प्रयोग:Shilpi2: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
No edit summary
(पन्ने को खाली किया)
 
(120 intermediate revisions by 8 users not shown)
Line 1: Line 1:
(2) परमाणु संरचना


*परमाणु (Atom)-  परमाणु, तत्त्व का वह छोटा से छोटा कण है, जो किसी भी रासायनिक अभिक्रिया में भाग ले सकता है परन्तु स्वतंत्र अवस्था में नही रह सकता है।
अणु (Molecule)- तत्त्व तथा यौगिक का वह छोटा से छोटा कण है, जो स्वतंत्र अवस्था में रह सकता है, अणु कहलाता है।
*परमाणु भार (Atomic  weight)- किसी तत्त्व का परमाणु भार वह संख्या है, जो यह प्रदर्शित करता है कि तत्त्व का एक परमाणु, कार्बन-12 के परमाणु के 1/12 भाग द्रव्यमान अथवा हाइड्रोजन के 1.008 भाग द्रव्यमान से कितना गुना भारी है।
*अणु भार (Molecular weight)- किसी पदार्थ का अणु भार वह संख्या है, जो यह प्रदर्शित करती है कि उस पदार्थ का एक अणु कार्बन-12 के एक परमाणु  के 1/12 भाग से कितना गुना भारी है।
*मोल धारणा (Mole concept)- एक मोल किसी भी निश्चित सूत्र वाले पदार्थ की वह राशि है, जिसमें इस पदार्थ के इकाई सूत्र की संख्या उतनी है, जिनकी शुद्ध कार्बन-12 आइसोटोप के ठीक 12 ग्राम में परमाणुओं की संख्या है।
*मोल इकाई का मान- मोल का मान 6.022 X1023  है। कार्बन के 12 ग्राम या एक मोल में 6.022 X1023  परमाणु हैं। 6.022 X1023  को आवोगाद्रो संख्या कहते हैं।
*मोल संख्या एवं द्रव्यमान दोनों का प्रतीक है। सन् 1967 में मोल को इकाई के रूप में स्वीकार किया गया।
*20वीं शताब्दी में आधुनिक खोजों के परिणामस्वरुप जे॰ जे॰ थॉमसन, रदरफोर्ड, चैडविक आदि वैज्ञानिकों ने यह सिद्ध कर दिया कि परमाणु विभाज्य है तथा मुख्यतः तीन मूल कणों से मिलकर बना है, जिन्हें
इलेक़्ट्रॉन, प्रोटॉन तथा न्यूट्रॉन कहते हैं।
प्रमुख मूल कणों के अभिलक्षण
{| class="wikitable" border="1"
|-
! मूल कण
! प्रतीक
! आवेश
! द्रव्यमान (ग्राम)
! द्रव्यमान (amu)
! खोजकर्ता
|-
| इलेक़्ट्रॉन
| -1e<sup>0</sup>
| -1
| 9.1095X10-28g
| 0.0005486
| जे॰ जे॰ थॉमसन
|-
| प्रोटॉन
| 1p<sup>1</sup>
| +1
| 1.6726X10-24g
| 1.0073335
| गोल्डस्टीन
|-
| न्यूट्रॉन
| 0n<sup>1</sup>
| 0
| 1.6749X10-24g
| 1.008724
| चैडविक (1932)
|}
*परमाणु क्रमांक (Atomic number)- किसी तत्त्व के परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों की संख्या को परमाणु क्रमांक कहते हैं।
*द्रव्यमान संख्या (Mass number)- किसी परमाणु के नाभिक में उपस्थित प्रोटॉनों और न्यूट्रोनों की संख्याओं का योग उस परमाणु की द्रव्यमान संख्या कहलाती है। अर्थात्
<blockquote>द्रव्यमान संख्या= प्रोटॉनों की संख्या + न्यूट्रॉनों की संख्या</blockquote>
*क्वाण्टम संख्या (Quantum Number)- स्पेक्ट्रम रेखाओं की सूक्ष्म प्रकृति समझाने तथा
इलेक़्ट्रॉन की ठीक-ठीक स्थिति का वर्णन करने हेतु चार क्वाण्टम संख्याओं का प्रयोग किया जाता है, ये हैं-
(अ) मुख्य क़्वाण्टम संख्या (Principal Quantum number), 'n'- यह इलेक़्ट्रॉन के मुख्य ऊर्जा स्तर को प्रदर्शित करती है।
(ब) दिगंशी क़्वाण्टम संख्या (Azimuthal Quantum number), 'l'- यह इलेक़्ट्रॉन कक्षक की आकृति को प्रकट करती है। 'l' का न्यूनतम मान शून्य तथा अधिकतम (n - 1) होता है।
(स) चुम्बकीय क़्वाण्टम संख्या (Magnetic Quantum number), 'm'- यह उप ऊर्जा स्तरों के कक्षकों को प्रदर्शित करती है। m का मान  l के मान पर निर्भर करता है। किसी l के लिए m का मान +l से लेकर -l तक होते है (शून्य सहित)।
(द) चक्रण क़्वाण्टम संख्या (Spin Quantum number), 's'- यह इलेक़्टॉन के चक्रण की दिशा को प्रदर्शित करती है। किसी चुम्बकीय क़्वाण्टम संख्या (m) के लिए चक्रण क़्वाण्टम संख्या (s) का मान +1/2 और -1/2 होता है।
*पाऊली का अपवर्जन नियम (Pauli's  exclusion principle, 1925)-  इसके अनुसार एक दिए गए परमाणु में किन्हीं दो इलेक़्ट्रॉनों के लिए चारों क़्वाण्टम संख्याओं का मान समान नहीं हो सकता। अतः यदि दो इलेक़्ट्रॉनों के n, l और m के मान एक ही हो, तो उनका चक्रण विपरित होगा।
*हुण्ड का अधिकतम बहुलता का नियम (Hund's rule of maximum multiplicity)- इसके अनुसार इलेक़्ट्रॉन तब तक युग्मित नहीं होते जब तक कि रिक्त कक्षक प्राप्य हैं अर्थात् जब तक सम्भव है, इलेक़्ट्रॉन अयुग्मित रहते हैं।
*हाइजेनवर्ग का अनिश्चितता सिद्धान्त (Heisenberg's uncertaninty principle)- इसके अनुसार किसी कण की स्थिति (position) और वेग (velocity) का एक साथ यथार्थ निर्धारण असंभव है।
*ऑफ़बाऊ नियम (Aufbau principle)-  इस नियम द्वारा तत्त्वों के इलेक़्ट्रॉनिक विन्यास लिखने के लिए विभिन्न परमाणु कक्षकों की ऊर्जा बढ़ने का क्रम इस प्रकार है-
1s<2s<2p<3s<3p<3p<4s<3d<4p<5s<4d<5p<6s<4f<5d<6p<7s
*समस्थानिक (Isotopes)- समान परमाणु क्रमांक परन्तु भिन्न परमाणु द्रव्यमानों के परमाणुओं को समस्थानिक कहते हैं। समस्थानिकों में प्रोटॉन की संख्या समान होती है, किन्तु न्यूट्रॉन की संख्या भिन्न होती है। जैसे-1H1, 1H2 तथा 1H3 समस्थानिक हैं।
*सबसे अधिक समस्थानिकों वाला तत्त्व पोलोनियम है।
*समभारिक (Isobars)- समान परमाणु द्रव्यमान परन्तु भिन्न परमाणु क्रमांक के परमाणुओं को समभारिक कहते हैं। जैसे- 18Ar40, 18K40, 20Ca40  समभारिक है।
*समन्यूट्रॉनिक (Isotone)- जिन परमाणुओं में न्यूट्रॉनों की संख्या समान होती है, उन्हें समन्यूट्रॉनिक कहते हैं। जैसे- 1H3 और 2He4 इन दोनों परमाणुओं के नाभिक में न्यूट्रॉनों की संख्या दो-दो है।
*समइलेक़्ट्रॉनिक (Isoelectronic)- जिन आयनों और परमाणुओं के इलेक़्ट्रॉनिक विन्यास समान होते हैं, उन्हें समइलेक़्ट्रॉनिक कहते हैं। समइलेक़्ट्रॉनिक  परमाणुओं और आयनों में इलेक़्ट्रॉनों की संख्या समान होती है। जैसे- Ne, Na+, Mg++ और Al+++ समइलेक़्ट्रॉनिक हैं।

Latest revision as of 06:23, 26 June 2011