|
|
(68 intermediate revisions by one other user not shown) |
Line 1: |
Line 1: |
| ==इतिहास सामान्य ज्ञान==
| |
| {| class="bharattable-green" width="100%"
| |
| |-
| |
| | valign="top"|
| |
| {| width="100%"
| |
| |
| |
| <quiz display=simple>
| |
| {[[हड़प्पा सभ्यता]] में पक्की [[मिट्टी]] की मूर्तियों का निर्माण किस विधि से किया गया है? (पृ.सं. 181
| |
| |type="()"}
| |
| -एक साँचा पद्धति
| |
| -दो साँचा पद्धति
| |
| +चिकोटी पद्धति
| |
| -जोड़कर
| |
| ||[[चित्र:Lekhan-Samagri-1.jpg|right|100px|सिंधु सभ्यता की उत्कीर्ण मुद्रा]]'[[सिंधु घाटी सभ्यता]]' या 'हड़प्पा सभ्यता' की [[कला]] में मुहरों का अपना विशिष्ट स्थान था। अब तक क़रीब 200 मुहरें प्राप्त की जा चुकी हैं। इसमें लगभग 1200 अकेले [[मोहनजोदाड़ो]] से प्राप्त हुई हैं। ये मुहरे बेलनाकार, वर्गाकार, आयताकार एवं वृत्ताकार रूप में मिली हैं। मुहरों का निर्माण अधिकतर सेलखड़ी से हुआ है। पकी मिट्टी की मूर्तियों का निर्माण 'चिकोटी पद्धति' से किया गया है। पर कुछ मुहरें 'काचल मिट्टी', गोमेद, चर्ट और [[मिट्टी]] की बनी हुई भी प्राप्त हुई हैं। अधिकांश मुहरों पर संक्षिप्त लेख, एक श्रृंगी सांड, [[भैंस]], [[बाघ]], गैडा, हिरन, बकरी एवं [[हाथी]] के चित्र उकेरे गये हैं। इनमें से सर्वाधिक आकृतियाँ एक श्रृंगी सांड की मिली हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमृता प्रीतम]]
| |
|
| |
|
| {'[[राजतरंगिणी]]' में 7826 [[श्लोक]] हैं, जो तरंगों में संगठित हैं। तरंगों की संख्या कितनी है-(पृ.सं. 171
| |
| |type="()"}
| |
| -चार
| |
| -दस
| |
| -बारह
| |
| +आठ
| |
|
| |
| {[[कौटिल्य]] के [[अर्थशास्त्र]] में नि:सृष्टार्थ शब्द का प्रयोग है। यह शब्द निम्नलिखित में से किसके लिए प्रयुक्त हुआ है? (पृ.सं. 172
| |
| |type="()"}
| |
| -गुप्तचरों के लिए
| |
| -न्यायाधीशों के लिए
| |
| -[[अमात्य|अमात्यों]] के लिए
| |
| +सन्देशवाहकों के लिए
| |
|
| |
| {निम्नलिखित में से किस [[विदेशी यात्री]] ने [[राष्ट्रकूट|राष्ट्रकूटों]] के बारे में विवरण दिया है? (पृ.सं. 172
| |
| |type="()"}
| |
| -[[सुलेमान]]
| |
| +[[अलमसूदी]]
| |
| -मनूची
| |
| -[[जीन बैप्टिस्ट टॅवरनियर|टॅवरनियर]]
| |
|
| |
| {'रसीदी टिकट' निम्नलिखित में से किसकी आत्मकथा है?(भारतकोश)
| |
| |type="()"}
| |
| +[[अमृता प्रीतम]]
| |
| -[[इस्मत चुग़ताई]]
| |
| -[[सुभद्रा कुमारी चौहान]]
| |
| -[[प्रभा खेतान]]
| |
| ||[[चित्र:Amrita-Pritam.jpg|right|100px|अमृता प्रीतम]]'अमृता प्रीतम' एक ऐसी प्रसिद्ध कवयित्री, [[उपन्यासकार]] और निबंधकार थीं, जिन्हें 20वीं सदी की [[पंजाबी भाषा]] की सर्वश्रेष्ठ कवयित्री माना जाता है। इनकी लोकप्रियता सीमा पार [[पाकिस्तान]] में भी बराबर थी। इन्होंने पंजाबी जगत में छ: दशकों तक राज किया। [[अमृता प्रीतम]] ने कुल मिलाकर लगभग 100 पुस्तकें लिखी हैं, जिनमें उनकी चर्चित आत्मकथा 'रसीदी टिकट' भी शामिल है। अमृता प्रीतम उन साहित्यकारों में थीं, जिनकी कृतियों का अनेक [[भाषा|भाषाओं]] में अनुवाद हुआ। अपने अंतिम दिनों में उनको [[भारत]] का दूसरा सबसे बड़ा सम्मान '[[पद्म विभूषण]]' भी प्राप्त हुआ। उन्हें '[[साहित्य अकादमी पुरस्कार हिन्दी|साहित्य अकादमी पुरस्कार]]' से पहले ही अलंकृत किया जा चुका था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अमृता प्रीतम]]
| |
|
| |
| {निम्नलिखित में से कौन '[[परमवीर चक्र]]' पाने वाले प्रथम व्यक्ति थे?(भारतकोश)
| |
| |type="()"}
| |
| -[[यदुनाथ सिंह]]
| |
| +[[सोमनाथ शर्मा]]
| |
| -[[अब्दुल हमीद]]
| |
| -[[अल्बर्ट एक्का]]
| |
|
| |
| {[[हड़प्पा]] के नगर और कस्बे किस आकार के विशाल खंडों में विभाजित थे?(पृ.सं. 177
| |
| |type="()"}
| |
| -वर्गाकार
| |
| +आयताकार
| |
| -गोलाकार
| |
| -अर्द्ध गोलाकार
| |
|
| |
| {किस क्रांतिकारी ने 'मेरे अंत समय का आश्रय- गीता' नामक कृति की रचना की?(भारतकोश)
| |
| |type="()"}
| |
| -भगत सिंह
| |
| -अश्विनी कुमार दत्त
| |
| +भाई परमानंद
| |
| -कोई नहीं
| |
|
| |
| {'परमाणु ऊर्जा संस्थान', ट्रॉम्बे को [[होमी जहाँगीर भाभा|डॉ. भाभा]] के नाम पर 'भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र' नाम किसने दिया।
| |
| |type="()"}
| |
| -[[जवाहरलाल नेहरू]]
| |
| -[[लालबहादुर शास्त्री]]
| |
| +[[इंदिरा गाँधी]]
| |
| -[[सरदार पटेल]]
| |
| ||[[चित्र:Homi-Jehangir-Bhabha.jpg|right|100px|होमी जहाँगीर भाभा]]'होमी जहाँगीर भाभा' [[भारत]] के प्रमुख वैज्ञानिक थे, जिन्होंने देश के परमाणु उर्जा कार्यक्रम की कल्पना की थी। जब [[होमी जहाँगीर भाभा]] 29 वर्ष के थे, तभी वे उपलब्धियों से भरे 13 वर्ष [[इंग्लैंड]] में बिता चुके थे। भारत के परमाणु ऊर्जा कार्यक्रमों को गति देने का प्रयास इन्हीं को जाता है। सन [[1966]] में डॉ. भाभा के अकस्मात निधन से देश को गहरा आघात पहुँचा। उनके द्वारा डाली गई मज़बूत नींव के कारण ही उनके बाद भी देश में परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम अनवरत विकास के मार्ग पर अग्रसर है। उनके उत्कृष्ट कार्यों के सम्मान स्वरूप तत्कालीन [[प्रधानमंत्री]] [[इंदिरा गाँधी]] ने परमाणु ऊर्जा संस्थान, ट्रॉम्बे (AEET) को डॉ. भाभा के नाम पर 'भाभा परमाणु अनुसंधान केंद्र' नाम दिया था। आज यह अनुसंधान केन्द्र [[भारत]] का गौरव है और विश्व-स्तर पर परमाणु ऊर्जा के विकास में पथ प्रदर्शक हो रहा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[होमी जहाँगीर भाभा]]
| |
|
| |
| {निम्नलिखित में से कौन-सा तथ्य [[सिंधु घाटी]] के निवासियों की सामुद्रिक गतिविधियों से सम्बन्धित नहीं है? (पृ.सं. 180
| |
| |type="()"}
| |
| -[[लोथल]] में एक गोदी या डॉकयार्ड की खोज।
| |
| +एक मुहर पर जलयान का चित्र।
| |
| -ऐसी अनेक वस्तुओं की खोज जिनका देश में उत्पादन नहीं होता था अथवा जो देश में नहीं पाई जाती थीं।
| |
| -पश्चिमी एशियाई देशों के साथ हड़प्पाकालीन लोगों के वाणिज्यिक सम्बन्ध।
| |
| </quiz>
| |
| |}
| |
| |}
| |
| __NOTOC__
| |