लार्ड कर्ज़न: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
m (Text replace - "{{लेख प्रगति" to "{{प्रचार}} {{लेख प्रगति")
No edit summary
Line 8: Line 8:
शैक्षिक सुधारों के अन्तर्गत कर्ज़न ने 1902 ई. में सर टामस रैले की अध्यक्षता में '''विश्वविद्यालय आयोग''' का गठन किया। आयोग द्वारा दिये गए सुझावों के आधार पर भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 1904 पारित किया गया।
शैक्षिक सुधारों के अन्तर्गत कर्ज़न ने 1902 ई. में सर टामस रैले की अध्यक्षता में '''विश्वविद्यालय आयोग''' का गठन किया। आयोग द्वारा दिये गए सुझावों के आधार पर भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 1904 पारित किया गया।
==आर्थिक सुधार==
==आर्थिक सुधार==
आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत कर्ज़न ने 1899-1900 ई. में पड़े अकाल व सूखे की स्थिति के विश्लेषण के लिए सर एण्टनी मैकडॉनल की अध्यक्षता में एक [[अक़ाल आयोग]] की नियुक्ति की। आयोग ने कहा कि अकाल सहायता व अनुदान में दी गई सहायता पर अनावश्यक बल दिया गया। आयोग ने कहा कि कार्य करने में सक्षम लोगों को उनके कार्य में ही सहयोग करना चाहिए।
आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत कर्ज़न ने 1899-1900 ई. में पड़े अकाल व सूखे की स्थिति के विश्लेषण के लिए सर एण्टनी मैकडॉनल की अध्यक्षता में एक [[अकाल आयोग]] की नियुक्ति की। आयोग ने कहा कि अकाल सहायता व अनुदान में दी गई सहायता पर अनावश्यक बल दिया गया। आयोग ने कहा कि कार्य करने में सक्षम लोगों को उनके कार्य में ही सहयोग करना चाहिए।


==सैनिक सुधार==
==सैनिक सुधार==

Revision as of 10:31, 13 January 2011

लार्ड एल्गिन के बाद 1899 ई. में लार्ड कर्ज़न भारत का वायसराय बनकर आया। भारत का वायसराय बनने के पूर्व भी कर्ज़न चार बार भारत आ चुका था। भारत में वायसराय के रूप में उसका कार्यकाल काफ़ी उथल-पुथल का रहा है। कर्ज़न के विषय में पी. राबर्टस ने लिखा है कि भारत में किसी अन्य वायसराय को अपना पद सम्भालने से पूर्व भारत की समस्याओं का इतना ठीक ज्ञान नहीं था जितना कि लार्ड कर्ज़न को। कर्ज़न ने जनमानस की आकांक्षाओं की पूर्णरूप से अवहेलना करते हुए भारत में ब्रिटिश हुकूमत को पत्थर की चट्टान पर खड़ा करने का प्रयास किया।

कर्ज़न के महत्त्वपूर्ण सुधार इस प्रकार है:-

पुलिस सुधार

'पुलिस सुधार' के अन्तर्गत कर्ज़न ने 1902 ई. में सर एण्ड्रयू फ़्रेज़र की अध्यक्षता में एक पुलिस आयोग की स्थापना की। 1903 ई. में प्रस्तुत अपनी रिपोर्ट मेम आयोग ने पुलिस विभाग की आलोचना करते हुए कहा कि यह विभाग पूर्णत: अक्षम, प्रशिक्षण से रहित, भ्रष्ट एवं दमनकारी है।

शिक्षा सुधार

शैक्षिक सुधारों के अन्तर्गत कर्ज़न ने 1902 ई. में सर टामस रैले की अध्यक्षता में विश्वविद्यालय आयोग का गठन किया। आयोग द्वारा दिये गए सुझावों के आधार पर भारतीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 1904 पारित किया गया।

आर्थिक सुधार

आर्थिक सुधारों के अन्तर्गत कर्ज़न ने 1899-1900 ई. में पड़े अकाल व सूखे की स्थिति के विश्लेषण के लिए सर एण्टनी मैकडॉनल की अध्यक्षता में एक अकाल आयोग की नियुक्ति की। आयोग ने कहा कि अकाल सहायता व अनुदान में दी गई सहायता पर अनावश्यक बल दिया गया। आयोग ने कहा कि कार्य करने में सक्षम लोगों को उनके कार्य में ही सहयोग करना चाहिए।

सैनिक सुधार

सैनिक सुधार के अन्तर्गत कर्ज़न ने सेनापति किचनर के सहयोग से सेना का पुनर्गठन किया। भारतीय सेना को उत्तरी व दक्षिणी कमानों में बाँटा गया।

कलकत्ता निगम अधिनियम

कर्ज़न ने 'कलकत्ता निगम अधिनियम 1899' के द्वारा चुने जाने वाले सदस्यों की संख्या में कमी कर दी, परन्तु निगम एवं उसकी समितियों में अंग्रेज़ लोगों की संख्या बढ़ा दी गई। परिणाम यह हुआ कि कलकत्ता नगर निगम मात्र एक ऐंग्लो-इण्डियन सभा के रूप में ही रह गया। 28 चुने गये सदस्यों द्वारा इसका विरोध करने पर भी कर्ज़न विचलित नहीं हुआ और 1903 ई. में एक भोज के दौरान अपने उद्गार में कहा, मै वायसराय पद से निवृत्त होने के पश्चात्त कलकत्ता नगर निगम का महापौर होना पसंद करुंगा।

प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम

'प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904' के द्वारा कर्ज़न ने भारत में पहली बार ऐतिहासिक इमारतों की सुरक्षा एवं मरम्मत की ओर ध्यान देते हुए 50,000 पौण्ड की धनराशि का आबंटन किया। इस कार्य के लिए कर्ज़न ने 'भारतीय पुरातत्व विभाग' की स्थापना की।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ