शशधर आचार्य: Difference between revisions

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Latest revision as of 17:47, 20 April 2021

शशधर आचार्य
पूरा नाम गुरु शशधर आचार्य
जन्म 1961
अभिभावक पिता- लिंगराज आचार्य
पति/पत्नी हेलेना आचार्य
कर्म भूमि भारत
कर्म-क्षेत्र नृत्य
प्रसिद्धि छऊ नर्तक व गुरु
नागरिकता भारतीय
अन्य जानकारी शशधर आचार्य 50 देशों में छऊ नृत्य की कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। वे दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में छऊ का प्रशिक्षण देते हैं।
अद्यतन‎

शशधर आचार्य (अंग्रेज़ी: Shashadhar Acharya, जन्म- 1961) छऊ नृत्य के प्रसिद्ध नर्तक हैं। छऊ नृत्य के संरक्षण व प्रसार के लिए किये गये उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें 2020 में 'पद्मश्री' से नवाजा गया है। शशधर आचार्य ने छऊ नृत्य को उचाईयों तक पहुंचाया है। छऊ नृत्य के लिये अब तक जिन्‍हें पद्मश्री पुरस्‍कार मिल चुका है, उनमें शुभेंदु नारायण सिंहदेव, केदारनाथ साहू, श्यामाचरण पति, मंगलाचरण पति, मकरध्वज दारोघा और पंडित गोपाल प्रसाद दूबे शामिल हैं। सातवां नाम जुड़ा है शशधर आचार्य का। शशधर आचार्य 50 देशों में छऊ नृत्य की कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। वे दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में छऊ का प्रशिक्षण देते हैं। साथ ही पुणे के नेशनल स्कूल ऑफ फिल्म एंड टेलीवीजन इंस्टीट्यूट में भी जाकर कक्षायें लेते हैं।

परिचय

शशधर आचार्य सराइकेला छऊ से पद्मश्री पाने वाले सातवें गुरू हैं। वे अपने परिवार की पांचवीं पीढ़ी से हैं, जो छऊ नृत्य को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है। उनके पूर्वज ओडिशा के रहने वाले थे। शशधर आचार्य राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र के निदेशक रह चुके हैं। शशधर आचार्य 5 वर्ष से ही छऊ नृत्य से जुड़ गए थे। उनकी पत्‍‌नी हेलेना आचार्य भी कला से जुड़ी हैं। मूल रूप से बेंगलुरू की दिल्ली में पली-बढ़ी हेलेना 'संगीत नाट्य अकादमी' की सचिव थीं।

शशधर आचार्य 50 देशों में छऊ नृत्य की कला का प्रदर्शन कर चुके हैं। वे दिल्ली के नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा में छऊ की ट्रेनिंग देते हैं। साथ ही पुणे के नेशनल स्कूल ऑफ फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट में भी कक्षायें लेते हैं। शशधर आचार्य 1990 से 1994 तक राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र सरायकेला के निदेशक रहे। फिर स्टडी लीव ले ली। आचार्य छऊ नृत्य विचित्रा के नाम से सरायकेला तथा दिल्ली में उनकी संस्था चलती है।

पुरस्कार व सम्मान

छऊ नृत्य के संरक्षण व प्रसार के लिये किये गए उत्कृष्ट कार्यों के लिए शशधर आचार्य को 2020 में 'पद्मश्री' से नवाजा गया। उनको पूर्व में भी झारखंड सरकार की ओर से प्रशस्ति पत्र और एक लाख रुपये की राशि देकर सम्मानित किया जा चुका है। शशधर आचार्य को पद्मश्री से पहले 2004 में संगीत नाट्य अकादमी अवार्ड मिला है। इसके बाद 2005 में लाइफ टाइम एचीवमेंट अवार्ड और झारखंड रत्‍‌न मिल चुका है। ये अवार्ड उन्हें लगातार तीन साल तक मिला था।[1]

शशधर के पांच गुरुओं में से दो को पद्मश्री मिला था। उनके गुरु विक्रम कुंभकार और सरायकेला के राजा के बेटे सुधेंद्र नारायण सिंहदेव को पद्मश्री मिला था। ये दोनों शशधर आचार्य के गुरु थे। उनके गुरुओं में उनके पिता लिंगराज आचार्य के अलावा वन बिहारी पटनायक भी थे। ये सभी गुरु सरायकेला के रहने वाले थे।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. 50 देशों में कौशल का प्रदर्शन कर चुके हैं छऊ नृत्यक शशधर (हिंदी) jagran.com। अभिगमन तिथि: 26 दिसंबर, 2020।

बाहरी कड़ियाँ

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