अर्चनीय: Difference between revisions

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'''अर्चनीय''', '''अर्च्य''' (स. कृ.) [अर्च+अनीय व्य पूजा या आराधना करने के योग्य, सम्माननीय आदरणीय-रपु. 2-10, भट्टि, 6/70
'''अर्चनीय''', '''अर्च्य''' (स. कृ.) [अर्च+अनीय, ण्यत्‌ वा]
 
*[[पूजा]] या आराधना करने के योग्य, सम्माननीय आदरणीय-रघु. 2-10, भट्टि, 6/70<ref>{{पुस्तक संदर्भ|पुस्तक का नाम=संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश|लेखक=वामन शिवराम आप्टे|अनुवादक= |आलोचक= |प्रकाशक=कमल प्रकाशन, [[नई दिल्ली]]-110002|संकलन= |संपादन= |पृष्ठ संख्या=102|url=|ISBN=}}</ref>
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Latest revision as of 06:20, 5 November 2023

अर्चनीय, अर्च्य (स. कृ.) [अर्च+अनीय, ण्यत्‌ वा]

  • पूजा या आराधना करने के योग्य, सम्माननीय आदरणीय-रघु. 2-10, भट्टि, 6/70[1]


  1. REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें


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टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. संस्कृत-हिन्दी शब्दकोश |लेखक: वामन शिवराम आप्टे |प्रकाशक: कमल प्रकाशन, नई दिल्ली-110002 |पृष्ठ संख्या: 102 |

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