प्रयोग:गोविन्द 3: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
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|-
| valign="top"|
{| width="100%"
|
<quiz display=simple>
{मध्यकालीन भारतीय आर्य भाषाओं का स्थिति काल रहा है?
|type="()"}
- 1500 ई.पू. से 500 ई.पू.
- 1000 ई.पू. से 500 ई.पू.
- 500 ई.पू. से 600 ई.पू.
+ 500 ई.पू. से 1000 ई.पू.


{'प्राचीन देशभाषा' (पूर्व अपभ्रंश) को 'अपभ्रंश' तथा परवर्ती अर्थात् अग्रसरीभूत अपभ्रंश को 'अवहट्ठ' किस भाषा वैज्ञानिक ने कहा है?
|type="()"}
- ग्रियर्सन
- भोलानाथ तिवारी
+ सुनीतिकुमार चटर्जी एवं सुकुमार सेन
- उदयनारायण तिवारी
{अर्द्धमागधी अपभ्रंश से इनमें से किस बोली का विकास हुआ है?
|type="()"}
- पश्चिमी
- [[बिहारी भाषाएँ|बिहारी]]
- [[अवधी भाषा|अवधी]]
+ [[बांग्ला भाषा|बंगाली]]
{कामताप्रसाद गुरु का हिन्दी [[व्याकरण (व्यावहारिक)|व्याकरण]] विषयक ग्रंथ, जो नागरी प्रचारिणी सभा, [[काशी]] से प्रकाशित हुआ था, उसका नाम था?
|type="()"}
- [[हिन्दी]] का सरल व्याकरण
- हिन्दी का प्रामाणिक व्याकरण
+ हिन्दी व्याकरण
- हिन्दी का व्यावहारिक व्याकरण
{[[देवनागरी लिपि]] है?
|type="()"}
- वर्णात्मक
- वर्णात्मक और अक्षरात्मक दोनों
+ अक्षरात्मक
- इनमें से कोई नहीं
{विद्यापति की उस प्रमुख रचना का नाम बताइए, जिसमें 'अवहट्ठ' भाषा का बहुतायत प्रयोग हुआ है?
|type="()"}
- कीर्तिपताका
+ कीर्तिलता
- विद्यापति पदावली
- पुरुष परीक्षा
{जॉर्ज ग्रियर्सन ने पश्चिमोत्तर समुदाय की [[भाषा]] को आधुनिक भारतीय आर्यभाषाओं की किस उपशाखा में रखा है?
|type="()"}
- भीतरी उपशाखा
+ बाहरी उपशाखा
- मध्यवर्गीय उपशाखा
- इनमें से कोई नहीं
{[[उर्दू भाषा|उर्दू]] किस भाषा का मूल शब्द है?
|type="()"}
+ तुर्की भाषा
- ईरानी भाषा
- [[अरबी भाषा]]
- [[फ़ारसी भाषा]]
{'साहित्य का इतिहास दर्शन' ग्रंथ के लेखक का नाम है?
|type="()"}
- [[श्यामसुन्दर दास|डॉ. श्यामसुन्दर दास]]
- [[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]]
+ डॉ. नलिन विलोचन शर्मा
- डॉ. गुलाब राय
{जहाँ शब्दों, शब्दांशों या वाक्यांशों की आवृत्ति हो, किंतु उनके अर्थ भिन्न हों, वहाँ निम्न में से कौन-सा [[अलंकार]] है-
|type="()"}
-[[श्लेष अलंकार|श्लेष]]
-वक्रोक्ति
+[[यमक अलंकार|यमक]]
-[[रूपक अलंकार|रूपक]]
||'''यमक अलंकार'''<br />कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाय।<br />वा खाये बौराय जग, वा पाये बौराय।।<br />कनक शब्द की एक बार आवृत्ति 1 धतूरा, 2 सोना। ([[बिहारीलाल]])।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[अलंकार]]
{'गिला' कहानी के लेखक का नाम है?
|type="()"}
+[[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचन्द्र]]
-[[यशपाल]]
-अज्ञेय
-निर्मल वर्मा
||[[चित्र:Premchand.jpg|80px|right|मुंशी प्रेमचंद]] [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड [[भारत का इतिहास|भारत के इतिहास]] में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[प्रेमचंद]]
{'गंगावतरण' काव्य के रचयिता हैं?
|type="()"}
-[[अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध']]
+जगन्नाथदास 'रत्नाकर
-श्रीधर पाठक
-रामनरेश त्रिपाठी
{छायावादी कवियों ने जब आध्यात्मिक प्रेम को अपनी कविताओं में व्यक्त किया तो ऐसी कविताओं को किस वाद के अंतर्गत रखा गया है?
|type="()"}
-छायावाद
-प्रतीकवाद
+रहस्यवाद
-बिम्बवाद
{[[गोवा]] की स्वीकृत राजभाषा है?
|type="()"}
+[[कोंकणी भाषा|कोंकणी]]
-[[पुर्तग़ाली]]
-[[मराठी भाषा|मराठी]]
-[[गुजराती भाषा|गुजराती]]
{'ध्रुव स्वामिनी' नाटक के रचयिता हैं?
|type="()"}
-राम कुमार वर्मा
-रामवृक्ष बेनीपुरी
+[[जयशंकर प्रसाद]]
-[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]]
||[[चित्र:Jaishankar-Prasad.jpg|जयशंकर प्रसाद|100px|right]] महाकवि जयशंकर प्रसाद हिन्दी नाट्य जगत और कथा साहित्य में एक विशिष्ट स्थान रखते हैं। कथा साहित्य के क्षेत्र में भी उनकी देन महत्त्वपूर्ण है। भावना-प्रधान कहानी लिखने वालों में जयशंकर प्रसाद अनुपम थे। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[जयशंकर प्रसाद]]
{'परिवर्तन' नामक कविता सर्वप्रथम [[सुमित्रानन्दन पंत]] के किस कविता संग्रह में संगृहीत हुई है?
|type="()"}
-वीणा
+पल्लव
-तारापथ
-ग्रंथि
{भिखारीदास की रचना का नाम है?
|type="()"}
+काव्य निर्णय
-काव्य विवेक
-भाव विलास
-नवरस तरंग
{उन्नीसवीं सदी की साहित्य- सर्जना का मूल हेतु है?
|type="()"}
-ईसाई विरोध
-मुस्लिम विरोध
+पराधीनता का बोध
-परमाणु परीक्षण
{'यह प्रेम को पंथ कराल महा तरवारि की धार पै धावनो है', नामक पंक्ति किस कवि द्वारा सृजित है?
|type="()"}
-[[घनानंद कवि|घनानंद]]
+बोधा
-आलम
-ठाकुर
{आचार्य [[केशवदास]] को 'कठिन काव्य का प्रेत' किस आलोचक ने कहा है?
|type="()"}
-आचार्य पद्मसिंह शर्मा
-आचार्य नंददुलारे वाजपेयी
-आचार्य विश्वनाथप्रसाद मिश्र
+[[आचार्य रामचन्द्र शुक्ल]]
|| [[चित्र:RamChandraShukla.jpg|100px|right|रामचन्द्र शुक्ल]]रामचन्द्र शुक्ल जी का जन्म [[बस्ती ज़िला|बस्ती ज़िले]] के अगोना नामक गाँव में सन 1884 ई. में हुआ था। सन 1888 ई. में वे अपने पिता के साथ राठ हमीरपुर गये तथा वहीं पर विद्याध्ययन प्रारम्भ किया। सन 1892 ई. में उनके पिता की नियुक्ति मिर्ज़ापुर में सदर क़ानूनगो के रूप में हो गई और वे पिता के साथ [[मिर्ज़ापुर]] आ गये। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचन्द्र शुक्ल]]
{[[भक्तिकाल]] का एक कवि अवतारवाद और मूर्तिपूजा का विरोधी है. इसके बावज़ूद वह [[हिन्दू धर्म|हिन्दुओं]] के जन्म-मृत्यु सम्बन्धी सिद्धांत को मानता है, ऐसा रचनाकार है?
|type="()"}
-[[जायसी]]
+[[कबीर]]
-[[तुलसीदास]]
-[[कुम्भनदास]]
{प्रथम सूफ़ी प्रेमाख्यानक काव्य के रचयिता हैं-
|type="()"}
-नूर मुहम्मद
-[[मलिक मुहम्मद जायसी]]
+मुल्ला दाऊद
-कुतबन
{भक्तिकालीन कवियों में एक ऐसा ख्यातिलब्ध रचनाकार है जो अपने काव्य में लोकव्यापी प्रभाव वाले कर्म और लोकव्यापिनी दशाओं के वर्णन में माहिर है। ऐसे रचनाकार का नाम है?
|type="()"}
-[[जायसी]]
-[[सूरदास]]
+[[तुलसीदास]]
-रविदास
|| [[चित्र:Tulsidas.jpg|150px|गोस्वामी तुलसीदास|right]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही हिन्दी भाषा के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]]
{'जायसी -ग्रंथावली' के सम्पादक का नाम है?
|type="()"}
-डॉ. वासुदेवशरण अग्रवाल
-[[चन्द्रबली पाण्डेय]]
-डॉ. भगवतीप्रसाद सिंह
+[[रामचन्द्र शुक्ल]]
{दोहा छन्द में श्रृंगारी रचना प्रस्तुत करने वालों में [[हिन्दी]] के सर्वाधिक ख्यातिलब्ध कवि हैं?
|type="()"}
-[[रहीम]]
+[[बिहारी लाल|बिहारी]]
-[[भूषण]]
-[[सूरदास]]
||हिन्दी साहित्य के रीति काल के कवियों में बिहारीलाल का नाम महत्त्वपूर्ण है। महाकवि बिहारीलाल का जन्म 1595 के लगभग [[ग्वालियर]] में हुआ। वे जाति के माथुर चौबे थे। उनके पिता का नाम केशवराय था। उनका बचपन [[बुंदेलखंड]] में कटा और युवावस्था ससुराल [[मथुरा]] में व्यतीत हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बिहारी लाल]]
{'कंचन तन धन बरन बर रहयौ रंग मिलि रंग। जानी जाति सुबास ही केसरि लाई अंग॥' उपर्युक्त पंक्तियाँ किसकी हैं?
|type="()"}
-[[रहीम]]
-[[तुलसीदास|तुलसी]]
+[[बिहारी लाल|बिहारी]]
-[[भूषण]]
|| हिन्दी साहित्य के रीति काल के कवियों में बिहारीलाल का नाम महत्त्वपूर्ण है। महाकवि बिहारीलाल का जन्म 1595 के लगभग [[ग्वालियर]] में हुआ। वे जाति के माथुर चौबे थे। उनके पिता का नाम केशवराय था। उनका बचपन [[बुंदेलखंड]] में कटा और युवावस्था ससुराल [[मथुरा]] में व्यतीत हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बिहारी लाल]]
{जलप्लावन भारतीय इतिहास की ऐसी प्राचीन घटना है जिसको आधार बनाकर छायावादी युग में एक महाकाव्य लिखा गया है। उसका नाम है?
|type="()"}
-लोकायतन
-कुरुक्षेत्र
+कामायनी
-चिताम्बरा
{शब्दार्थों सहित काव्यम् यह उक्ति किसकी है?
|type="()"}
-मम्मट
-कुंतक
+भामह
-चिंतामणि
{ढ़ाई आखर प्रेम के, पढ़ै सो पंडित होय॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं?
|type="()"}
-[[मीराबाई]]
-[[जायसी]]
-[[तुलसीदास]]
+[[कबीर दास]]
{चौपाई के प्रत्येक चरण में मात्राएँ होती हैं-
|type="()"}
-11
-13
+16
-15
{'संदेश रासक' के रचयिता हैं?
|type="()"}
-[[अमीर ख़ुसरो]]
-रसनिधि
-रसलीन
+अब्दुल रहमान
{'साखी' के रचयिता हैं?
|type="()"}
-[[रसखान]]
-[[सूरदास]]
-[[रहीम]]
+[[कबीरदास]]
|| [[चित्र:Kabirdas.jpg|कबीरदास|150px|right]] कबीरदास के जन्म के संबंध में अनेक किंवदन्तियाँ हैं। कुछ लोगों के अनुसार वे गुरु [[स्वामी रामानंद|रामानन्द]] स्वामी के आशीर्वाद से [[काशी]] की एक विधवा ब्राह्मणी के गर्भ से उत्पन्न हुए थे। ब्राह्मणी उस नवजात शिशु को लहरतारा ताल के पास फेंक आयी। उसे नीरु नाम का जुलाहा अपने घर ले आया। उनकी माता का नाम 'नीमा' था। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कबीरदास]]
{लोगहिं लागि कवित्त बनावत, मोहिं तौ मेरे कवित्त बनावत॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं?
|type="()"}
-[[केशवदास]]
-भिखारी दास
+[[घनानन्द]]
-पद्माकर
||[[हिन्दी भाषा]] के रीतिकाल के कवि घनानन्द के सम्बंध में निश्चित जानकारी नहीं है। कुछ लोग इनका जन्मस्थान [[उत्तर प्रदेश]] के जनपद बुलन्दशहर को मानते हैं। इनका जन्म 1658 से 1689 ईस्वी के बीच और निधन 1739 ईस्वी (लगभग) माना जाता है। इनका निधन अब्दाली दुर्रानी द्वारा [[मथुरा]] में किये गये कत्लेआम में हुआ था। घनानन्द श्रृंगार धारा के कवि थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[घनानन्द]]
{बैर क्रोध का अचार या मुरब्बा है, यह कथन किसका है?
|type="()"}
-[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]]
-[[गजानन माधव मुक्तिबोध]]
+[[रामचन्द्र शुक्ल]]
-[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]]
|| [[चित्र:RamChandraShukla.jpg|150px|right|रामचन्द्र शुक्ल]] रामचन्द्र शुक्ल जी का जन्म [[बस्ती ज़िला|बस्ती ज़िले]] के अगोना नामक गाँव में सन 1884 ई. में हुआ था। सन 1888 ई. में वे अपने पिता के साथ राठ हमीरपुर गये तथा वहीं पर विद्याध्ययन प्रारम्भ किया। सन 1892 ई. में उनके पिता की नियुक्ति मिर्ज़ापुर में सदर क़ानूनगो के रूप में हो गई और वे पिता के साथ [[मिर्ज़ापुर]] आ गये। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचन्द्र शुक्ल]]
{[[रहीम]] द्वारा लिखित इन पंक्तियों में 'बड़े' शब्द का प्रयोग जिस रूप में हुआ है, वह है-
<poem>बड़े बड़ाई ना करें, बड़े न बोलें बोल।
रहिमन [[हीरा]] कब कहै, लाख टका मेरो मोल॥</poem>
|type="()"}
-[[विशेषण]]
+[[संज्ञा (व्याकरण)|संज्ञा]]
-[[सर्वनाम]]
-[[क्रियाविशेषण]]
{रामभक्त कवि नहीं हैं-
|type="()"}
-नाभादास
-अग्रदास
+नरोत्तम दास
-सेनापति   
{जीवन में हास्य का महत्त्व इसलिए है कि, वह जीवन को-
|type="()"}
-प्रयोग देता है
-आनन्दित करता है
-आगे बढ़ाता है
+सरस बनाता है
{श्रृंगार [[रस]] का स्थायी भाव है-
|type="()"}
+रति
-हास
-शोक
-निर्वेद
{किस [[रस]] का संचारी भाव उग्रता, गर्व, हर्ष आदि है?
|type="()"}
-श्रृंगार
+वीर
-वात्सल्य
-रौद्र
{[[कबीरदास]] की [[भाषा]] थी?
|type="()"}
-[[ब्रज भाषा |ब्रज]]
-कन्नौजी
+सधुक्कड़ी
-खड़ी बोली
{"रहिमन पानी राखिए बिन पानी सब सून" में कौन-सा [[अलंकार]] है?
|type="()"}
+[[श्लेष अलंकार|श्लेष]]
-[[यमक अलंकार|यमक]]
-[[अनुप्रास अलंकार|अनुप्रास]]
-[[अतिशयोक्ति अलंकार|अतिशयोक्ति]]
{'कितने पाकिस्तान' नामक उपन्यास के लेखक हैं
|type="()"}
-राजेन्द्र कुमार
+कमलेश्वर
-सत्य प्रकाश मिश्र
-खुशवन्त सिंह
{राजेन्द्र कुमार द्वारा सम्पादित पुस्तक 'आलोचना का विवेक' किस विधा से संबंधित है?
|type="()"}
-कहानी
-उपन्यास
+आलोचना
-नाटक
{'भ्रमरगीत' के रचयिता हैं?
|type="()"}
+[[सूरदास]]
-विद्यापति
-[[घनानन्द]]
-शिवसिंह
{'ईदगाह' कहानी के रचनाकार हैं?
|type="()"}
+[[प्रेमचंद]]
-अज्ञेय
-[[जयशंकर प्रसाद]]
-जैनेन्द्र
||[[चित्र:Premchand.jpg|right|80px|मुंशी प्रेमचंद]] [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा।<br />प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]]
{उपर्युक्त पंक्तियों में [[रस]] है-
<poem>'राग है कि, रूप है कि
रस है कि, जस है कि
तन है कि, मन है कि
प्राण है कि, प्यारी है'</poem>
|type="()"}
-श्रृंगार
-वत्सल
+अद्भुत
-शान्त
{कवि [[कालिदास]] की 'अभिज्ञान शाकुंतलम' का [[हिन्दी]] अनुवाद किसने किया?
|type="()"}
-सदासुख लाल
-गोस्वामी विट्ठलनाथ
-राजा शिवप्रसाद
+राजा लक्ष्मण सिंह
{'यह काम मैं आप कर लूँगा', पंक्तियों में 'आप' है-
|type="()"}
-सम्बन्धवाचक सर्वनाम
+निजवाचक सर्वनाम
-निश्चयवाचक सर्वनाम
-पुरुषवाचक सर्वनाम
{निम्नलिखित में से कौन-सा स्त्रीलिंग में प्रयुक्त होता है-
|type="()"}
+ऋतु
-पण्डित
-हंस
-आचार्य
{'तरनि तनूजा तट तमाल तरुवर बहु छाए' में कौन-सा [[अलंकार]] है?
|type="()"}
+[[अनुप्रास अलंकार]]   
-[[यमक अलंकार]] 
-[[उत्प्रेक्षा अलंकार]]
-[[उपमा अलंकार]]
{[[मुग़ल काल]] में किस [[भाषा]] को रेख्यां कहा गया है?
|type="()"}
+[[उर्दू भाषा|उर्दू]]
-[[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]]
-तुर्की
-[[अरबी भाषा|अरबी]]
||उर्दू भाषा भारतीय-आर्य भाषा है, जो भारतीय संघ की 18 राष्ट्रीय भाषाओं में से एक व [[पाकिस्तान]] की राष्ट्रभाषा है। हालाँकि यह फ़ारसी और अरबी से प्रभावित है, लेकिन यह हिन्दी के निकट है और इसकी उत्पत्ति और विकास भारतीय उपमहाद्वीप में ही हुआ। दोनों भाषाएँ एक ही भारतीय आधार से उत्पन्न हुई हैं। स्वर वैज्ञानक और [[व्याकरण (व्यावहारिक|व्याकरण) के स्तर पर इनमें काफ़ी समानता है और ये एक ही भाषा प्रतीत होती हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[उर्दू भाषा]]
{[[मुग़ल काल]] की राजकीय भाषा थी?
|type="()"}
+[[उर्दू भाषा|उर्दू]]
-[[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]]
-तुर्की
-[[अरबी भाषा|अरबी]]
{[[हिन्दी भाषा]] बोलने वाले भारतीयों का प्रतिशत लगभग है?
|type="()"}
-35 प्रतिशत
+40 प्रतिशत
-45 प्रतिशत
-50 प्रतिशत
{दक्षिण [[भारत]] में [[हिन्दी भाषा]] के क्षेत्र में किसने प्रचार-प्रसार किया?
|type="()"}
-[[जवाहरलाल नेहरू]]
-[[नरसिम्हा राव|पी. वी. नरसिम्हा राव]]
+[[सी. राजगोपालाचारी]]
-सी. एन. अन्नदुरई
{[[हिन्दी]] के पश्चात [[भारत]] की दूसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है?
|type="()"}
-[[तमिल भाषा|तमिल]]
-[[तेलुगु भाषा|तेलुगु]]
+[[बांग्ला भाषा|बांग्ला]]
-[[मराठी भाषा|मराठी]]
||बांग्ला भाषा भारतीय-आर्य परिवार की भाषा है। यह [[बांग्लादेश]] और भारत के [[पश्चिम बंगाल]], [[असम]] तथा [[त्रिपुरा]] राज्यों के 20 करोड़ से अधिक तथा ब्रिटेन में बसे बड़े प्रवासी समुदाय द्वारा बोली जाती है। यह बांग्लादेश की राजभाषा और भारत के संविधान द्वारा मान्यता प्राप्त 18 भाषाओं में से एक है। भाषाशास्त्रियों का एक समूह मानता है कि बांग्ला भाषा की उत्पत्ति 10वीं शताब्दी में हुई और यह मागधी प्राकृत से उत्पन्न हुई।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[बांग्ला भाषा]]
{दक्षिण [[भारत]] की सर्वाधिक प्राचीन भाषा है?
|type="()"}
+[[तमिल भाषा|तमिल]]
-[[तेलुगु भाषा|तेलुगु]]
-[[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]]
-[[मलयालम भाषा|मलयालम]]
{भारत की किस [[भाषा]] को 'इटालियन ऑफ़ द ईस्ट' कहा जाता है?
|type="()"}
-[[बांग्ला भाषा|बांग्ला]]
-[[तमिल भाषा|तमिल]]
+[[तेलुगु भाषा|तेलुगु]]
-[[मलयालम भाषा|मलयालम]]
{'गंगा छवि वर्णन' कविता के रचनाकार हैं?
|type="()"}
-[[जयशंकर प्रसाद]]
-[[मैथिलीशरण गुप्त]]
-[[अयोध्यासिंह उपाध्याय|हरिऔध]]
+[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]]
||[[चित्र:Bhartendu-Harishchandra.jpg|भारतेन्दु हरिश्चंद्र|150px|right]]युग प्रवर्तक बाबू भारतेन्दु हरिश्चन्द्र का जन्म [[काशी]] नगरी के प्रसिद्ध 'सेठ अमीचंद' के वंश में [[9 सितम्बर]], 1850 को हुआ। इनके पिता 'बाबू गोपाल चन्द्र' भी एक कवि थे। इनके घराने में वैभव एवं प्रतिष्ठा थी। जब इनकी अवस्था मात्र 5 वर्ष की थी, इनकी माता चल बसी और दस वर्ष की आयु में पिता जी भी चल बसे। भारतेन्दु जी विलक्षण प्रतिभा के व्यक्ति थे। इन्होंने अपने परिस्थितियों से गम्भीर प्रेरणा ली।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]]
{'अनामदास का पौधा' उपन्यास के रचयिता हैं?
|type="()"}
-माखनलाल चतुर्वेदी
-सोहन लाल द्विवेदी
-[[महावीर प्रसाद द्विवेदी]]
+[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]]
||[[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी |150px|right]]  डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी [[हिन्दी]] के शीर्षस्थानीय साहित्यकारों में से हैं। वे उच्चकोटि के निबन्धकार, उपन्यास लेखक, आलोचक, चिन्तक तथा शोधकर्ता हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[हजारी प्रसाद द्विवेदी]]
{'वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे' के रचयिता हैं?
|type="()"}
-जगदीश गुप्त
-बाल मुकुन्द
-सियाराम शरण
+[[मैथिलीशरण गुप्त]]
{कौन-सी भाषा देवभाषा है?
|type="()"}
-[[हिन्दी]]
-[[पाली भाषा|पाली]]
+[[संस्कृत भाषा|संस्कृत]]
-खड़ी भाषा
|| संस्कृत [[भारत]] की एक शास्त्रीय [[भाषा]] है। यह दुनिया की सबसे पुरानी उल्लिखित भाषाओं में से एक है। संस्कृत हिन्दी-यूरोपीय भाषा परिवार की मुख्य शाखा हिन्दी-ईरानी भाषा की हिन्दी-आर्य उपशाखा की मुख्य भाषा है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[संस्कृत भाषा|संस्कृत]]
{चोल शासकों की भाषा क्या थी?
|type="()"}
-[[संस्कृत भाषा|संस्कृत]]
-[[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]]
+[[तमिल भाषा|तमिल]]
-[[तेलुगु भाषा|तेलुगु]]
|| तमिल भाषा एक द्रविड़ भाषा है, जिसके विश्वभर में पाँच करोड़ से अधिक बोलने वालों में से लगभग 90 प्रतिशत [[भारत]] में रहते हैं और [[तमिलनाडु]] राज्य में केन्द्रित 83 प्रतिशत हैं। यह भारत की पाँचवी सबसे बड़ी भाषा है, जो देश की लगभग सात प्रतिशत आबादी का प्रतिनिधित्व करती है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तमिल भाषा]]
{निम्नलिखित में से कौन-सी भाषाएँ हाल ही में प्राचीन भाषाएँ घोषित की गई है?
|type="()"}
+[[कन्नड़ भाषा|कन्नड़]] एवं [[तेलुगु भाषा|तेलुगु]]
-[[तमिल भाषा|तमिल]] एवं [[मलयालम भाषा|मलयालम]]
-[[तमिल भाषा|तमिल]] एवं [[मराठी भाषा|मराठी]]
-[[बांग्ला भाषा|बांग्ला]] एवं [[उर्दू भाषा|उर्दू]]
{[[भारत]] की तीसरी सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा है?
|type="()"}
+[[तेलुगु भाषा|तेलुगु]]
-[[तमिल भाषा|तमिल]]
-[[मराठी भाषा|मराठी]]
-[[बांग्ला भाषा|बांग्ला]]
|| तेलुगु भाषा द्रविड़ परिवार की भाषा और [[भारत]] के [[आन्ध्र प्रदेश]] राज्य की सरकारी भाषा है। तेलुगु की सात भिन्न क्षेत्रीय बोलियाँ तथा तीन सामाजिक बोलियाँ ब्राह्मण, अब्राह्मण और हरिजन हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तेलुगु भाषा]]
{निम्नलिखित में से किसमें [[तमिल भाषा|तमिल]] एक प्रमुख भाषा है?
|type="()"}
-[[म्यान्मार]]
-इण्डोनेशिया
-मॉरीशस
+सिंगापुर
{आचार्य विश्वनाथ प्रसाद मिश्र ने रीतिकाल को 'श्रृंगारकाल' नाम दिया, लेकिन उन्होंने इस पर जो ग्रंथ लिखा, उसका नाम 'हिन्दी का श्रृंगारकाल' नहीं है, बल्कि उसका नाम है?
|type="()"}
-रीतिकाव्य की भूमिका
-रीतिकाव्य की पृष्ठभूमि
-रीतिकाव्य की प्रस्तावना
+हिन्दी साहित्य का अतीत, भाग -2
{'भारत मित्र' पत्र (जो [[कलकत्ता]] से सन [[1934]] में प्रकाशित हुआ था) के एक सम्पादक थे?
|type="()"}
-तोताराम
+रुद्रदत्त शर्मा
-[[कन्हैयालाल नंदन|कन्हैयालाल]]
-बल्देव प्रसाद
{'[[मेवाड़]] की [[पन्ना धाय|पन्ना]]' नामक धाय के अलौकिक त्याग का ऐतिहासिक वृत्त लेकर 'राजमुकुट' नाटक की रचना की गई थी, इस नाटक के लेखक का नाम है?
|type="()"}
-हरिकृष्ण प्रेमी
-लक्ष्मीनारायण मिश्र
-उदयशंकर भट्ट
+[[गोविंद बल्लभ पंत]]
||[[चित्र:Pandit-Govind-Ballabh-Pant.jpg|100px|right|गोविंद बल्लभ पंत]] गोविंद बल्लभ पंत प्रसिद्ध स्वतन्त्रता सेनानी और [[उत्तर प्रदेश]] के प्रथम मुख्यमंत्री थे। गोविंद वल्लभ पंत जी अगस्त 15, 1947 - मई 27, 1964 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। अपने संकल्प और साहस के मशहूर पंत जी का जन्म वर्तमान [[उत्तराखंड]] राज्य के [[अल्मोड़ा ज़िला|अल्मोडा ज़िले]] के खूंट (धामस) नामक गाँव में हुआ था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[गोविंद बल्लभ पंत]]
{डॉ. कृष्ण शंकर शुक्ल ने आचार्य [[केशवदास]] पर एक समीक्षात्मक पुस्तक लिखी थी, उस पुस्तक का नाम है?
|type="()"}
-केशव का आचार्यत्व
-केशव की प्रतिभा
-केशव की कला
+केशव की काव्यकला
{'आत्मनिर्भरता' निबंध के रचनाकार हैं?
|type="()"}
-[[महावीर प्रसाद द्विवेदी]]
-[[रामचन्द्र शुक्ल]]
-अजित कुमार
+बालकृष्ण भट्ट
{'समांतर कहानी' के प्रवर्तक कौन थे?
|type="()"}
+कमलेश्वर
-हिमांशु जोशी
-मोहन राकेश
-मन्मथनाथ गुप्त
{'श्रद्धा' किस कृति की नायिका हैं-
|type="()"}
+ कामायनी
- कुरुक्षेत्र
- साकेत
- [[रामायण]]
{'तरुवर फल नहिं खात है, सरवर पियहिं न पान'। इस पंक्ति के रचयिता हैं-
|type="()"}
+[[रहीम]]
-[[कबीरदास]]
-[[बिहारीलाल|बिहारी]]
-[[रसखान]]
{'तरनि-तनूजा-तट तमाल तरुवर बहु छाए'। इस पंक्ति के रचयिता हैं-
|type="()"}
+[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]]
-[[रामधारी सिंह 'दिनकर']]
-[[माखनलाल चतुर्वेदी]]
-राम नरेश त्रिपाठी
{[[भूषण]] की कविता का प्रधान स्वर है-
|type="()"}
-व्यंग्यात्मक
+प्रशस्तिपरक
-कारुणिक
-श्रृंगारिक
{[[भक्तिकाल]] की रामाश्रयी शाखा के निम्नलिखित में से कौन-से कवि हैं?
|type="()"}
-[[सूरदास]]
-[[मीराबाई]]
-[[मलिक मुहम्मद जायसी|जायसी]]
+[[तुलसीदास]]
|| [[चित्र:Tulsidas.jpg|right|70px|गोस्वामी तुलसीदास]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532?) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]]
{[[भक्तिकाल]] में एक ऐसा कवि हुआ, जिसने अपने भाव व्यक्त करने के लिए [[उर्दू भाषा|उर्दू]], [[फ़ारसी भाषा|फ़ारसी]], खड़ीबोली आदि के शब्दों का मुक्त उपयोग किया है?
|type="()"}
-[[तुलसीदास]]
-[[जायसी]]
-[[सूरदास]]
+[[कबीर]]
||महात्मा कबीरदास के जन्म के समय में [[भारत]] की राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक एवं धार्मिक दशा शोचनीय थी। एक तरफ मुसलमान शासकों की धर्मांन्धता से जनता परेशान थी और दूसरी तरफ [[हिन्दू धर्म]] के कर्मकांड, विधान और पाखंड से धर्म का ह्रास हो रहा था। जनता में भक्ति- भावनाओं का सर्वथा अभाव था। पंडितों के पाखंडपूर्ण वचन समाज में फैले थे। ऐसे संघर्ष के समय में, कबीरदास का प्रार्दुभाव हुआ।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[कबीरदास]]
{[[हिन्दी]] के प्रथम गद्यकार हैं-
|type="()"}
-राजा शिवप्रसाद 'सितारेहिन्द'
+लल्लूलाल
-बालकृष्ण भट्ट
-[[भारतेन्दु हरिश्चन्द्र]]
{'राग दरबारी' उपन्यास के रचयिता हैं-
|type="()"}
-राही मासूम राजा
+श्रीलाल शुक्ल
-हरिशंकर परसाई
-शरद जोशी
{'पूस की रात' कहानी के रचनाकार हैं-
|type="()"}
+[[प्रेमचन्द]]
-[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला]]
-[[शिवपूजन सहाय]]
-[[जयशंकर प्रसाद]]
|| [[चित्र:Premchand.jpg|right|80px|मुंशी प्रेमचंद]] [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा।<br />प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]]
{'पंच परमेश्वर' के लेखक हैं-
|type="()"}
-[[रामधारी सिंह 'दिनकर']]
+[[प्रेमचन्द]]
-[[मैथिलीशरण गुप्त]]
-[[सुमित्रानंदन पंत]]
|| [[चित्र:Premchand.jpg|right|80px|मुंशी प्रेमचंद]] [[भारत]] के उपन्यास सम्राट '''मुंशी प्रेमचंद''' (जन्म- [[31 जुलाई]], [[1880]] - मृत्यु- [[8 अक्टूबर]], [[1936]]) के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है। इस युग में भारत का स्वतंत्रता-संग्राम नई मंज़िलों से गुज़रा। प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे। बीसवीं शती के पूर्वार्द्ध में जब [[हिन्दी]] में काम करने की तकनीकी सुविधाएँ नहीं थीं फिर भी इतना काम करने वाला लेखक उनके सिवा कोई दूसरा नहीं हुआ। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[मुंशी प्रेमचंद|प्रेमचंद]]
{'तोड़ती पत्थर' (कविता) के कवि हैं-
|type="()"}
-सुभद्रा कुमारी चौहान
-[[महादेवी वर्मा]]
+[[सूर्यकांत त्रिपाठी निराला|सूर्यकांत त्रिपाठी 'निराला']]
-[[माखन लाल चतुर्वेदी]]
|| [[चित्र:Suryakant Tripathi Nirala.jpg|सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला|100px|right]] [[हिन्दी]] के छायावादी कवियों में 'सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला' कई दृष्टियों से विशेष महत्त्वपूर्ण हैं। वे एक कवि, [[उपन्यासकार]], निबन्धकार और कहानीकार थे। उन्होंने कई रेखाचित्र भी बनाये। उनका व्यक्तित्व अतिशय विद्रोही और क्रान्तिकारी तत्त्वों से निर्मित हुआ है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[सूर्यकान्त त्रिपाठी निराला]]
{'हार की जीत' (कहानी) के कहानीकार हैं-
|type="()"}
+सुदर्शन
-यादवेन्द्र शर्मा 'चन्द्र'
-कमलेश्वर
-रांगेय राघव
{'रानी केतकी की कहानी' के रचयिता हैं-
|type="()"}
-वृन्दावन लाल वर्मा
-किशोरी लाल गोस्वामी
+[[इंशा अल्ला ख़ाँ]]
-माधव राव सप्रे
{'शिव शंभु के चिट्ठे' से संबंधित रचनाकार हैं-
|type="()"}
-बाबू तोता राम
-केशव राम भट्ट
+बाल मुकुन्द गुप्त
-अम्बिका दत्त व्यास
{'रसिक प्रिया' के रचयिता हैं-
|type="()"}
+[[केशवदास]]
-मलूक दास
-[[दादू दयाल]]
-[[बिहारी लाल]]
{'कुटज' के रचयिता हैं-
|type="()"}
-शांति प्रिय द्विवेदी
+[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]]
-विद्या निवास मिश्र
-कुबेरनाथ राय
|| [[चित्र:Hazari Prasad Dwivedi.JPG|डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी|100px|right]]  डॉ. हजारी प्रसाद द्विवेदी [[हिन्दी]] के शीर्षस्थानीय साहित्यकारों में से हैं। वे उच्चकोटि के निबन्धकार, उपन्यास लेखक, आलोचक, चिन्तक तथा शोधकर्ता हैं। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[हजारी प्रसाद द्विवेदी]]
{मसि कागद छुयो नहीं कलम गही नहिं हाथ॥ प्रस्तुत पंक्ति के रचयिता हैं?
|type="()"}
-[[दादू दयाल]]
-[[रैदास]]
+[[कबीरदास]]
-सुन्दर दास
{'चन्दन विष व्यापत नहीं, लिपटे रहत भुजंग'। इस पंक्ति के रचयिता हैं-
|type="()"}
-[[सूरदास]]
-[[बिहारीलाल]]
-[[कबीर]]
+[[रहीम]]
|| [[चित्र:Abdul-Rahim.jpg|अब्दुर्रहीम खां|60px|right]] [[हिन्दी]] के प्रसिद्ध कवि अब्दुर्रहीम ख़ां का जन्म [[17 दिसम्बर]], 1556 ई. में हुआ था। [[अकबर]] के दरबार में इनका महत्त्वपूर्ण स्थान था। [[गुजरात]] के युद्ध में शौर्य प्रदर्शन के कारण अकबर ने इन्हें 'ख़ानखाना' की उपाधि दी थी। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रहीम]]
{'जब-जब होय धर्म की हानी, बाढ़हिं असुर अधम अभिमानी'। इस पंक्ति के रचयिता हैं-
|type="()"}
-[[रसखान]]
+[[तुलसीदास]]
-[[बिहारीलाल]]
-[[कबीर]]
|| [[चित्र:Tulsidas.jpg|100px|गोस्वामी तुलसीदास|right]] गोस्वामी तुलसीदास [1497(1532) - 1623] एक महान कवि थे। उनका जन्म राजापुर, (वर्तमान बाँदा ज़िला) [[उत्तर प्रदेश]] में हुआ था। तुलसी का बचपन बड़े कष्टों में बीता। माता-पिता दोनों चल बसे और इन्हें भीख मांगकर अपना पेट पालना पड़ा था। इसी बीच इनका परिचय राम-भक्त साधुओं से हुआ और इन्हें ज्ञानार्जन का अनुपम अवसर मिल गया। पत्नी के व्यंग्यबाणों से विरक्त होने की लोकप्रचलित कथा को कोई प्रमाण नहीं मिलता। अपने जीवनकाल में तुलसीदास जी ने 12 ग्रन्थ लिखे और उन्हें [[संस्कृत]] विद्वान होने के साथ ही [[हिन्दी भाषा]] के प्रसिद्ध और सर्वश्रेष्ट कवियों में एक माना जाता है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[तुलसीदास]]
{"यदि चादर के बाहर........पसारोगे तो पछताओगे"
|type="()"}
-हाथ
-बाजु
-टाँग
+पैर
{(वाक्य में उचित विराम चिन्ह लगाएँ) उसने एम ए बी एड पास किया है?
|type="()"}
-एम. ए., बी. एड.
+एम.ए., बी.एड
-एम ए., बी. एड.
-एम. ए., बीएड
{'महाभोज' रचना की प्रधान समस्या को उजागर करने वाले विकल्प को चुनिए?
|type="()"}
-भ्रष्टाचार की समस्या
-नारी समस्या
+राजनीतिक समस्या
-मनौवैज्ञानिक समस्या
{अर्द्धसम मात्रिक जाति का छन्द है-
|type="()"}
-रोला
+दोहा
-चौपाई
-कुण्डलिया
{'तोड़ती पत्थर' कैसी कविता है?
|type="()"}
-व्यंग्यपरक
-उपदेशात्मक
+यथार्थवादी
-आदर्शवादी
{[[अवधी भाषा]] के सर्वाधिक लोकप्रिय महाकाव्य का नाम है-
|type="()"}
-पद्मावत
-मधुमालती
-मृगावती
+[[रामचरितमानस]]
|| [[चित्र:Tulsidas.jpg|right|100px|गोस्वामी तुलसीदास]] 'रामचरितमानस' [[तुलसीदास]] की सबसे प्रमुख कृति है। इसकी रचना संम्वत 1631 ई. की [[रामनवमी]] को [[अयोध्या]] में प्रारम्भ हुई थी, किन्तु इसका कुछ अंश [[काशी]] (वाराणसी) में भी निर्मित हुआ था। यह इसके [[किष्किन्धा काण्ड वा. रा.|किष्किन्धा काण्ड]] के प्रारम्भ में आने वाले एक सोरठे से निकलती है, उसमें काशी सेवन का उल्लेख है। इसकी समाप्ति संम्वत 1633 ई. की मार्गशीर्ष, शुक्ल 5, रविवार को हुई थी, किन्तु उक्त तिथि गणना से शुद्ध नहीं ठहरती, इसलिए विश्वसनीय नहीं कही जा सकती। यह रचना [[अवधी भाषा|अवधी बोली]] में लिखी गयी है। इसके मुख्य छन्द चौपाई और दोहा हैं, बीच-बीच में कुछ अन्य प्रकार के भी छन्दों का प्रयोग हुआ है। प्राय: 8 या अधिक अर्द्धलियों के बाद दोहा होता है और इन दोहों के साथ कड़वक संख्या दी गयी है। इस प्रकार के समस्त कड़वकों की संख्या 1074 है। {{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:- [[रामचरितमानस]]
{विद्यापति की 'पदावली' की भाषा क्या है?
|type="()"}
+[[मैथिली भाषा|मैथिली]]
-[[भोजपुरी भाषा|भोजपुरी]]
-[[ब्रजभाषा]]
-मगही
{'शेष कादम्बरी' के रचयिता हैं?
|type="()"}
-नरेश मेहता
-[[हजारी प्रसाद द्विवेदी]]
-[[बाणभट्ट]]
+अलका सरावगी
{'[[मुख]] रूपी चाँद पर राहु भी धोखा खा गया' पंक्तियों में अलंकार है-
|type="()"}
-श्लेष
-वक्रोक्ति
-उपमा
+रूपक
{जहाँ किसी वस्तु का लोक-सीमा से इतना बढ़कर वर्णन किया जाए कि वह असम्भव की सीमा तक पहुँच जाए, वहाँ अलंकार होता है-
|type="()"}
-[[अतिशयोक्ति अलंकार|अतिशयोक्ति]]
-विरोधाभास
+अत्युक्ति
-[[उत्प्रेक्षा अलंकार|उत्प्रेक्षा]]
</quiz>
|}
|}

Latest revision as of 15:30, 17 July 2011