मेवाड़ की चित्रकला (तकनीकी): Difference between revisions

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====मेवाड़ की चित्रकला:रंग-निर्माण की तकनीक तथा विधियाँ====
#REDIRECT [[मेवाड़ की चित्रकला (तकनीकि)]]
 
'''मेवाड़ की चित्रकला''' के अंतर्गत चित्रों में यहाँ की विभिन्न प्रकार की [[मिट्टी|मिट्टियों]] तथा प्राकृतिक [[रंग|रंगों]] का सर्वाधिक प्रयोग मिलता है। इनमें लाल, काली, पीली, रामरज, सफ़ेद, मटमैला तथा विभिन्न रंगों के पत्थर हरा भाटा, हिंगलू आदि को बारीक पीसकर उसे आवश्यकतानुसार गोंद और पानी के साथ मिलाकर प्रयोग में लाने की अपनी निजि पद्धति रही है। इसके अतिरिक्त मेवाड़ के चित्रकार विभिन्न प्रकार के [[खनिज]], बहुमुल्य [[धातु|धातुएँ]], जैसे- [[सोना]], [[चाँदी]], रांगा, [[जस्ता]] तथा भूमि से प्राप्त अन्य रंगों का भी विधिवत निर्माण करते रहे हैं। इन तत्वों से बनने वाले रंग कीमती तथा टिकाऊ होते हैं। रंगों में हरा भाटा, पीला पत्थर एवं हिंगलू पत्थर अधिक कार्य आता था। स्वर्ण एवं चाँदी के पत्रों तथा सफ़ेद-हकीक को बारीक कणों में घोंट कर रंग तैयार किया जाता था।
 
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==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
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==बाहरी कड़ियाँ==
==संबंधित लेख==
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Latest revision as of 08:34, 5 July 2016