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| सीखना
| | ==स्वागत!== |
| व्यक्ति हर दिन किसी ना किसी से कुछ सीख सकता है,व्यक्ति किसी से भी सीख सीखता है ,उम्र,पद और अनुभव ही पैमाना नहीं होता है
| | डॉ. राजेंद्र तेला जी<br /> |
| व्यक्तित्व में सुधार की कोई सीमा नहीं होती ,जब भी कोई यह समझ लेता है,उसे सब आता है या उसे सब आ गया है,अहम् मन में घर कर जाता है ,उसके व्यक्तित्व का विकास रुक जाता है और आगे बढ़ने के स्थान पर वह पीछे लौटने लगता है
| | भारतकोश पर आपका स्वागत है! यह पृष्ठ आपसे वार्ता करने हेतु है अत: इसका यही प्रयोग होना चाहिये। यदि भारतकोश पर सम्पादन संबंधी कोई समस्या हो तो आप [[सदस्य वार्ता:गोविन्द राम|मेरे वार्ता पन्ने]] पर लिखें [[चित्र:nib4.png|35px|top|link=User:गोविन्द राम]]<span class="sign">[[User:गोविन्द राम|गोविन्द राम]] - <small>[[सदस्य वार्ता:गोविन्द राम|वार्ता]]</small></span> 16:59, 20 नवम्बर 2012 (IST) |
| सीखने के लिए ह्रदय और मस्तिष्क के द्वार खुले रहने चाहिए,यह आवश्यक नहीं है कि आप किसी की बात से सहमत हों सामने वाले की बात को ध्यान से सुनना चाहिए .
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| डा.राजेंद्र तेला"निरंतर"[[Category:सीखना]]
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| == सहमती -असहमती ==
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| किसी प्रश्न के उत्तर में
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| या विषय पर
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| मौन रहना,सहमती माना जा
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| सकता है
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| असहमत हो तो,मौन ना रहे
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| अपने विचार
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| अवश्य प्रकट करने चाहिए
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| वो भी इस तरह से कि
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| जिससे आप सहमत ना हो
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| उसे बुरा नहीं लगे
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| डा राजेंद्र तेला,"निरंतर”[[Category:अनमोल_वचन]][[Category:सहमती -असहमती]]
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| == पहल ==
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| टकराव को
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| समाप्त करना हो
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| आगे बढना हो
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| तो सुलह के लिए
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| खुले दिमाग से ,
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| आगे हो कर पहल करें
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| अन्यथा
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| टकराव और हठ से
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| होने वाले नुक्सान को
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| भुगतने के लिए
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| तैयार रहे
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| डा राजेंद्र तेला,"निरंतर”[[Category:अनमोल_वचन]][[Category पहल]][[Category टकराव]]
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| == मनोविकार == | |
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| शरीर के विकार की
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| चिकित्सा दवा से होती है
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| मनोविकार की चिकित्सा
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| ध्यान,आत्म चिंतन
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| आत्म अन्वेषण
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| से होती है
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| 29-11-2011-42
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| डा राजेंद्र तेला,"निरंतर”[[Category:मनोविकार]][[Category:अनमोल_वचन]][[Category:अनमोल_वचन]]
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| जिस प्रकार
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| भरे हुए संदूक में
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| सामान रखने के लिए
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| कुछ सामान बाहर
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| निकालना पडेगा
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| उसी प्रकार
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| मानसिक शांती के लिए
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| पुरानी बातों को
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| मष्तिष्क से बाहर
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| निकालना
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| आवश्यक होता है
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| उन्हें भूलना पड़ता है
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| मन मष्तिष्क को
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| शांत रखने के लिए
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| ध्यान करें
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| आत्म चिंतन और
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| आत्म अन्वेषण करें
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| परमात्मा में विश्वास रखें
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| समय सदा
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| एक सा नहीं रहता
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| मानसिक अशांती के
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| समय
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| मनपसंद कार्य में
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| मन लगाने का प्रयत्न करें
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| डा राजेंद्र तेला,"निरंतर”[[Category:मानसिक शांती]][[Category:अनमोल_वचन]]
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Latest revision as of 07:13, 22 November 2012