जीवन सिंह उमरानंगल: Difference between revisions

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'''जीवन सिंह उमरानंगल''' ([[अंग्रेज़ी]]: ''Jiwan Singh Umranangal'', जन्म- [[1 अक्टूबर]], [[1914]]; मृत्यु- [[7 नवम्बर]], [[1998]]) अकाली दल से संबंधित एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने [[पंजाब]] के राजस्व मंत्री के रूप में कार्य किया था। वह परमराज सिंह उमरानंगल के दादा थे, जो पंजाब कैडर के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं।
==परिचय==
==परिचय==

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thumb|200px|जीवन सिंह उमरानंगल जीवन सिंह उमरानंगल (अंग्रेज़ी: Jiwan Singh Umranangal, जन्म- 1 अक्टूबर, 1914; मृत्यु- 7 नवम्बर, 1998) अकाली दल से संबंधित एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे। उन्होंने पंजाब के राजस्व मंत्री के रूप में कार्य किया था। वह परमराज सिंह उमरानंगल के दादा थे, जो पंजाब कैडर के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं।

परिचय

जीवन सिंह उमरानंगल का जन्म सन 1914 में कपूरथला जिले के धालीवाल बेट गांव में हुआ था। उन्होंने कपूरथला हाईस्कूल से मैट्रिक पास किया। वह मूल रूप से पेशे से एक कृषिविद् थे। उन्होंने 1952 में अकाली दल के सदस्य बनकर राजनीति को कॅरियर के रूप में अपनाया। वह अपने पैतृक गांव उमरा नंगल के सरपंच और नंबरदार (ग्राम प्रधान) बने। बाद में उन्होंने अकाली दल के महासचिव के रूप में कार्य किया और अंततः पार्टी के उपाध्यक्ष बने।

राजनीति

वह 1968, 1977 और 1980 में पंजाब विधान सभा के लिए चुने गए। उन्होंने 1968 में गुरनाम सिंह के अधीन राजस्व मंत्री और 1977 में प्रकाश सिंह बादल के तहत वित्तमंत्री के रूप में कार्य किया। उन्होंने 'शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी' के तीन बार चुनाव जीते और 12 वर्षों तक इसकी कार्यकारी समिति में कार्य किया। 1979 के एसजीपीसी चुनाव में जीवन सिंह उमरानंगल ने एआईएसएसएफ अध्यक्ष अमरीक सिंह को हराया, जिन्हें जरनैल सिंह भिंडरावाले का समर्थन प्राप्त था। वह वरिष्ठ अकाली नेता फतेह सिंह के करीबी सहयोगी बन गए।

उग्रवाद के विरोधी

जीवन सिंह उमरानंगल ने खालिस्तान समर्थक उग्रवादियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया। सन 1986 में उन्होंने माझा क्षेत्र में डोर-टू-डोर अभियान शुरू किया, उग्रवादियों के परिवारों से मुलाकात की और उग्रवादियों को हिंसा छोड़ने के लिए राजी करने में उनकी मदद मांगी। उन्होंने 45-दिवसीय पदयात्रा भी शुरू की और जो लोग हिंसा के कारण पंजाब से बाहर चले गए थे, उन्हें वापस जाने के लिए मनाया। जवाबी कार्रवाई में आतंकवादियों ने 8 मई 1987 को उनके बेटे सुखदेव सिंह उमरानंगल को मार डाला।

जगत अकाली दल की स्थापना

उन्होंने एसजीपीसी पर समुदाय में असहिष्णुता और नफरत फैलाने वाले अभियानों को रोकने में विफल रहने का आरोप लगाया। इसके बाद उन्होंने उग्रवादी हिंसा पर इसके नेताओं के अस्पष्ट रुख के कारण अकाली दल छोड़ दिया और 21 जनवरी 1992 को अपनी खुद की पार्टी "जगत अकाली दल" की स्थापना की। बाद में उन्होंने फ़रवरी 1998 में अपनी पार्टी को वापस अकाली दल में मिला दिया।

पुरस्कार व सम्मान

मृत्यु

84 वर्ष की आयु में ब्यास के एक अस्पताल में जीवन सिंह उमरानंगल का निधन 7 नवम्बर, 1998 को हो गया।


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

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