अकाल प्रतिवेदन: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
व्यवस्थापन (talk | contribs) m (Text replace - "==टीका टिप्पणी और संदर्भ==" to "{{संदर्भ ग्रंथ}} ==टीका टिप्पणी और संदर्भ==") |
||
Line 17: | Line 17: | ||
|शोध= | |शोध= | ||
}} | }} | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | |||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
<references/> | <references/> |
Revision as of 07:54, 21 March 2011
- अकाल प्रतिवेदन (1880 ई.) सर रिचर्ड स्ट्रैची की अध्यक्षता में नियुक्त अकाल आयोग द्वारा प्रस्तुत किया गया।
- प्रतिवेदन में सर्वप्रथम यह मौलिक सिद्धान्त निर्धारित किया गया कि अकाल के समय पीड़ितों को सहायता देना सरकार का कर्तव्य है।
- इस सिद्धान्त के अनुसार काम करने योग्य व्यक्तियों को काम देकर सहायता पहुँचाना तथा कमज़ोर और बूढ़े लोगों को अन्न एवं धन से सहायता देना उचित बताया गया।
- यह भी कहा गया कि सहायता के रूप में जो काम कराया जाए, वह स्थायी हो और इतना बड़ा हो कि उक्त क्षेत्र के सभी ज़रूरतमंद लोगों की आवश्यकता की पूर्ति हो सके।
- बड़ी योजनाओं पर काम करने के लिए दूर भेजने के लिए जो योग्य न हो, उन्हें तालाबों की खुदाई अथवा पुलिया आदि बनाने के स्थानीय काम में लगाया जाए।
- सहायता के रूप में दिया जाने वाला काम तत्काल आयोजित किया जाए और भुखमरी से शक्ति घटने के पहले ही अकाल पीड़ित को काम और अन्न प्राप्त हो जाए।
- लगान माफ़ करने अथवा स्थगित करके बीज एवं कृषि यंत्र ख़रीदने के लिए अग्रिम धन देकर अक़ाल पीड़ितों की अतिरिक्त एवं सामान्य सहायता की जाए।
- सहायता वस्तु की छीजन तथा फिज़ूल ख़र्ची रोकने के लिए सहायता व्यय का मुख्य भार अक़ाल पीड़ित क्षेत्र की स्थानीय सरकार को उठाना चाहिए और केन्द्रीय सरकार केवल स्थानीय स्रोतों में योगदान देने का काम करे। सहायता का वितरण ग़ैर सरकारी प्रतिनिधि संस्थाओं के माध्यम से हो।
- प्रतिवेदन में यह भी सिफ़ारिश की गई कि सहायता एवं बीमा कोष की स्थापना के लिए प्रतिवर्ष डेढ़ करोड़ रुपया अलग कर दिया जाया करे, जिससे अक़ाल के समय आवश्यकता पड़ने पर धन लिया जा सके।
- REDIRECTसाँचा:इन्हें भी देखें
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ