विद्युत धारा: Difference between revisions

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Revision as of 08:52, 21 March 2011

(अंग्रेज़ी:Electric Current) आवेश के प्रवाह को विद्युत धारा कहते हैं। ठोस चालकों में आवेश का प्रवाह इलेक्ट्रॉनों के एक स्थान से दूसरे स्थान तक स्थानान्तरण के कारण होता है, जबकि द्रवों जैसे- अम्लों, क्षारों व लवणों के जलीय विलयनों तथा गैसों में यह प्रवाह आयनों की गति के कारण होता है। साधारणः विद्युत धारा की दिशा धन आवेश के गति की दिशा की ओर तथा ॠण अवेश के गति की विपरीत दिशा में मानी जाती है। ठोस चालकों में विद्युत धारा की दिशा, इलेक्ट्रॉनों के प्रवाह की दिशा के विपरीत मानी जाती है। एस. आई. पद्धति में विद्युत धारा का मात्रक एम्पियर होता है। यदि निर्वात् में स्थित दो सीधे, लम्बे व समान्तर तारों में, जिनके बीच की दूरी। मीटर है और एक ही विद्युत धारा प्रवाहित करने पर तारों के बीच उनकी प्रति मीटर लम्बाई में 2 x 10-7 न्यूटन का बल उत्पन्न हो तो तारों में प्रवाहित धारा 1 एम्पियर होती है। किसी चालक तार से यदि 1 एम्पियर विद्युत धारा प्रवाहित हो रही है तो इसक अर्थ यह है कि उस चालक तार में एक सेकेण्ड में 6.25 x 1018 इलेक्ट्रॉन एक सिरे से प्रवेश करते हैं तथा इतने ही इलेक्ट्रॉन एक सेकेण्ड में दूसरे सिरे से निकल जाते हैं। यदि किसी परिपथ में धारा एक ही दिशा में बहती है तो उसे दिष्ट धारा कहते हैं तथा यदि धारा की दिशा लगातार बदलती रहती है तो उसे 'प्रत्यावर्ती धारा' कहते हैं।



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टीका टिप्पणी और संदर्भ