पीस डैमिनगोस: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
No edit summary |
||
Line 1: | Line 1: | ||
*पीस | *पीस डैमिनगोस एक [[पुर्तग़ाली]] यात्री, जो [[कृष्णदेव राय]] के राज्यकाल में विजयनगर आया था। | ||
*पीस डैमिनगोस ने राजा के स्वभाव तथा उस काल की आर्थिक तथा सामाजिक दशा का रोचक वर्णन किया है। उसका विश्वास था कि विजयनगर उतना ही बड़ा है, जितना बड़ा रोम क्योकि रोम में असंख्य लोग निवास करते हैं। | *पीस डैमिनगोस ने राजा के स्वभाव तथा उस काल की आर्थिक तथा सामाजिक दशा का रोचक वर्णन किया है। उसका विश्वास था कि विजयनगर उतना ही बड़ा है, जितना बड़ा [[रोम]] क्योकि रोम में असंख्य लोग निवास करते हैं। | ||
*पीस डैमिनगोस रोम को संसार का सबसे सम्पन्न नगर मानता था। | *पीस डैमिनगोस रोम को संसार का सबसे सम्पन्न नगर मानता था। | ||
*पीस डैमिनगोस ने राजा के महल में एक कमरा फ़र्श से लेकर छत तक समूचा हाथीदाँत का बना देखा। | *पीस डैमिनगोस ने राजा के महल में एक कमरा फ़र्श से लेकर छत तक समूचा हाथीदाँत का बना देखा। | ||
*राजसभा का शिष्टाचार बड़ा विशद था और राजा के पास बहुत विशाल सेना थी। | *राजसभा का शिष्टाचार बड़ा विशद था और राजा के पास बहुत विशाल सेना थी। | ||
Line 18: | Line 18: | ||
{{संदर्भ ग्रंथ}} | {{संदर्भ ग्रंथ}} | ||
==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ==टीका टिप्पणी और संदर्भ== | ||
{{cite book | |||
| last = भट्टाचार्य | |||
| first = सच्चिदानन्द | |||
| title = भारतीय इतिहास कोश | |||
| edition = | |||
| publisher = उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, [[लखनऊ]] | |||
| location = भारतडिस्कवरी पुस्तकालय | |||
| language = [[हिन्दी]] | |||
| pages = पृष्ठ सं 242 | |||
| chapter = | |||
}} | |||
<references/> | <references/> | ||
[[Category:पुर्तग़ाली]] | |||
[[Category:पुर्तग़ाली शासन]] | |||
[[Category:नया पन्ना]] | [[Category:नया पन्ना]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ |
Revision as of 07:08, 4 May 2011
- पीस डैमिनगोस एक पुर्तग़ाली यात्री, जो कृष्णदेव राय के राज्यकाल में विजयनगर आया था।
- पीस डैमिनगोस ने राजा के स्वभाव तथा उस काल की आर्थिक तथा सामाजिक दशा का रोचक वर्णन किया है। उसका विश्वास था कि विजयनगर उतना ही बड़ा है, जितना बड़ा रोम क्योकि रोम में असंख्य लोग निवास करते हैं।
- पीस डैमिनगोस रोम को संसार का सबसे सम्पन्न नगर मानता था।
- पीस डैमिनगोस ने राजा के महल में एक कमरा फ़र्श से लेकर छत तक समूचा हाथीदाँत का बना देखा।
- राजसभा का शिष्टाचार बड़ा विशद था और राजा के पास बहुत विशाल सेना थी।
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
भट्टाचार्य, सच्चिदानन्द भारतीय इतिहास कोश (हिन्दी)। भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ, पृष्ठ सं 242।