जुझार सिंह: Difference between revisions
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Revision as of 08:31, 15 April 2011
- जुझार सिंह राजा वीरसिंह बुंदेला का पुत्र तथा उत्तराधिकारी था।
- जहाँगीर (उस समय शाहजादा सलीम) के कहने से वीरसिंह बुंदेला ने अबुल फ़ज़ल को मार डाला था और 1605 ई. में जहाँगीर के तख्त पर बैठने पर वह पुरस्कृत हुआ था।
- जब शाहजहाँ तख़्त पर बैठा, तब राजा वीरसिंह बुंदेला द्वारा छीने गए इलाकों के बारे में जाँच करने की बात चली। इस पर जुझार सिंह ने विद्रोह कर दिया, परन्तु उसे शीघ्र वश में कर लिया गया और हर्जाने के रूप में उसे बहुत सा रुपया और ज़मीन देनी पड़ी।
- जुझार सिंह ने बादशाह की सेवा करना स्वीकार कर लिया और कई वर्षों तक दक्खिन में रहा। जहाँ उसने बहुमूल्य सेवा की। उसे ऊँचा मनसब और राजा का ख़िताब मिला। इससे उसकी महत्वाकांक्षाएँ जाग उठी और उसने शाहजहाँ के हुक़्म के ख़िलाफ़ अपने पड़ोसी चौरागढ़ के राजा पर हमला कर दिया और उसे मार डाला।
- इस पर शाही फ़ौजों ने जुझार सिंह पर चढ़ाई कर दी और उसे शीघ्र ही हरा दिया।
- शाही फ़ौजों के द्वारा पीछा किये जाने पर जुझार सिंह पड़ोस के जंगल में भाग गया, जहाँ गोंडों ने उसे मार डाला।[1]
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
- ↑ पुस्तक 'भारतीय इतिहास कोश' पृष्ठ संख्या-171