इलेर्दा का युद्ध: Difference between revisions
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इलेर्दा का युद्ध इटली के इतिहास में लड़े गये कई महत्त्वपूर्ण युद्धों में से एक था। यह युद्ध 49 ई. पू. 9 मार्च और 2 जुलाई के बीच लड़ा गया था। इसके नायक प्रजातांत्रिक दल के नेता 'जूलियस सीज़र' और अभिजात वर्ग के नेता 'पांपेइ' थे। ऐसा माना जाता है कि साजिशों और कूटनीति की लड़ाई में विश्व का कोई भी युद्ध 'इलेर्दा के युद्ध' के जैसा नहीं था।[1]
- जूलियस सीज़र ने अपने दो महीनों के अभियान के दौरान समूचे इटली पर अधिकार कर लिया था।
- सम्पूर्ण इटली को जीत लेने के बाद भी सीज़र उसका स्वामी न हो सका, क्योंकि पांपेइ की शक्ति ग्रीस आदि पूर्वी देशों में बड़ी थी और वह इटली को मिस्र, सिसिली और सार्दीनिया से जाने वाली रसद काट सकता था, फिर उसकी स्पेनी सेनाएँ इटली और गाल दोनों के लिए भीषण ख़तरा थीं।
- सीज़र पहले स्पेन की ओर बढ़ा। वहाँ पांपेइ स्वयं तो नहीं था, किंतु उसके शक्तिमान सेनापति अफ़्रानियस और पेत्रियस विशाल सेनाओं के साथ यहाँ नियुक्त थे।
- इलेर्दा के सिकोरिस नदवर्ती कस्बे में अफ़्रानियस और पेत्रियस की सेनाएँ पड़ाव डाले जमी थीं। सीज़र ने हमला किया, लेकिन उसे पराजय का मुँह देखना पड़ा।
- पराजय के बाद रक्तपात छोड़कर साजिशों और कूटनीति की लड़ाई शुरू हुई। दाँव-पेंच चलने लगे और अंत में अफ़्रानियस की सेनाओं को घेर कर और उसे जलविहीन कर जूलियस सीज़र ने उसे संधि करने पर मजबूर किया।
- साजिशों और कूटनीति की लड़ाई में 'इलेर्दा के युद्ध' के समान संसार का संभवत: कोई दूसरा युद्ध नहीं था।
- राजनीतिक दृष्टि से भी इस युद्ध ने पांपेइ को यूरोप से काट दिया और उसे एशियाई देशों में शरण लेते हुए अपनी मौत की ओर प्रयाण करना पड़ा।[2]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ इलेर्दा का युद्ध (हिन्दी)। । अभिगमन तिथि: 24 मार्च, 2014।
- ↑ ओंकारनाथ उपाध्याय, हिन्दी विश्वकोश, खण्ड 2, पृष्ठ संख्या 06