अण्णा हज़ारे: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
No edit summary
No edit summary
Line 45: Line 45:
==अन्ना हजारे और जन लोकपाल विधेयक==
==अन्ना हजारे और जन लोकपाल विधेयक==
*छोटी सी कद काठी और हाथ में लाठी लिए आजकल भ्रष्टाचार के खिलाफ और इससे निपटने के लिए सख्त लोकपाल विधेयक की मांग कर अनशन पर बैठने वाले अन्ना हजारे को सभी जानते हैं। लेकिन यह जानकारी सिर्फ इसलिए है क्योंकि वह आज देश की संसद के कुछ दूरी पर एक ऐसी मांग के लिए अनशन पर बैठे हैं जिससे हो सकता है देश की तकदीर संवर जाए, भ्रष्टाचार की दीमक का इलाज हो सके।
*छोटी सी कद काठी और हाथ में लाठी लिए आजकल भ्रष्टाचार के खिलाफ और इससे निपटने के लिए सख्त लोकपाल विधेयक की मांग कर अनशन पर बैठने वाले अन्ना हजारे को सभी जानते हैं। लेकिन यह जानकारी सिर्फ इसलिए है क्योंकि वह आज देश की संसद के कुछ दूरी पर एक ऐसी मांग के लिए अनशन पर बैठे हैं जिससे हो सकता है देश की तकदीर संवर जाए, भ्रष्टाचार की दीमक का इलाज हो सके।
[[Image:anna h ansan.jpg|अन्ना हजारे जन लोकपाल विधेयक को लागू कराने के उद्देश्य के साथ आमरण अनशन पर बैठे हुए|thumb|150px]]
*आज अन्ना हजारे जन लोकपाल विधेयक को लागू कराने के उद्देश्य के साथ आमरण अनशन पर बैठे हैं और वह अकेले नहीं हैं बल्कि उनके साथ समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग जुड़ चुका है। मीडिया, प्रेस और नेता सबका ध्यान अन्ना हजारे पर है। हमेशा लाइम लाइट से दूर रहने वाले अन्ना हजारे आमरण अनशन पर क्या बैठे कांग्रेस सरकार की तो जैसे नींद ही उड़ गई है। जिस बिल को कल तक सरकार अपने फायदे के लिए लाने की सोच रही थी उसकी असलियत दिखा अन्ना ने जता दिया कि आज भी देश में कुछ लोग हैं जो भारत की चिंता करते हैं।
*आज अन्ना हजारे जन लोकपाल विधेयक को लागू कराने के उद्देश्य के साथ आमरण अनशन पर बैठे हैं और वह अकेले नहीं हैं बल्कि उनके साथ समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग जुड़ चुका है। मीडिया, प्रेस और नेता सबका ध्यान अन्ना हजारे पर है। हमेशा लाइम लाइट से दूर रहने वाले अन्ना हजारे आमरण अनशन पर क्या बैठे कांग्रेस सरकार की तो जैसे नींद ही उड़ गई है। जिस बिल को कल तक सरकार अपने फायदे के लिए लाने की सोच रही थी उसकी असलियत दिखा अन्ना ने जता दिया कि आज भी देश में कुछ लोग हैं जो भारत की चिंता करते हैं।
*कभी अपने जीवन से तंग आ चुके अन्ना हजारे ने कई जिंदगियों को आगे बढ़ने का मौका दिया है और अगर आज उनकी यह मुहिम भी सफल रही तो देश में रामराज आने का संकेत जरुर मिल जाएगा।
*कभी अपने जीवन से तंग आ चुके अन्ना हजारे ने कई जिंदगियों को आगे बढ़ने का मौका दिया है और अगर आज उनकी यह मुहिम भी सफल रही तो देश में रामराज आने का संकेत जरुर मिल जाएगा।
Line 60: Line 61:
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
<references/>
[[Category:नया पन्ना]]
 
__INDEX__
__INDEX__
[[Category:पद्म_श्री]][[Category:पद्म_विभूषण]]
[[Category:पद्म_श्री]][[Category:पद्म_विभूषण]]

Revision as of 14:54, 7 April 2011

जीवन परिचय

अण्णा हज़ारे
पूरा नाम किसन बाबूराव हजारे
अन्य नाम अन्ना हजारे
जन्म 15 जून, 1938
जन्म भूमि अहमद नगर के भिंगर कस्बे में, महाराष्ट्र
नागरिकता भारतीय
प्रसिद्धि *1998 में बीजेपी-शिवसेना वाली सरकार के दो नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा उन्हें गिरफ्तार करने के लिए आवाज उठाई थी। *2005 में अन्ना हजारे ने कांगेस सरकार को उसके चार भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए प्रेशर डाला था। *2011 में भ्रष्टाचार के खिलाफ और इससे निपटने के लिए सख्त जन लोकपाल विधेयक की मांग कर अनशन पर बैठने वाले।
पद गांधीवादी विचारधारा पर चलने वाले एक समाजसेवक
शिक्षा मुंबई में सातवीं तक पढ़ाई की।
भाषा हिन्दी, अंग्रेज़ी
पुरस्कार-उपाधि 1990 में पद्मश्री से और 1992 में पद्मविभूषण से
  • अन्ना हजारे (Anna Hazare) गांधीवादी विचारधारा पर चलने वाले एक समाजसेवक हैं जो किसी राजनीतिक पार्टी की जगह स्वतंत्र रुप से काम करते हैं। अन्‍ना हजारे का वास्‍तविक नाम किसन बाबूराव हजारे है। 15 जून 1938 को महाराष्ट्र के अहमद नगर के भिंगर कस्बे में जन्मे अन्ना हजारे का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा। पिता मजदूर थे, दादा फौज में थे। अन्ना हजारे के छह भाई हैं। दादा की पोस्टिंग भिंगनगर में थी। अन्ना का पुश्‍तैनी गांव अहमद नगर जिले में स्थित रालेगन सिद्धि में था। दादा की मौत के सात साल बाद अन्ना का परिवार रालेगन आ गया।
  • अन्ना हजारे का बचपन बेहद गरीबी में बीता। उनके परिवार की गरीबी और तंगी का आलम देखकर अन्ना हजारे की बुआ उन्हें अपने साथ मुंबई ले गईं। अन्ना हजारे ने मुंबई में सातवीं तक पढ़ाई की। परिवार पर कष्टों का बोझ देखकर और कुछ पैसे कमाने के लिए वह दादर स्टेशन के बाहर एक फूल बेचनेवाले की दुकान में 40 रुपये की पगार में काम किया। इसके बाद उन्होंने फूलों की अपनी दुकान खोल ली और अपने दो भाइयों को भी रालेगन से बुला लिया। साठ के दशक के आसपास में अन्ना ने भी अपने दादा की तरह फौज में भर्ती ली और उनकी पहली पोस्टिंग बतौर ड्राइवर पंजाब में काम किया। यहीं फौज में काम करते हुए अन्ना पाकिस्तानी हमले में वह मौत को धता बता कर बाल-बाल बचे थे।
  • इसी दौरान नई दिल्ली रेलवे स्टेशन से उन्होंने विवेकानंद की एक पुस्‍तक ‘कॉल टू द यूथ फॉर नेशन‘ खरीदी और उसको पढ़ने के बाद उन्होंने अपनी जिंदगी समाज को समर्पित कर दी। उन्होंने गांधी और विनोबा को भी पढ़ा और उनके शब्दों को अपने जीवन में ढ़ाल लिया। अन्ना हजारे ने इसके बाद 1970 में आजीवन अविवाहित रहने का निश्चय किया। मुम्बई पोस्टिंग के दौरान वह अपने गांव रालेगन आते-जाते रहे। जम्मू पोस्टिंग के दौरान 15 साल फौज में पूरे होने पर 1975 में उन्होंने फौज की नौकरी से वीआरएस ले लिया और गांव में जाकर बस गए। उन्होंने गांव की तस्वीर ही बदल दी।
  • अन्ना हजारे का मानना था कि देश की असली ताकत गांवों में है और इसीलिए उन्होंने गांवो में विकास की लहर लाने के लिए मोर्चा खोल दिया। यहां तक की उन्होंने खुद अपनी पुस्तैनी जमीन बच्चों के हॉस्टल के लिए दान दे दी। अन्ना हजारे ने 1975 से सूखा प्रभावित रालेगांव सिद्धि में काम शुरू किया। वर्षा जल संग्रह, सौर ऊर्जा, बायो गैस का प्रयोग और पवन ऊर्जा के उपयोग से गांव को स्वावलंबी और समृद्ध बना दिया। यह गांव विश्व के अन्य समुदायों के लिए आदर्श बन गया है।
  • आज उनकी पेंशन का सारा पैसा गांव के विकास में खर्च होता है। वह गांव के मंदिर में रहते हैं और हॉस्टल में रहने वाले बच्चों के लिए बनने वाला खाना ही खाते हैं। आज गांव का हर शख्स आत्मनिर्भर है। आस-पड़ोस के गांवों के लिए भी यहां से चारा, दूध आदि जाता है। गांव में एक तरह का रामराज है। गांव में तो उन्होंने रामराज स्थापित कर दिया है। अब वह अपने दल-बल के साथ देश में रामराज की स्थापना की मुहिम में निकले हैं।
  • 1998 में अन्ना हजारे उस समय अत्यधिक चर्चा में आ गए थे जब उन्होंने बीजेपी-शिवसेना वाली सरकार के दो नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा उन्हें गिरफ्तार करने के लिए आवाज उठाई थी। और इसी तरह 2005 में अन्ना हजारे ने कांगेस सरकार को उसके चार भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ कार्यवाही करने के लिए प्रेशर डाला था। अन्ना की कार्यशैली बिलकुला गांधी जी की तरह है जो शांत रहकर भी भ्रष्टाचारियों पर जोरदार प्रहार करती है।
  • अन्ना हजारे की समाजसेवा और समाज कल्याण के कार्य को देखते हुए सरकार ने उन्हें 1990 में पद्मश्री से सम्मानित किया था और 1992 में उन्हें पद्मविभूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।

अन्ना हजारे और जन लोकपाल विधेयक

  • छोटी सी कद काठी और हाथ में लाठी लिए आजकल भ्रष्टाचार के खिलाफ और इससे निपटने के लिए सख्त लोकपाल विधेयक की मांग कर अनशन पर बैठने वाले अन्ना हजारे को सभी जानते हैं। लेकिन यह जानकारी सिर्फ इसलिए है क्योंकि वह आज देश की संसद के कुछ दूरी पर एक ऐसी मांग के लिए अनशन पर बैठे हैं जिससे हो सकता है देश की तकदीर संवर जाए, भ्रष्टाचार की दीमक का इलाज हो सके।
File:Anna h ansan.jpg
अन्ना हजारे जन लोकपाल विधेयक को लागू कराने के उद्देश्य के साथ आमरण अनशन पर बैठे हुए
  • आज अन्ना हजारे जन लोकपाल विधेयक को लागू कराने के उद्देश्य के साथ आमरण अनशन पर बैठे हैं और वह अकेले नहीं हैं बल्कि उनके साथ समाज का एक बहुत बड़ा वर्ग जुड़ चुका है। मीडिया, प्रेस और नेता सबका ध्यान अन्ना हजारे पर है। हमेशा लाइम लाइट से दूर रहने वाले अन्ना हजारे आमरण अनशन पर क्या बैठे कांग्रेस सरकार की तो जैसे नींद ही उड़ गई है। जिस बिल को कल तक सरकार अपने फायदे के लिए लाने की सोच रही थी उसकी असलियत दिखा अन्ना ने जता दिया कि आज भी देश में कुछ लोग हैं जो भारत की चिंता करते हैं।
  • कभी अपने जीवन से तंग आ चुके अन्ना हजारे ने कई जिंदगियों को आगे बढ़ने का मौका दिया है और अगर आज उनकी यह मुहिम भी सफल रही तो देश में रामराज आने का संकेत जरुर मिल जाएगा।



पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ