User:लक्ष्मी गोस्वामी/अभ्यास3: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
No edit summary
(पन्ने को खाली किया)
 
(56 intermediate revisions by 5 users not shown)
Line 1: Line 1:
==महाभारत==
{| class="bharattable-green" width="100%"
|-
| valign="top"|
{| width="100%"
|
<quiz display=simple>
{[[सूर्य]] और [[कुंती]] का पुत्र कौन है?
|type="()"}
-[[युधिष्ठिर]]
-[[अर्जुन]]
+वसुषेण
-[[भीम]]


{[[भीष्म]] थे?
|type="()"}
-बारहवें आदित्य
+आठवें वसु
-अश्विनी कुमार
-चोथे रुद्र
{[[युधिष्ठिर]] के [[अश्वमेध यज्ञ]] में निन्दा करने वाले नेवले का नाम एक [[पाण्डव]] का भी था?
|type="()"}
-[[अर्जुन]]
-[[सहदेव]]
+[[नकुल]]
-[[भीम]]
{[[कुबेर]] के पुत्र का नाम था?
|type="()"}
-[[नील]]
-युयुत्सु
+नलकूबर
-[[धृष्टद्युम्न]]
{[[उर्वशी]]-[[पुरुरवा]] के पुत्र का नाम था?
|type="()"}
+शतायु
-[[जटायु]]
-[[वातापि]]
-[[इल्वल]]
{[[द्रोणाचार्य]] का वध [[महाभारत]] में युद्ध के कौन से दिन हुआ था?
|type="()"}
-11वें दिन
-13वें दिन
-10वें दिन
+15वें दिन
{भोजन बनाने में किस [[पाण्डव]] को महारथ हासिल थी?
|type="()"}
-[[अर्जुन]]
+[[भीम]]
-[[युधिष्ठिर]]
-[[नकुल]]
||[[चित्र:Bhim-Dushasan.jpg|भीम द्वारा दुःशासन वध|100px|right]]भीम बलशाली होने के साथ-साथ बहुत अच्छा रसोइया भी था। [[विराट नगर]] में जब [[अज्ञातवास]] के समय जब [[द्रौपदी]] [[सैरंध्री]] बनकर रह रही थी, द्रौपदी के शील की रक्षा करते हुए उसने [[कीचक]] को भी मारा था।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[भीम]]
{संकर्षण किसका नाम था?
|type="()"}
-[[अर्जुन]]
-[[दुर्योधन]]
+[[बलराम]]
-[[भीम]]
||[[चित्र:Balarama.jpg|बलराम|100px|right]]बलराम- नारायणीयोपाख्यान में वर्णित व्यूहसिद्धान्त के अनुसार [[विष्णु]] के चार रूपों में दूसरा रूप 'संकर्षण' (प्रकृति = आदितत्त्व) है। संकर्षण बलराम का अन्य नाम है जो [[कृष्ण]] के भाई थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[बलराम]]
{[[संज्ञा (सूर्य की पत्नी)|संज्ञा]] और छाया किसकी पत्नियाँ थी?
|type="()"}
-[[इन्द्र]]
+[[सूर्य]]
-[[यक्ष]]
-[[शिव]]
||[[चित्र:Surya.jpg|सूर्य|100px|right]][[कश्यप|महर्षि कश्यप]] लोक पिता हैं। उनकी पत्नी देवमाता [[अदिति]] के गर्भ से भगवान विराट के नेत्रों से व्यक्त सूर्यदेव जगत में प्रकट हुए। सूर्य मण्डल का दृश्य रूप भौतिक जगत में उनकी देह है। [[विश्वकर्मा]] की पुत्री [[संज्ञा]] से उनका परिणय हुआ। संज्ञा के दो पुत्र और एक कन्या हुई- श्राद्धदेव वैवस्वतमनु और [[यमराज]] तथा [[यमुना]] जी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[सूर्य]]
{[[अर्जुन]] ने अपने पिता [[इन्द्र]] से किस वन को जलाने के लिए युद्ध किया था?
|type="()"}
+[[खाण्डव वन]]
-उपवन
-[[काम्यकवन]]
-[[वृन्दावन]]
||श्वैतकि के यज्ञ में निरंतर बारह वर्षों तक घृतपान करने के उप्ररांत [[अग्नि देवता]] को तृप्ति के साथ-साथ अपच हो गया। उन्हें किसी का हविष्य ग्रहण करने की इच्छा नहीं रही। स्वास्थ्य की कामना से [[अग्निदेव]] [[ब्रह्मा]] के पास गये। ब्रह्मा ने कहा की यदि वे खांडव वन को जला देंगे तो वहाँ रहने वाले विभिन्न जंतुओं से तृप्त होने पर उनकी अरुचि भी समाप्त हो जायेगी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[खाण्डव वन]]
{[[जरासंध]] कौन से [[महाजनपद]] का राजा था?
|type="()"}
-कौसल
-[[शूरसेन]]
-कैकेय
+[[मगध महाजनपद|मगध]]
||[[चित्र:Magadha-Map.jpg|मगध|100px|right]]मगध प्राचीन [[भारत]] के [[सोलह महाजनपद]] में से एक था। [[बौद्ध]] काल तथा परवर्तीकाल में उत्तरी भारत का सबसे अधिक शक्तिशाली जनपद था।  इसकी स्थिति स्थूल रूप से दक्षिण बिहार के प्रदेश में थी। आधुनिक [[पटना]] तथा [[गया ज़िला]] इसमें शामिल थे। इसकी राजधानी गिरिव्रज थी। भगवान [[बुद्ध]] के पूर्व बृहद्रथ तथा जरासंध यहाँ के प्रतिष्ठित राजा थे।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[मगध महाजनपद|मगध]]
{[[महाभारत]] के अठारहवें दिन के युद्ध का कौरव सेना का सेनापत्तित्व किसने किया था?
|type="()"}
-[[कृपाचार्य]]
+[[शल्य]]-[[अश्वत्थामा]]
-[[दु:शासन]]
-[[जयद्रथ]]-[[जरासंध]]
||कर्ण-वध के उपरांत [[कौरव|कौरवों]] ने [[अश्वत्थामा]] के कहने से शल्य को सेनापति बनाया। [[कृष्ण]] ने [[युधिष्ठिर]] को शल्य-वध के लिए उत्साहित करते हुए कहा कि इस समय यह बात भूल जानी चाहिए कि वह [[पांडव|पांडवों]] का मामा है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[शल्य]]
||[[महाभारत]] का अठारह दिन तक युद्ध चलता रहा। अश्वत्थामा को जब [[दुर्योधन]] के अधर्म-पूर्वक किये गये वध के विषय में पता चला तो वे क्रोध से अंधे हो गये। उन्होंने शिविर में सोते हुए समस्त पांचालों को मार डाला। द्रौपदी को समाचार मिला तो उसने आमरण अनशन कर लिया और कहा कि वह अनशन तभी तोड़ेगी, जब कि अश्वत्थामा के मस्तक पर सदैव बनी रहने वाली मणि उसे प्राप्त होगी।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[अश्वत्थामा]]
{[[महाभारत]] युद्ध में इनमें से कौन जीवित बचा?
|type="()"}
-[[कर्ण]]
-[[द्रोणाचार्य]]
-[[घटोत्कच]]
+[[कृपाचार्य]]
||[[महाभारत]] युद्ध में कृपाचार्य [[कौरव|कौरवों]] की ओर से सक्रिय थे। [[कर्ण]] के वधोपरांत उन्होंने [[दुर्योधन]] को बहुत समझाया कि उसे [[पांडव|पांडवों]] से संधि कर लेनी चाहिए किंतु दुर्योधन ने अपने किये हुए अन्यायों को याद कर कहा कि न पांडव इन बातों को भूल सकते हैं और न उसे क्षमा कर सकते हैं।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[कृपाचार्य]]
{तूणीर कहते है?
|type="()"}
-तलवार के खोल को
-एक प्रकार की पहाड़ी को
+बाण रखने के खोल को
-एक प्रकार का प्रक्षेपास्त्र
{[[युधिष्ठिर]] को [[राजसूय यज्ञ]] करने की सलाह किसने दी थी?
|type="()"}
+[[नारद]]
-[[व्यास]]
-[[कृष्ण]]
-[[विदुर]]
||[[चित्र:Narada-Muni.jpg|नारद|100px|right]]महायोगी नारद जी [[ब्रह्मा]] जी के मानसपुत्र हैं। वे प्रत्येक [[युग]] में भगवान की भक्ति और उनकी महिमा का विस्तार करते हुए लोक-कल्याण के लिए सर्वदा सर्वत्र विचरण किया करते हैं। भक्ति तथा संकीर्तन के ये आद्य-आचार्य हैं। इनकी वीणा भगवन जप 'महती' के नाम से विख्यात है।{{point}}अधिक जानकारी के लिए देखें:-[[नारद]]
</quiz>
|}
|}
__NOTOC__

Latest revision as of 06:17, 24 November 2011