|
|
(23 intermediate revisions by the same user not shown) |
Line 1: |
Line 1: |
| '''विशेष वक्तव्य'''
| |
|
| |
|
| छात्रों की आवश्यकता का विशेष ध्यान रखकर इस कोश को और भी अधिक उपादेय बनाने के लिए प्रायः सभी मूल शब्दों के साथ उनकी संक्षिप्त व्युत्पत्ति दे दी गई है। शब्दों की रचना में [[उपसर्ग]] और [[प्रत्यय|प्रत्ययों]] का बड़ा महत्त्व है। इनकी पूरी जानकारी तो [[व्याकरण]] के पढ़ने से ही होगी। फिर भी इनका यहाँ दिग्दर्शन अत्यंत लाभदायक होगा।
| |
|
| |
| '''उपसर्ग''' - “उपसर्गेण धात्वर्थो बलादन्यत्र नीयते । प्रहाराहार संहारविहारपरिहारवत् ।”
| |
|
| |
| '''उपसर्ग''' धातुओं के पूर्व लगकर उनके अर्थों में विभिन्नता ला देते हैं-
| |
| {| width="70%" class="bharattable-pink"
| |
| |+
| |
| |-
| |
| !उपसर्ग !! उदाहरण !! उपसर्ग !! उदाहरण
| |
| |-
| |
| | अति || अत्यधिकम् || दुस् || दुस्तरणम्
| |
| |-
| |
| |अधि || अधिष्ठानम् || दुर् || दुर्भाग्यम्
| |
| |-
| |
| |अनु || अनुगमनम् || नि || निदेश:
| |
| |-
| |
| |अप || अपयश: || निस् || निस्तारणम्
| |
| |-
| |
| |अपि || पिंघानम् || निर् || निर्धन
| |
| |-
| |
| |अभि || अभिभाषणम् || परा || पराजय:
| |
| |-
| |
| |अव || अवतरणम् || परि || परिव्राजक:
| |
| |-
| |
| |आ || आगमनम् || प्र || प्रबल
| |
| |-
| |
| |उत् || उत्थाय, उद्गमनम् || प्रति || प्रतिक्रिया
| |
| |-
| |
| |उप || उपगमनम् || वि || विज्ञानम्
| |
| |-
| |
| | || || सु || सुकर
| |
| |}
| |