चील: Difference between revisions
Jump to navigation
Jump to search
[unchecked revision] | [unchecked revision] |
No edit summary |
|||
Line 1: | Line 1: | ||
{{पुनरीक्षण}} | {{पुनरीक्षण}} | ||
[[चित्र:Kite-Bird.jpg|thumb|250px|चील]] | |||
चील श्येन कुल, फैलकोनिडी, का बहुत परिचित पक्षी है, जिसकी कई जातियाँ संसार के प्राय: सभी देशों में फैली हुई हैं। | चील श्येन कुल, फैलकोनिडी, का बहुत परिचित पक्षी है, जिसकी कई जातियाँ संसार के प्राय: सभी देशों में फैली हुई हैं। | ||
==लक्षण== | ==लक्षण== | ||
Line 31: | Line 31: | ||
[[Category:नया पन्ना]] | [[Category:नया पन्ना]] | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
__NOTOC__ |
Revision as of 09:57, 3 June 2011
चित्र:Icon-edit.gif | इस लेख का पुनरीक्षण एवं सम्पादन होना आवश्यक है। आप इसमें सहायता कर सकते हैं। "सुझाव" |
thumb|250px|चील चील श्येन कुल, फैलकोनिडी, का बहुत परिचित पक्षी है, जिसकी कई जातियाँ संसार के प्राय: सभी देशों में फैली हुई हैं।
लक्षण
- चील लगभग दो फुट लंबी चिड़िया है, जिसकी दुम लंबी ओर दोफंकी रहती है।
- चील का सारा बदन कल छौंह भूरा होता है, जिस पर गहरे रंग के सेहरे से पड़े रहते हैं।
- चील की चोंच काली और टाँगें पीली होती हैं।
- बाज, बहरी आदि शिकारी चिड़ियों से इसके डैने बड़े, टाँगें छोटी और चोंच तथा पंजे कमज़ोर होते हैं।
- चील उड़ने में बड़ी दक्ष होती है। बाज़ार में खाने की चीजों पर बिना किसी से टकराए हुए, यह ऐसी सफाई से झपट्टा मारती है कि देखकर ताज्जुब होता है।
भोजन
यह सर्वभक्षी तथा मुर्दाखोर चिड़िया है, जिससे कोई भी खाने की वस्तु नहीं बचने पाती। ढीठ तो यह इतनी होती है कि कभी-कभी बस्ती के बीच के किसी पेड़ पर ही अपना भद्दा सा घोंसला बना लेती है। मादा दो तीन सफ़ेद या राखी के रंग के अंडे देती है, जिन पर कत्थई चित्तियाँ पड़ी रहती हैं।
मुख्य प्रजातियाँ
- काली चील
- ब्रह्मनी या खैरी चील
- ऑल बिल्ड चील
- ह्विसलिंग चील
|
|
|
|
|
टीका टिप्पणी और संदर्भ
“खण्ड 4”, हिन्दी विश्वकोश, 1964 (हिन्दी), भारतडिस्कवरी पुस्तकालय: नागरी प्रचारिणी सभा वाराणसी, 257।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
- REDIRECT साँचा:जीव जन्तु