महर्षि गौतम: Difference between revisions
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*न्यायदर्शन के कर्ता महर्षि गौतम परम तपस्वी एवं संयमी थे। | *न्यायदर्शन के कर्ता महर्षि गौतम परम तपस्वी एवं संयमी थे। |
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महर्षि गौतम
- न्यायदर्शन के कर्ता महर्षि गौतम परम तपस्वी एवं संयमी थे।
- महाराज वृद्धाश्व की पुत्री अहिल्या इनकी पत्नी थी, जो महर्षि के शाप से पाषाण बन गयी थी।
- त्रेता में भगवान श्री राम की चरण-रज से अहिल्या का शापमोचन हुआ। वह पाषाण से पुन: ऋषि-पत्नी हुई।
- महर्षि गौतम बाण-विद्या में अत्यन्त निपुण थे। विवाह के कुछ काल पश्चात अहिल्या ही बाण-लाकर देती थीं।
- एक बार वे देर से लौटीं ज्येष्ठ की धूप में उनके चरण तप्त हो गये थे। विश्राम के लिये वे वृक्ष की छाया में बैठ गयी थीं। महर्षि ने सूर्यदेव पर रोष किया।
- सूर्य ने ब्राह्मण के वेष में महर्षि को छत्ता और पादत्राण (जूता) निवेदित किया।
- उष्णता निवारक ये दोनों उपकरण उसी समय से प्रचलित हुए।
- महर्षि गौतम न्यायशास्त्र के अतिरिक्त स्मृतिकार भी हैं तथा उनका धनुर्वेद पर भी कोई ग्रन्थ था, ऐसा विद्वानों का मत है।
- उनके पुत्र शतानन्द जी निमि कुल के आचार्य थे।