अग्नि-2 मिसाइल: Difference between revisions
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* उड़ीसा में भद्रक जिले के व्हीलर द्वीप से 17 मई 2010 को परमाणु क्षमता से लैस मध्यम दूरी की अग्नि-2 मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया गया था। चांदीपुर और धमारा के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) में भी इसके लिए तैयारी की गई थी। सेना की विशेष सामरिक कमांड फोर्स ने रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) और आईटीआर के सहयोग से इस मिशन को पूरा करने की जिम्मेदारी ली है। लांच कांपलेक्स -चार से रेल मोबाइल प्रणाली से सुबह सवा नौ बजे परीक्षण किया गया। रक्षा सूत्रों ने कहा कि समन्वित परीक्षण रेंज से मिसाइल का परीक्षण किया गया। यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। अग्नि-दो इंटरमीडिएट रेंज बैलेस्टिक मिसाइल (आईआरबीएम) को पहले ही सेना में शामिल किया जा चुका है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की साजो सामान की मदद से सेना के सामरिक बल कमान ने सोमवार को परीक्षण किया। डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक ने कहा कि विभिन्न परिस्थितियों में उपयोग से परिचित कराने के लिए यह एक प्रशिक्षण अभ्यास था। परीक्षण के दौरान मिसाइल के पूरे मार्ग पर कई अत्याधुनिक रडारों, टेलमेट्री प्रेक्षण, इलेक्ट्रो आप्टिक उपकरण और बंगाल की खाड़ी में निशाने के पास खड़े एक प्रेक्षण जहाज से नजर रखी गई। | * उड़ीसा में भद्रक जिले के व्हीलर द्वीप से 17 मई 2010 को परमाणु क्षमता से लैस मध्यम दूरी की अग्नि-2 मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया गया था। चांदीपुर और धमारा के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) में भी इसके लिए तैयारी की गई थी। सेना की विशेष सामरिक कमांड फोर्स ने रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) और आईटीआर के सहयोग से इस मिशन को पूरा करने की जिम्मेदारी ली है। लांच कांपलेक्स -चार से रेल मोबाइल प्रणाली से सुबह सवा नौ बजे परीक्षण किया गया। रक्षा सूत्रों ने कहा कि समन्वित परीक्षण रेंज से मिसाइल का परीक्षण किया गया। यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। अग्नि-दो इंटरमीडिएट रेंज बैलेस्टिक मिसाइल (आईआरबीएम) को पहले ही सेना में शामिल किया जा चुका है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की साजो सामान की मदद से सेना के सामरिक बल कमान ने सोमवार को परीक्षण किया। डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक ने कहा कि विभिन्न परिस्थितियों में उपयोग से परिचित कराने के लिए यह एक प्रशिक्षण अभ्यास था। परीक्षण के दौरान मिसाइल के पूरे मार्ग पर कई अत्याधुनिक रडारों, टेलमेट्री प्रेक्षण, इलेक्ट्रो आप्टिक उपकरण और बंगाल की खाड़ी में निशाने के पास खड़े एक प्रेक्षण जहाज से नजर रखी गई। | ||
Revision as of 21:43, 4 October 2011
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अग्नि-2 मिसाइल

- उड़ीसा में भद्रक जिले के व्हीलर द्वीप से 17 मई 2010 को परमाणु क्षमता से लैस मध्यम दूरी की अग्नि-2 मिसाइल का सफल प्रक्षेपण किया गया था। चांदीपुर और धमारा के एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) में भी इसके लिए तैयारी की गई थी। सेना की विशेष सामरिक कमांड फोर्स ने रक्षा अनुसंधान विकास संगठन (डीआरडीओ) और आईटीआर के सहयोग से इस मिशन को पूरा करने की जिम्मेदारी ली है। लांच कांपलेक्स -चार से रेल मोबाइल प्रणाली से सुबह सवा नौ बजे परीक्षण किया गया। रक्षा सूत्रों ने कहा कि समन्वित परीक्षण रेंज से मिसाइल का परीक्षण किया गया। यह सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल है। अग्नि-दो इंटरमीडिएट रेंज बैलेस्टिक मिसाइल (आईआरबीएम) को पहले ही सेना में शामिल किया जा चुका है। रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) की साजो सामान की मदद से सेना के सामरिक बल कमान ने सोमवार को परीक्षण किया। डीआरडीओ के एक वैज्ञानिक ने कहा कि विभिन्न परिस्थितियों में उपयोग से परिचित कराने के लिए यह एक प्रशिक्षण अभ्यास था। परीक्षण के दौरान मिसाइल के पूरे मार्ग पर कई अत्याधुनिक रडारों, टेलमेट्री प्रेक्षण, इलेक्ट्रो आप्टिक उपकरण और बंगाल की खाड़ी में निशाने के पास खड़े एक प्रेक्षण जहाज से नजर रखी गई।
- रक्षा सूत्रों के अनुसार अग्नि श्रंखला की सतह से सतह पर मार करने वाली अग्नि-2 मिसाइल की मारक क्षमता 2,000 किलोमीटर से अधिक है। एडवांस्ड सिस्टम्स लैब द्वारा देश में ही विकसित अग्नि-2 मिसाइल 21 मीटर लंबी, एक मीटर चौड़ी और दो चरणों वाली ठोस ईंधन संचालित बैलेस्टिक मिसाइल है। इसका वजन 17 टन है। यह एक टन वजन (1000 किलोग्राम) का पेलोड अपने साथ ले जाने में सक्षम है। अग्नि दो का विकास डीआरडीओ की प्रयोगशालाओं और भारत डायनेमिक्स, हैदराबाद के साथ मिलकर एडवांस्ड सिस्टम प्रयोगशाला ने किया है। उन्होंने कहा कि यह मिसाइल अग्नि सीरीज का एक हिस्सा है जिसमें 700 किमी मारक क्षमता वाले अग्नि-एक और साढ़े तीन हजार किमी की मारक क्षमता वाले अग्नि-तीन शामिल हैं।
अग्नि-2 का पहला परीक्षण 11 अप्रैल 1999 में किया गया था। लेकिन इसके बाद यह कुछ परीक्षण मानकों पर खरी नहीं उतर पाई थी। उपयोग में लाने से पहले व्हीलर्स से किया गया 19 मई 2009 और 23 नवंबर 2009 का रात में किया गया परीक्षण सभी मानकों पर खरा नहीं उतर पाया था।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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