बिना नीव का मकान -महात्मा बुद्ध: Difference between revisions
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कुछ दिनों बाद राम काम का मुआयना करने के लिए निर्माणस्थल पर गया। जब उसने नींव खोदे जाने के लिए | कुछ दिनों बाद राम काम का मुआयना करने के लिए निर्माणस्थल पर गया। जब उसने नींव खोदे जाने के लिए मज़दूरों को गहरा गड्ढा खोदते देखा तो वास्तुकार को बुलाया और पूछा कि इतना गहरा गड्ढा क्यों खोदा जा रहा है। | ||
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Latest revision as of 14:57, 6 April 2015
बिना नीव का मकान -महात्मा बुद्ध
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विवरण | इस लेख में महात्मा बुद्ध से संबंधित प्रेरक प्रसंगों के लिंक दिये गये हैं। |
भाषा | हिंदी |
देश | भारत |
मूल शीर्षक | प्रेरक प्रसंग |
उप शीर्षक | महात्मा बुद्ध के प्रेरक प्रसंग |
संकलनकर्ता | अशोक कुमार शुक्ला |
बुद्ध अपने प्रवचनों में उनके शिष्यों को बहुत सी कथाएं सुनाते थे। यह कथा भी उन्हीं में से एक है।
कभी किसी काल में किसी नगर में राम और श्याम नामक दो धनी व्यापारी रहते थे। वे दोनों ही अपने धन और वैभव का बड़ा प्रदर्शन करते थे।
एक दिन राम अपने मित्र श्याम के घर उससे भेंट करने के लिए गया। राम ने देखा कि श्याम का घर बहुत विशाल और तीन मंजिला था। 2,500 साल पहले तीन मंजिला घर होना बड़ी बात थी और उसे बनाने के लिए बहुत धन और कुशल वास्तुकार की आवश्यकता होती थी। राम ने यह भी देखा कि नगर में सभी निवासी श्याम के घर को बड़े विस्मय से देखते थे और उसकी बहुत बड़ाई करते थे।
अपने घर वापसी पर राम बहुत उदास था कि श्याम के घर ने सभी का ध्यान खींच लिया था। उसने उसी वास्तुकार को बुलवाया जिसने श्याम का घर बनाया था। उसने वास्तुकार से श्याम के घर जैसा ही तीन मंजिला घर बनाने को कहा। वास्तुकार ने इस काम के लिए हामी भर दी और काम शुरू हो गया।
कुछ दिनों बाद राम काम का मुआयना करने के लिए निर्माणस्थल पर गया। जब उसने नींव खोदे जाने के लिए मज़दूरों को गहरा गड्ढा खोदते देखा तो वास्तुकार को बुलाया और पूछा कि इतना गहरा गड्ढा क्यों खोदा जा रहा है।
“मैं आपके बताये अनुसार तीन मंजिला घर बनाने के लिए काम कर रहा हूँ”,
वास्तुकार ने कहा, “सबसे पहले मैं मजबूत नींव बनाऊँगा, फिर क्रमशः पहली मंजिल, दूसरी मंजिल और तीसरी मंजिल बनाऊंगा” “मुझे इस सबसे कोई मतलब नहीं है!”, राम ने कहा,
“तुम सीधे ही तीसरी मंजिल बनाओ और उतनी ही ऊंची बनाओ जितनी ऊंची तुमने श्याम के लिए बनाई थी। नींव की और बाकी मंजिलों की परवाह मत करो!”
“ऐसा तो नहीं हो सकता”, वास्तुकार ने कहा।
“ठीक है, यदि तुम यह नहीं करोगे तो मैं किसी और से करवा लूँगा”, राम ने नाराज़ होकर कहा। उस नगर में कोई भी वास्तुकार नींव के बिना वह घर नहीं बना सकता था, फलतः वह घर कभी न बन पाया। अतः किसी भी बड़े कार्य को सम्पन्न करने के लिए उसकी नींव सबसे मजबूत बनानी चाहिए एवं काम को योजनाबद्ध तरीके से किया जाना चाहिए।
- महात्मा बुद्ध से जुड़े अन्य प्रसंग पढ़ने के लिए महात्मा बुद्ध के प्रेरक प्रसंग पर जाएँ।
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