User talk:प्रोफेसर महावीर सरन जैन: Difference between revisions
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प्रोफेसर महावीर सरन जैन' (जन्म: 17 जनवरी, 1941) हिन्दी के अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वान एवं प्रख्यात भाषावैज्ञानिक हैं। वे भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। | प्रोफेसर महावीर सरन जैन' (जन्म: 17 जनवरी, 1941) हिन्दी के अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वान एवं प्रख्यात भाषावैज्ञानिक हैं। वे भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं। | ||
==परिचय== | |||
महावीर सरन जैन का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर में 17 जनवरी, 1941 को हुआ था । उनके परिवार में इला ( पत्नी), ऋचा ( बेटी) एवं मनु ( बेटा) हैं। | |||
प्रोफेसर जैन ने भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक, रोमानिया के बुकारेस्त विश्वविद्यालय के हिन्दी के विजिटिंग प्रोफेसर तथा जबलपुर के विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी एवं भाषा विज्ञान विभाग के लैक्चरर, रीडर तथा प्रोफेसर एवं अध्यक्ष के रूप में सन 1964 से 2001 तक कार्य किया तथा हिन्दी के अध्ययन, अध्यापन एवं अनुसंधान तथा हिन्दी के प्रचार-प्रसार-विकास के क्षेत्रों में भारत एवं विश्व स्तर पर योगदान दिया है। सेवा निवृत्त निदेशक, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, भारत सरकार, आगरा, पूर्व प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, स्नातकोत्तर हिन्दी एवं भाषा विज्ञान विभाग, विश्वविद्यालय, जबलपुर .पूर्व अधिष्ठाता, कला संकाय, विश्वविद्यालय, जबलपुर,पूर्व विजिटिंग प्रोफेसर (हिन्दी), बुकारेस्त विश्वविद्यालय, बुकारेस्त, रोमानिया देश विदेश के अनेक सम्मानों से सम्मानित प्रो. जैन ने मौलिक ग्रंथ, शोध निबंध, समीक्षा, भूमिका तथा लेख सभी कुछ लिखा है। विभिन्न विषयों पर आपकी पचास से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। | |||
प्रोफेसर महावीर सरन जैन ने भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक, रोमानिया के बुकारेस्त विश्वविद्यालय के हिन्दी के विजिटिंग प्रोफेसर तथा जबलपुर के विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी एवं भाषा विज्ञान विभाग के लैक्चरर, रीडर तथा प्रोफेसर एवम् अध्यक्ष के रूप में सन् 1964 से 2001 तक हिन्दी के अध्ययन, अध्यापन एवं अनुसंधान तथा हिन्दी के प्रचार-प्रसार-विकास के क्षेत्रों में भारत एवं विश्व स्तर पर कार्य किया है। | |||
प्रोफेसर जैन ने भारत सरकार के योजना आयोग के शिक्षा प्रभाग के आदेश क्रमांक No. M- 12015/9/95-Edn., दिनांक फरवरी 5, 1996 के द्वारा नवीं पंच वर्षीय योजना (1997 – 2002) के लिए Working Group on Language Development and Book Promotion के सदस्य के रूप में कार्य किया। | |||
http://www.teindia.nic.in/mhrd/50yrsedu/15/8P/AN/8PAN0501.htm | |||
प्रोफेसर जैन ने भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों की राजभाषा सलाहकार समितियों के सदस्य के रूप में कार्य करते हुए मंत्रालयों में राजभाषा हिन्दी के व्यवहार के लिए अनेक सुझाव दिए तथा राजभाषा हिन्दी के कार्यान्वयन के लिए अपनी भूमिका का निर्वाह किया। प्रोफेसर जैन ने भारत के अनेक विश्वविद्यालयों की विद्वत-परिषद, कला संकाय तथा चयन समिति के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। भारत के 25 से अधिक विश्वविद्यालयों के पी-एच. डी. एवं डी. लिट्. उपाधियों के लिए प्रस्तुत शताधिक शोध-प्रबंधों का परीक्षण-कार्य किया तथा अनेक संस्थाओं की विभिन्न समितियों में परामर्शदाता की भूमिका का निर्वाह किया। | |||
प्रकाशन : (क) ग्रन्थ एवं पुस्तक 046 | |||
(ख) शोध निबंध 195 | |||
(ग) चयनित लेख 147 | |||
(घ) समीक्षा/भूमिका/आमुख 056 | |||
सेमीनार, कार्यशालाओं | |||
में भागीदारी : प्रोफेसर जैन ने सन् 1964 ई. से निरन्तर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय महत्व की संगोष्ठियों, सम्मेलनों तथा कार्यशालाओं में भाग लिया। प्रोफेसर जैन ने 18 देशों का भ्रमण कर वहाँ की संस्थाओं में हिन्दी एवं भारतीय संस्कृति सम्बन्धित विषयों में व्याख्यान दिये। प्रोफेसर जैन ने संगोष्ठियों एवं वार्षिक अधिवेशनों की अध्यक्षता की अथवा उनमें प्रमुख अतिथि के रूप में उद्घाटन भाषण/मुख्य व्याख्यान दिया। | |||
सम्मान : पुरस्कार एवं अलंकरणः | |||
1.उत्तर प्रदेश के हिन्दी संस्थान के साहित्य भूषण पुरस्कार से सम्मानित | |||
2. भारतीय शिक्षा परिषद्, उत्तर प्रदेश द्वारा परिषद् की सर्वोच्च मानद उपाधि (साहित्य वाचस्पति) से लखनऊ में अलंकृत | |||
3. American Biographical Institute द्वारा 'International Cultural Diploma of Honor' से अलंकृत | |||
4. डॉक्टर भीमराव अम्बेदकर विश्वविद्यालय, आगरा द्वारा भाषा एवं संस्कृति के क्षेत्र में योगदान के लिए आगरा में ब्रज विभूति सम्मान से अलंकृत | |||
5. भारतीय राजदूतावास, बुकारेस्त (रोमानिया) द्वारा बुकारेस्त विश्वविद्यालय में हिन्दी शिक्षण में योगदान के लिए स्वर्ण-पदक से अलंकृत | |||
सम्मानः | |||
1.आन्ध्र प्रदेश हिन्दी प्रचार सभा , हैदराबाद | |||
2. भारतीय संस्कृति संस्थान, दिल्ली | |||
3. असम राष्ट्रभाषा प्रचार समिति गोवाहाटी | |||
4. केरल हिन्दी प्रचार सभा तिरुवनंतपुरम् | |||
5. विशाखा हिन्दी परिषद् विशाखापत्तनम् | |||
6. चैन्नई की हिन्दी की संस्थाओं द्वारा दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, चैन्नई में सम्मानित | |||
7. मणिपुर हिन्दी परिषद, इम्फाल | |||
8. प्रमुख भाषाविद्, साहित्य मनीषी, भारतीय संस्कृति के पुरोधा, विद्वद्वरेण्य, सर्वधर्म समभाव के पक्षधर, पूर्वाग्रह-विग्रह-विरहित, माननीय प्रोफेसर (डॉ.) महावीर सरन जैन का आगरा में नागरिक सम्मान | |||
9. विश्व हिन्दी न्यास (अमेरिका) द्वारा अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के फ्रीमाण्ट में सम्मान। | |||
शोध निर्देशन : प्रोफेसर जैन के निर्देशन में 4 शोधकर्ता डी.लिट् की तथा 11 शोधकर्ता पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं। | |||
अन्य साहित्यिक उपलब्धियाँ : राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी भाषा के अखिल भारतीय स्वरूप की पहचान स्थापित करने, अखिल भारतीय व्यवहार तथा भारत की सामासिक संस्कृति की संवाहिका के रूप में इसका प्रचार-प्रसार करने एवं हिन्दी भाषा के साहित्य के साथ अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्यों का उच्चतर अध्ययन सम्पन्न करने तथा इन कार्यों के माध्यम से भारत की राष्ट्रीय एकता एवं एकीकरण में हिन्दी की भूमिका को सार्थक एवं सुदृढ़ रूप से विकसित करने हेतु प्रोफेसर जैन ने अनेक परियोजनाओं पर स्वयं कार्य किया है तथा अपने सहयोगियों/संस्थाओं को कार्य करने की प्रेरणा प्रदान की है। | |||
अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विदेशों में हिन्दी भाषा तथा उसके माध्यम से आधुनिक भारत की चेतना एवं उसके मूल्यों को प्रसारित करने की दिशा में प्रोफेसर जैन ने विभिन्न दिशाओं में कार्य सम्पन्न किए हैं। विश्व की भाषाओं की रिपोर्ट तैयार करने के लिए यूनेस्को ने हिन्दी की सर्वेक्षण रिपोर्ट भेजने के लिए भारत सरकार से आग्रह किया (पत्र दिनांक 13.07.1998)। भारत सरकार ने इस दायित्व के निर्वाह का कार्यभार केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक प्रोफेसर महावीर सरन जैन को सौंपा। प्रोफेसर जैन ने जो रिपोर्ट भेजी उससे यह सिद्ध हुआ कि प्रयोक्ताओं की दृष्टि से विश्व में चीनी भाषा के बाद दूसरा स्थान हिन्दी भाषा का है। | |||
[Words and Worlds: World Languages Review: Felix Marti, Jan 1, 2005 - 328 pages | |||
सम्पर्क : [email protected]] | |||
==भाषा-ज्ञान== | |||
हिन्दी, संस्कृत, पालि, अंग्रेजी, रोमानियन। | |||
====शैक्षिक योग्यताएँ==== | |||
शैक्षिक योग्यतायें : एम.ए. (हिन्दी) (1960), डी.फिल. (हिन्दी-भाषाविज्ञान) (1962), डी.लिट्. (हिन्दी-भाषाविज्ञान) (1967)। | |||
==स्वागत== | |||
भारतकोश पर आपका स्वागत है। ये आपका वार्ता पन्ना है। अत: इसकी पाठ्य सामग्री आप अपने सदस्य पन्ने पर डालें और अपने व्यक्तिगत विचार भारतकोश के अन्य लेखों में न जोड़ें। इसके लिए आप भारतकोश के प्रत्येक लेख पर उपलब्ध 'बाहरी कड़ियाँ' शीर्षक के अंतर्गत लिंक देकर अपने ब्लॉग पर पहुँचा सकते हैं। भारतकोश पर नये पन्ने [[भारतकोश:मानक|भारतकोश मानकों]] के अनुसार ही बनाएँ। [[चित्र:nib4.png|35px|top|link=User:गोविन्द राम]]<span class="sign">[[User:गोविन्द राम|गोविन्द राम]] - <small>[[सदस्य वार्ता:गोविन्द राम|वार्ता]]</small></span> 19:27, 29 जून 2013 (IST) | |||
==भारतखोज== | |||
प्रोफेसर महावीर सरन जैन जी<br /> | |||
आप अपने सभी लेख [http://khoj.bharatdiscovery.org/india/%E0%A4%AE%E0%A5%81%E0%A4%96%E0%A4%AA%E0%A5%83%E0%A4%B7%E0%A5%8D%E0%A4%A0 भारतखोज], जो भारतकोश की तरह ही भारतडिस्कवरी मिशन का एक अंग है पर लिख सकते हैं। जो स्वतंत्र लेखन-मुक्त विचार के लिए ही 'भारतकोश' के सदस्यों की माँग को ध्यान में रखते हुए बनाया गया। आपको वहाँ नया खाता खोलने की आवश्यकता नहीं है। अत: भारतकोश के सदस्य नाम और पासवर्ड से ही आप वहाँ सम्पादन कर सकते हैं। कृपया संदेश का जवाब अवश्य दें। [[चित्र:nib4.png|35px|top|link=User:गोविन्द राम]]<span class="sign">[[User:गोविन्द राम|गोविन्द राम]] - <small>[[सदस्य वार्ता:गोविन्द राम|वार्ता]]</small></span> 13:34, 30 जून 2013 (IST) | |||
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प्रोफेसर महावीर सरन जैन' (जन्म: 17 जनवरी, 1941) हिन्दी के अंतरराष्ट्रीय स्तर के विद्वान एवं प्रख्यात भाषावैज्ञानिक हैं। वे भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए हैं।
परिचय
महावीर सरन जैन का जन्म उत्तर प्रदेश के बुलन्दशहर में 17 जनवरी, 1941 को हुआ था । उनके परिवार में इला ( पत्नी), ऋचा ( बेटी) एवं मनु ( बेटा) हैं। प्रोफेसर जैन ने भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक, रोमानिया के बुकारेस्त विश्वविद्यालय के हिन्दी के विजिटिंग प्रोफेसर तथा जबलपुर के विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी एवं भाषा विज्ञान विभाग के लैक्चरर, रीडर तथा प्रोफेसर एवं अध्यक्ष के रूप में सन 1964 से 2001 तक कार्य किया तथा हिन्दी के अध्ययन, अध्यापन एवं अनुसंधान तथा हिन्दी के प्रचार-प्रसार-विकास के क्षेत्रों में भारत एवं विश्व स्तर पर योगदान दिया है। सेवा निवृत्त निदेशक, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान, भारत सरकार, आगरा, पूर्व प्रोफेसर एवं अध्यक्ष, स्नातकोत्तर हिन्दी एवं भाषा विज्ञान विभाग, विश्वविद्यालय, जबलपुर .पूर्व अधिष्ठाता, कला संकाय, विश्वविद्यालय, जबलपुर,पूर्व विजिटिंग प्रोफेसर (हिन्दी), बुकारेस्त विश्वविद्यालय, बुकारेस्त, रोमानिया देश विदेश के अनेक सम्मानों से सम्मानित प्रो. जैन ने मौलिक ग्रंथ, शोध निबंध, समीक्षा, भूमिका तथा लेख सभी कुछ लिखा है। विभिन्न विषयों पर आपकी पचास से अधिक पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। प्रोफेसर महावीर सरन जैन ने भारत सरकार के केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक, रोमानिया के बुकारेस्त विश्वविद्यालय के हिन्दी के विजिटिंग प्रोफेसर तथा जबलपुर के विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर हिन्दी एवं भाषा विज्ञान विभाग के लैक्चरर, रीडर तथा प्रोफेसर एवम् अध्यक्ष के रूप में सन् 1964 से 2001 तक हिन्दी के अध्ययन, अध्यापन एवं अनुसंधान तथा हिन्दी के प्रचार-प्रसार-विकास के क्षेत्रों में भारत एवं विश्व स्तर पर कार्य किया है। प्रोफेसर जैन ने भारत सरकार के योजना आयोग के शिक्षा प्रभाग के आदेश क्रमांक No. M- 12015/9/95-Edn., दिनांक फरवरी 5, 1996 के द्वारा नवीं पंच वर्षीय योजना (1997 – 2002) के लिए Working Group on Language Development and Book Promotion के सदस्य के रूप में कार्य किया। http://www.teindia.nic.in/mhrd/50yrsedu/15/8P/AN/8PAN0501.htm प्रोफेसर जैन ने भारत सरकार के अनेक मंत्रालयों की राजभाषा सलाहकार समितियों के सदस्य के रूप में कार्य करते हुए मंत्रालयों में राजभाषा हिन्दी के व्यवहार के लिए अनेक सुझाव दिए तथा राजभाषा हिन्दी के कार्यान्वयन के लिए अपनी भूमिका का निर्वाह किया। प्रोफेसर जैन ने भारत के अनेक विश्वविद्यालयों की विद्वत-परिषद, कला संकाय तथा चयन समिति के सदस्य के रूप में भी कार्य किया। भारत के 25 से अधिक विश्वविद्यालयों के पी-एच. डी. एवं डी. लिट्. उपाधियों के लिए प्रस्तुत शताधिक शोध-प्रबंधों का परीक्षण-कार्य किया तथा अनेक संस्थाओं की विभिन्न समितियों में परामर्शदाता की भूमिका का निर्वाह किया। प्रकाशन : (क) ग्रन्थ एवं पुस्तक 046 (ख) शोध निबंध 195 (ग) चयनित लेख 147 (घ) समीक्षा/भूमिका/आमुख 056 सेमीनार, कार्यशालाओं में भागीदारी : प्रोफेसर जैन ने सन् 1964 ई. से निरन्तर राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय महत्व की संगोष्ठियों, सम्मेलनों तथा कार्यशालाओं में भाग लिया। प्रोफेसर जैन ने 18 देशों का भ्रमण कर वहाँ की संस्थाओं में हिन्दी एवं भारतीय संस्कृति सम्बन्धित विषयों में व्याख्यान दिये। प्रोफेसर जैन ने संगोष्ठियों एवं वार्षिक अधिवेशनों की अध्यक्षता की अथवा उनमें प्रमुख अतिथि के रूप में उद्घाटन भाषण/मुख्य व्याख्यान दिया। सम्मान : पुरस्कार एवं अलंकरणः 1.उत्तर प्रदेश के हिन्दी संस्थान के साहित्य भूषण पुरस्कार से सम्मानित 2. भारतीय शिक्षा परिषद्, उत्तर प्रदेश द्वारा परिषद् की सर्वोच्च मानद उपाधि (साहित्य वाचस्पति) से लखनऊ में अलंकृत 3. American Biographical Institute द्वारा 'International Cultural Diploma of Honor' से अलंकृत 4. डॉक्टर भीमराव अम्बेदकर विश्वविद्यालय, आगरा द्वारा भाषा एवं संस्कृति के क्षेत्र में योगदान के लिए आगरा में ब्रज विभूति सम्मान से अलंकृत 5. भारतीय राजदूतावास, बुकारेस्त (रोमानिया) द्वारा बुकारेस्त विश्वविद्यालय में हिन्दी शिक्षण में योगदान के लिए स्वर्ण-पदक से अलंकृत सम्मानः 1.आन्ध्र प्रदेश हिन्दी प्रचार सभा , हैदराबाद 2. भारतीय संस्कृति संस्थान, दिल्ली 3. असम राष्ट्रभाषा प्रचार समिति गोवाहाटी 4. केरल हिन्दी प्रचार सभा तिरुवनंतपुरम् 5. विशाखा हिन्दी परिषद् विशाखापत्तनम् 6. चैन्नई की हिन्दी की संस्थाओं द्वारा दक्षिण भारत हिन्दी प्रचार सभा, चैन्नई में सम्मानित 7. मणिपुर हिन्दी परिषद, इम्फाल 8. प्रमुख भाषाविद्, साहित्य मनीषी, भारतीय संस्कृति के पुरोधा, विद्वद्वरेण्य, सर्वधर्म समभाव के पक्षधर, पूर्वाग्रह-विग्रह-विरहित, माननीय प्रोफेसर (डॉ.) महावीर सरन जैन का आगरा में नागरिक सम्मान 9. विश्व हिन्दी न्यास (अमेरिका) द्वारा अमेरिका के कैलिफोर्निया राज्य के फ्रीमाण्ट में सम्मान। शोध निर्देशन : प्रोफेसर जैन के निर्देशन में 4 शोधकर्ता डी.लिट् की तथा 11 शोधकर्ता पी-एच.डी. की उपाधि प्राप्त कर चुके हैं। अन्य साहित्यिक उपलब्धियाँ : राष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी भाषा के अखिल भारतीय स्वरूप की पहचान स्थापित करने, अखिल भारतीय व्यवहार तथा भारत की सामासिक संस्कृति की संवाहिका के रूप में इसका प्रचार-प्रसार करने एवं हिन्दी भाषा के साहित्य के साथ अन्य भारतीय भाषाओं के साहित्यों का उच्चतर अध्ययन सम्पन्न करने तथा इन कार्यों के माध्यम से भारत की राष्ट्रीय एकता एवं एकीकरण में हिन्दी की भूमिका को सार्थक एवं सुदृढ़ रूप से विकसित करने हेतु प्रोफेसर जैन ने अनेक परियोजनाओं पर स्वयं कार्य किया है तथा अपने सहयोगियों/संस्थाओं को कार्य करने की प्रेरणा प्रदान की है। अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर विदेशों में हिन्दी भाषा तथा उसके माध्यम से आधुनिक भारत की चेतना एवं उसके मूल्यों को प्रसारित करने की दिशा में प्रोफेसर जैन ने विभिन्न दिशाओं में कार्य सम्पन्न किए हैं। विश्व की भाषाओं की रिपोर्ट तैयार करने के लिए यूनेस्को ने हिन्दी की सर्वेक्षण रिपोर्ट भेजने के लिए भारत सरकार से आग्रह किया (पत्र दिनांक 13.07.1998)। भारत सरकार ने इस दायित्व के निर्वाह का कार्यभार केन्द्रीय हिन्दी संस्थान के निदेशक प्रोफेसर महावीर सरन जैन को सौंपा। प्रोफेसर जैन ने जो रिपोर्ट भेजी उससे यह सिद्ध हुआ कि प्रयोक्ताओं की दृष्टि से विश्व में चीनी भाषा के बाद दूसरा स्थान हिन्दी भाषा का है। [Words and Worlds: World Languages Review: Felix Marti, Jan 1, 2005 - 328 pages सम्पर्क : [email protected]]
भाषा-ज्ञान
हिन्दी, संस्कृत, पालि, अंग्रेजी, रोमानियन।
शैक्षिक योग्यताएँ
शैक्षिक योग्यतायें : एम.ए. (हिन्दी) (1960), डी.फिल. (हिन्दी-भाषाविज्ञान) (1962), डी.लिट्. (हिन्दी-भाषाविज्ञान) (1967)।
स्वागत
भारतकोश पर आपका स्वागत है। ये आपका वार्ता पन्ना है। अत: इसकी पाठ्य सामग्री आप अपने सदस्य पन्ने पर डालें और अपने व्यक्तिगत विचार भारतकोश के अन्य लेखों में न जोड़ें। इसके लिए आप भारतकोश के प्रत्येक लेख पर उपलब्ध 'बाहरी कड़ियाँ' शीर्षक के अंतर्गत लिंक देकर अपने ब्लॉग पर पहुँचा सकते हैं। भारतकोश पर नये पन्ने भारतकोश मानकों के अनुसार ही बनाएँ। 35px|top|link=User:गोविन्द रामगोविन्द राम - वार्ता 19:27, 29 जून 2013 (IST)
भारतखोज
प्रोफेसर महावीर सरन जैन जी
आप अपने सभी लेख भारतखोज, जो भारतकोश की तरह ही भारतडिस्कवरी मिशन का एक अंग है पर लिख सकते हैं। जो स्वतंत्र लेखन-मुक्त विचार के लिए ही 'भारतकोश' के सदस्यों की माँग को ध्यान में रखते हुए बनाया गया। आपको वहाँ नया खाता खोलने की आवश्यकता नहीं है। अत: भारतकोश के सदस्य नाम और पासवर्ड से ही आप वहाँ सम्पादन कर सकते हैं। कृपया संदेश का जवाब अवश्य दें। 35px|top|link=User:गोविन्द रामगोविन्द राम - वार्ता 13:34, 30 जून 2013 (IST)