User:लक्ष्मी गोस्वामी/अभ्यास6: Difference between revisions

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{{सूचना बक्सा स्वतन्त्रता सेनानी
|चित्र=Vinoba-Bhave-2.jpg
|चित्र का नाम=विनायक नरहरि भावे
|पूरा नाम=विनायक नरहरि भावे
|अन्य नाम=विनोबा भावे
|जन्म=[[11 सितंबर]], 1895
|जन्म भूमि=गाहोदे ([[गुजरात]]), [[भारत]]
|मृत्यु=[[15 नवम्बर]], 1982
|मृत्यु स्थान=वर्धा [[महाराष्ट्र]]
|मृत्यु कारण=
|अविभावक=नरहरि भावे
|पति/पत्नी=
|संतान=
|स्मारक=
|क़ब्र=
|नागरिकता=भारतीय
|प्रसिद्धि=
|धर्म=
|आंदोलन=भूदान यज्ञ
|जेल यात्रा=1920 और 1930 के दशक में भावे कई बार जेल गए और 1940 में पाँच साल के लिए जेल जाना पड़ा।
|शिक्षा=हाई स्कूल
|पुरस्कार-उपाधि=[[भारत रत्न]],प्रथम मैग्सायसाय पुरस्कार
|कार्य काल=
|विद्यालय=
|विशेष योगदान=
|संबंधित लेख=
|शीर्षक 1=
|पाठ 1=
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|पाठ 2=
|अन्य जानकारी=
|बाहरी कड़ियाँ=
|अद्यतन=
}}


विनोबा भावे  (जन्म [[11 सितंबर]], 1895- मृत्यु-[[15 नवम्बर]] 1982) [[महात्मा गांधी]] के आदरणीय अनुयायी, [[भारत]] के एक सर्वाधिक जाने-माने समाज सुधारक एवं 'भूदान यज्ञ' नामक आन्दोलन के संस्थापक थे।
==जीवन परिचय==
विनोबा भावे का जन्म  [[11 सितंबर]], 1895 को गाहोदे ([[गुजरात]]), [[भारत]] में हुआ था। विनोबा भावे का मूल नाम विनायक नरहरि भावे था।
==तपस्वी रूप==
एक कुलीन ब्राह्मण परिवार जन्मे विनोबा ने गांधी आश्रम में शामिल होने के लिए [[1916]] में हाई स्कूल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। गाँधीजी के उपदेशों ने भावे को भारतीय ग्रामीण जीवन के सुधार के लिए एक तपस्वी के रूप में जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित किया।
==जेल यात्रा==
[[1920]] और [[1930]] के दशक में भावे कई बार जेल गए और [[1940]] के दशक में ब्रिटिश शासन के ख़िलाफ़ अहिंसक आंदोलन का नेतृत्व करने के कारण पाँच साल के लिए जेल जाना पड़ा। उन्हें सम्मानपूर्वक आचार्य की उपाधि दी गई।
==भूमि का दान==
विनोबा भावे का भूदान आंदोलन का विचार [[1951]] में जन्मा। जब वह [[आन्ध्र प्रदेश]] के गाँवों में भ्रमण कर रहे थे, भूमिहीन अस्पृश्य लोगों या हरिजनों के एक समूह के लिए ज़मीन मुहैया कराने की अपील के जवाब में एक ज़मींदार ने उन्हें एक एकड़ ज़मीन देने का प्रस्ताव दिया। इसके बाद वह गाँव-गाँव घूमकर भूमिहीन लोगों के लिए भूमि का दान करने की अपील करने लगे और उन्होंने इस दान को गांधीजी के अहिंसा के सिद्धान्त से संबंधित कार्य बताया। भावे के अनुसार, यह भूमि सुधार कार्यक्रम हृदय परिवर्तन के तहत होना चाहिए न कि इस ज़मीन के बँटवारे से बड़े स्तर पर होने वाली कृषि के तार्किक कार्यक्रमों में अवरोध आएगा, लेकिन भावे ने घोषणा की कि वह हृदय के बँटवारे की तुलना में ज़मीन के बँतवारे को ज़्यादा पसंद करते हैं। हालांकि बाद में उन्होंने लोगों को 'ग्रामदान' के लिए प्रोत्साहित किया, जिसमें ग्रामीण लोग अपनी भूमि को एक साथ मिलाने के बाद उसे सहकारी प्रणाली के अंतर्गत पुनर्गठित करते।
==मौन व्रत==
[[1975]] में पूरे वर्ष भर अपने अनुयायियों के राजनीतिक आंदोलनों में शामिल होने के मुद्दे पर भावे ने मौन व्रत रखा। [[1979]] के एक आमरण अनशन के परिणामस्वरूप सरकार ने समुचे [[भारत]] में गो-हत्या पर निषेध लगाने हेतु क़ानून पारित करने का आश्वासन दिया।
==मौलिक कार्यक्रम==
विनोबा भावे के मौलिक कार्यक्रम और जीवन के उनके दर्शन को एक लेखों की श्रृंखला में समझाया गया है, जिन्हें भूदान यज्ञ ([[1953]]) नामक एक पुस्तक में संगृहीत एवं प्रकाशित किया गया है।
==सम्मान एवं पुरस्कार==
विनोबा को 1958 में प्रथम मैग्सायसाय पुरस्कार से सम्मानित किया गया। भारत सरकार ने उन्हें देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से 1983 में मरणोपरांत सम्मानित किया।
==मृत्यु==
विनोबा भावे की मृत्यु [[15 नवम्बर]] [[1982]], वर्धा [[महाराष्ट्र]] में हुई थी।
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{{लेख प्रगति
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==संबंधित लेख==
{{भारत रत्‍न}}{{भारत रत्‍न2}}{{समाज सुधारक}}{{रेमन मैग्सेसे पुरस्कार}}{{स्वतन्त्रता सेनानी}}
[[Category:भारत रत्न सम्मान]][[Category:समाज सुधारक]][[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व]] [[Category:प्रसिद्ध व्यक्तित्व कोश]][[Category:चरित कोश]]
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Latest revision as of 09:25, 27 November 2011