित्त मंत्रालय के सूत्रों के मुताबिक़ इस बारे में भारतीय रिज़र्व बैंक, नाबार्ड और कुछ राज्य सरकारों के प्रतिनिधियों को मिलाकर एक समिति गठित की गई है। यह समिति देश में कृषि ऋण समितियों (पीएसी), बड़ी आदिवासी बहुउद्देश्यीय सहकारी समितियों (एलएएमपी), किसान सेवा समितियों (एफएसएस) के काम करने के तरीके का अध्ययन कर रही है। देश में फिलहाल 220 ऐसी पीएसी, एलएएमपी या एफएसएस हैं, जो बेहद सफलता से काम कर रही हैं। सरकार इनकी कामयाबी को...
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टीका टिप्पणी और संदर्भ