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| | class="bg42" style="border:1px solid #a0e699;padding:10px;" valign="top" | <div class="bg43" style="padding-left:8px;"><span style="color:#34341B;">'''एक व्यक्तित्व'''</span></div>
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| <div align="center" style="color:#34341B;">'''[[प्रेमचंद|मुंशी प्रेमचंद]]'''</div>
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| <div id="rollnone"> [[चित्र:Premchand.jpg|right|100px|प्रेमचंद|link=प्रेमचंद]] </div>
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| *[[भारत]] के '''उपन्यास सम्राट''' मुंशी प्रेमचंद के युग का विस्तार सन 1880 से 1936 तक है। यह कालखण्ड भारत के इतिहास में बहुत महत्त्व का है।
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| *प्रेमचंद का वास्तविक नाम '''धनपत राय श्रीवास्तव''' था। वे एक सफल लेखक, देशभक्त नागरिक, कुशल वक्ता, ज़िम्मेदार संपादक और संवेदनशील रचनाकार थे।
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| *प्रेमचंद का जन्म [[वाराणसी]] से लगभग चार मील दूर, लमही नाम के गाँव में [[31 जुलाई]], 1880 को हुआ। प्रेमचंद के पिताजी '''मुंशी अजायब लाल''' और माता '''आनन्दी देवी''' थीं।
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| *प्रेमचंद का कुल दरिद्र कायस्थों का था, जिनके पास क़रीब छ: बीघे ज़मीन थी और जिनका परिवार बड़ा था। प्रेमचंद के पितामह, '''मुंशी गुरुसहाय लाल''', पटवारी थे।
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| *प्रेमचंद ने कुल '''15 उपन्यास''', '''300 से कुछ अधिक कहानियाँ''', 3 नाटक, 10 अनुवाद, 7 बाल-पुस्तकें तथा हज़ारों पृष्ठों के लेख, सम्पादकीय, भाषण, भूमिका, पत्र आदि की रचना की है।
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| *अंतिम दिनों के एक वर्ष को छोड़कर, उनका पूरा समय वाराणसी और [[लखनऊ]] में गुज़रा, जहाँ उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं का संपादन किया और [[8 अक्टूबर]], [[1936]] को जलोदर रोग से उनका देहावसान हो गया । '''[[प्रेमचंद|.... और पढ़ें]]'''
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| | '''पिछले व्यक्तित्व →'''
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| | [[शिवाजी]] '''·'''
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| | [[जवाहरलाल नेहरू]]
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