|
|
(4 intermediate revisions by 3 users not shown) |
Line 1: |
Line 1: |
| ==जनरल पोलक==
| |
|
| |
|
|
| |
| ====पद====
| |
| एक योग्य फ़ौजी अफ़सर।
| |
|
| |
| ====नेतृत्व====
| |
| पहले [[अफ़ग़ान]] युद्ध में उसके नेतृत्व में सेना [[पेशावर]] भेजी गई, जिसे [[अलालाबाद]] में [[1841]] ई. में घिरी हुई अंग्रेज़ी सेना को मदद पहुँचाने का कार्य सौंपा गया था। पोलक ने काफ़ी सूझबूझ का परिचय दिया, उसने [[जलालाबाद]] का घेरा तोड़ दिया और वहाँ से अंग्रेज़ी फ़ौज को सकुशल निकाल लाया। इसके बाद उसने [[जगदलक]] और [[तेजिन]] की दो लड़ाईयों में अफ़ग़ानों को हराया और सितम्बर [[1842]] ई. में एक विजयी सेना लेकर [[काबुल]] जा पहुँचा। [[काबुल]] में यूरोपीय बंदियों को रिहा करने तथा प्रतिशोध के रूप में बाज़ार में आग लगा देने के बाद, उसने अक्टूबर [[1842]] ई. में [[काबुल]] खाली कर दिया और इस प्रकार पहले [[अफ़ग़ान]] युद्ध का अंत हो गया।
| |