बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट: Difference between revisions
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ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश) में देश की पहली फार्मूला वन सर्किट पूरी तरह तैयार है। इसे बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट (बीआईसी) नाम दिया गया है। भारत का प्रथम फॉर्मूला-1 रेस ट्रैक बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट 18 अक्टूबर 2011 को लांच किया गया। फार्मूला-1 रेस टीम रेड बुल की कार को ट्रैक पर टेस्ट रेस करवा कर इस सर्किट को लांच किया गया। साथ ही भारत की पहली फार्मूला-1 रेस इंडियन ग्रांड प्रिक्स का थीम सांग हाथों में हाथ दे दो भी लांच किया गया। इसे दलेर मेंहदी, केके और लकी अली ने तैयार किया है। | ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश) में देश की पहली फार्मूला वन सर्किट पूरी तरह तैयार है। इसे बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट (बीआईसी) नाम दिया गया है। भारत का प्रथम फॉर्मूला-1 रेस ट्रैक बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट 18 अक्टूबर 2011 को लांच किया गया। फार्मूला-1 रेस टीम रेड बुल की कार को ट्रैक पर टेस्ट रेस करवा कर इस सर्किट को लांच किया गया। साथ ही भारत की पहली फार्मूला-1 रेस इंडियन ग्रांड प्रिक्स का थीम सांग हाथों में हाथ दे दो भी लांच किया गया। इसे दलेर मेंहदी, केके और लकी अली ने तैयार किया है। इसके 14 स्टेंड्स में कुल एक लाख 20 हजार दर्शकों के बैठने की क्षमता है। 30 हजार सीटें मुख्य ग्राउंडस्टैंड में है। | ||
फॉर्मूला-1 रेस ट्रैक बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट 875 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसके ट्रैक की लंबाई 5.14 किलोमीटर है। इसमें 60 लैप होंगे। रेस की कुल लंबाई 308.4 किलोमीटर है। पूरे ट्रैक में 16 मोड़ | फॉर्मूला-1 रेस ट्रैक बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट 875 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसके ट्रैक की लंबाई 5.14 किलोमीटर है। इसमें 60 लैप होंगे। रेस की कुल लंबाई 308.4 किलोमीटर है। पूरे ट्रैक में 16 मोड़ है और उतार-चढ़ाव वाले स्लोप बनाए गए हैं, जो रेस को रोमांचक बनाएंगे। इस सर्किट को चार जोन में विभाजित किया गया है - उत्तर, पश्चिम, पूर्व और दक्षिण। इस सर्किट का सबसे लम्बा स्ट्रेच 1.4 किलोमीटर का है जो टन्र्न-3 पर आता है। इस स्ट्रेच पर कारों की अधिकतम रफ्तार 320 किलोमीट प्रति घंटे पहुंच सकती है। जर्मनी के मशहूर ट्रैक डिजायनर हर्मन टिल्के ने इसे डिजाइन किया है। इस ट्रैक को दुनिया का सबसे तेज ट्रैक माना जा रहा है। | ||
इस एफ वन सर्किट को 400 मिलियन डॉलर/40 करोड़ डॉलर/2 हजार करोड़/करीब 18.36 अरब रुपये रुपये की लागत से तैयार किया गया है। बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट का स्वामित्व जेपी समूह/ जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल लिमिटेड कम्पनी के पास है। यहां 28-30 अक्टूबर 2011 को प्रस्तावित भारत की पहली फार्मूला-1 रेस इंडियन ग्रांड प्रिक्स आयोजित किया गया। | |||
Revision as of 17:02, 1 November 2011
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ग्रेटर नोएडा (उत्तर प्रदेश) में देश की पहली फार्मूला वन सर्किट पूरी तरह तैयार है। इसे बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट (बीआईसी) नाम दिया गया है। भारत का प्रथम फॉर्मूला-1 रेस ट्रैक बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट 18 अक्टूबर 2011 को लांच किया गया। फार्मूला-1 रेस टीम रेड बुल की कार को ट्रैक पर टेस्ट रेस करवा कर इस सर्किट को लांच किया गया। साथ ही भारत की पहली फार्मूला-1 रेस इंडियन ग्रांड प्रिक्स का थीम सांग हाथों में हाथ दे दो भी लांच किया गया। इसे दलेर मेंहदी, केके और लकी अली ने तैयार किया है। इसके 14 स्टेंड्स में कुल एक लाख 20 हजार दर्शकों के बैठने की क्षमता है। 30 हजार सीटें मुख्य ग्राउंडस्टैंड में है।
फॉर्मूला-1 रेस ट्रैक बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट 875 एकड़ क्षेत्र में फैला हुआ है, जिसके ट्रैक की लंबाई 5.14 किलोमीटर है। इसमें 60 लैप होंगे। रेस की कुल लंबाई 308.4 किलोमीटर है। पूरे ट्रैक में 16 मोड़ है और उतार-चढ़ाव वाले स्लोप बनाए गए हैं, जो रेस को रोमांचक बनाएंगे। इस सर्किट को चार जोन में विभाजित किया गया है - उत्तर, पश्चिम, पूर्व और दक्षिण। इस सर्किट का सबसे लम्बा स्ट्रेच 1.4 किलोमीटर का है जो टन्र्न-3 पर आता है। इस स्ट्रेच पर कारों की अधिकतम रफ्तार 320 किलोमीट प्रति घंटे पहुंच सकती है। जर्मनी के मशहूर ट्रैक डिजायनर हर्मन टिल्के ने इसे डिजाइन किया है। इस ट्रैक को दुनिया का सबसे तेज ट्रैक माना जा रहा है।
इस एफ वन सर्किट को 400 मिलियन डॉलर/40 करोड़ डॉलर/2 हजार करोड़/करीब 18.36 अरब रुपये रुपये की लागत से तैयार किया गया है। बुद्ध इंटरनेशनल सर्किट का स्वामित्व जेपी समूह/ जेपी स्पोर्ट्स इंटरनेशनल लिमिटेड कम्पनी के पास है। यहां 28-30 अक्टूबर 2011 को प्रस्तावित भारत की पहली फार्मूला-1 रेस इंडियन ग्रांड प्रिक्स आयोजित किया गया।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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