क्रिसमस ट्री: Difference between revisions
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क्रिसमस ईसाइयों का पवित्र पर्व है जिसे वह बड़ा दिन भी कहते हैं। प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में संपूर्ण विश्व में ईसाई समुदाय के लोग विभिन्न स्थानों पर अपनी-अपनी परंपराओं एवं रीति-रिवाजों के साथ श्रद्धा, भक्ति एवं निष्ठा के साथ मनाते हैं। | क्रिसमस ईसाइयों का पवित्र पर्व है जिसे वह बड़ा दिन भी कहते हैं। प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में संपूर्ण विश्व में ईसाई समुदाय के लोग विभिन्न स्थानों पर अपनी-अपनी परंपराओं एवं रीति-रिवाजों के साथ श्रद्धा, भक्ति एवं निष्ठा के साथ मनाते हैं। | ||
क्रिसमस पर घर-घर और प्रत्येक चर्च में सजने वाला क्रिसमस ट्री आज पूरे विश्व में मशहूर हो चला है। रंगबिरंगी सजावटों से, रोशनियों, गिफ्ट्स से सजा-धजा यह क्रिसमस ट्री अपना अद्भुत आकर्षण पेश करता है। हर एक व्यक्ति इसके सौंदर्य में आप ही खो जाता है। रोशनी से नहाया हुआ क्रिसमस ट्री अपनी खूबसूरती की अनोखी छटा बिखेरता है जिसे देखकर मन में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो जाता है। | क्रिसमस पर घर-घर और प्रत्येक चर्च में सजने वाला क्रिसमस ट्री आज पूरे विश्व में मशहूर हो चला है। रंगबिरंगी सजावटों से, रोशनियों, गिफ्ट्स से सजा-धजा यह क्रिसमस ट्री अपना अद्भुत आकर्षण पेश करता है। हर एक व्यक्ति इसके सौंदर्य में आप ही खो जाता है। रोशनी से नहाया हुआ क्रिसमस ट्री अपनी खूबसूरती की अनोखी छटा बिखेरता है जिसे देखकर मन में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो जाता है। | ||
;क्रिसमस ट्री | |||
क्रिसमस के मौके पर क्रिसमस वृक्ष का विशेष महत्व है। सदाबहार क्रिसमस वृक्ष डगलस, बालसम या फर का पौधा होता है जिस पर क्रिसमस के दिन बहुत सजावट की जाती है। अनुमानतः इस प्रथा की शुरुआत प्राचीन काल में मिस्रवासियों, चीनियों या हिबू्र लोगों ने की थी। यूरोप वासी भी सदाबहार पेड़ों से घरों को सजाते थे। ये लोग इस सदाबहार पेड़ की मालाओं, पुष्पहारों को जीवन की निरंतरता का प्रतीक मानते थे। उनका विश्वास था कि इन पौधों को घरों में सजाने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं। | क्रिसमस के मौके पर क्रिसमस वृक्ष का विशेष महत्व है। सदाबहार क्रिसमस वृक्ष डगलस, बालसम या फर का पौधा होता है जिस पर क्रिसमस के दिन बहुत सजावट की जाती है। अनुमानतः इस प्रथा की शुरुआत प्राचीन काल में मिस्रवासियों, चीनियों या हिबू्र लोगों ने की थी। यूरोप वासी भी सदाबहार पेड़ों से घरों को सजाते थे। ये लोग इस सदाबहार पेड़ की मालाओं, पुष्पहारों को जीवन की निरंतरता का प्रतीक मानते थे। उनका विश्वास था कि इन पौधों को घरों में सजाने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं। | ||
सदियों से सदाबहार वृक्ष फर या उसकी डाल को क्रिसमस ट्री के रूप में सजाने की परंपरा चली आ रही है। प्राचीनकाल में रोमनवासी फर के वृक्ष को अपने मंदिर सजाने के लिए उपयोग करते थे। लेकिन जीसस को मानने वाले लोग इसे ईश्वर के साथ अनंत जीवन के प्रतीक के रूप में सजाते हैं। हालांकि इस परंपरा की शुरुआत की एकदम सही-सही जानकारी नहीं मिलती है। | सदियों से सदाबहार वृक्ष फर या उसकी डाल को क्रिसमस ट्री के रूप में सजाने की परंपरा चली आ रही है। प्राचीनकाल में रोमनवासी फर के वृक्ष को अपने मंदिर सजाने के लिए उपयोग करते थे। लेकिन जीसस को मानने वाले लोग इसे ईश्वर के साथ अनंत जीवन के प्रतीक के रूप में सजाते हैं। हालांकि इस परंपरा की शुरुआत की एकदम सही-सही जानकारी नहीं मिलती है। | ||
;क्रिसमस ट्री की सजावट | |||
माना जाता है कि क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा की शुरुआत हजारों साल पहले उत्तरी यूरोप से हुई। पहले के समय में क्रिसमस ट्री गमले में रखने की जगह घर की सीलिंग से लटकाए जाते थे। फर के अलावा लोग चैरी के वृक्ष को भी क्रिसमस ट्री के रूप में सजाते थे। अगर लोग क्रिसमस ट्री को लेने में सक्षम नहीं होते थे तब वे लकड़ी के पिरामिड को एप्पल और अन्य सजावटों से इस प्रकार सजाते थे कि यह क्रिसमस ट्री की तरह लगे क्योंकि क्रिसमस ट्री का आकार भी पिरामिड के जैसा ही होता है। इसके अलावा क्रिसमस ट्री की उत्पत्ति को लेकर कई किवदंतियां हैं। | माना जाता है कि क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा की शुरुआत हजारों साल पहले उत्तरी यूरोप से हुई। पहले के समय में क्रिसमस ट्री गमले में रखने की जगह घर की सीलिंग से लटकाए जाते थे। फर के अलावा लोग चैरी के वृक्ष को भी क्रिसमस ट्री के रूप में सजाते थे। अगर लोग क्रिसमस ट्री को लेने में सक्षम नहीं होते थे तब वे लकड़ी के पिरामिड को एप्पल और अन्य सजावटों से इस प्रकार सजाते थे कि यह क्रिसमस ट्री की तरह लगे क्योंकि क्रिसमस ट्री का आकार भी पिरामिड के जैसा ही होता है। इसके अलावा क्रिसमस ट्री की उत्पत्ति को लेकर कई किवदंतियां हैं। | ||
;संत बोनिफेस | |||
ऐसा माना जाता है कि संत बोनिफेस इंग्लैंड को छोड़कर जर्मनी चले गए। जहां उनका उद्देश्य जर्मन लोगों को ईसा मसीह का संदेश सुनाना था। इस दौरान उन्होंने पाया कि कुछ लोग ईश्वर को संतुष्ट करने हेतु ओक वृक्ष के नीचे एक छोटे बालक की बलि दे रहे थे। गुस्से में आकर संत बोनिफेस ने वह ओक वृक्ष कटवा डाला और उसकी जगह फर का नया पौधा लगवाया जिसे संत बोनिफेस ने प्रभु यीशु मसीह के जन्म का प्रतीक माना और उनके अनुयायिओं ने उस पौधे को मोमबत्तियों से सजाया। तभी से क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा चली आ रही है। | ऐसा माना जाता है कि संत बोनिफेस इंग्लैंड को छोड़कर जर्मनी चले गए। जहां उनका उद्देश्य जर्मन लोगों को ईसा मसीह का संदेश सुनाना था। इस दौरान उन्होंने पाया कि कुछ लोग ईश्वर को संतुष्ट करने हेतु ओक वृक्ष के नीचे एक छोटे बालक की बलि दे रहे थे। गुस्से में आकर संत बोनिफेस ने वह ओक वृक्ष कटवा डाला और उसकी जगह फर का नया पौधा लगवाया जिसे संत बोनिफेस ने प्रभु यीशु मसीह के जन्म का प्रतीक माना और उनके अनुयायिओं ने उस पौधे को मोमबत्तियों से सजाया। तभी से क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा चली आ रही है। | ||
;छोटा बालक की कहानी | |||
इसके अलावा इससे जुड़ी एक और कहानी मशहूर है वह यह कि एक बार क्रिसमस पूर्व की संध्या में कड़ाके की ठंड में एक छोटा बालक घूमते हुए खो जाता है। ठंड से बचने के लिए वह आसरे की तलाश करता है तभी उसको एक झोपड़ी दिखाई देती है। उस झोपड़ी में एक लकड़हारा अपने परिवार के साथ आग ताप रहा होता है। लड़का इस उम्मीद के साथ दरवाजा खटखटाता है कि उसे यहां आसरा मिल जाएगा। लकड़हारा दरवाजा खोलता है और उस बालक को वहां खड़ा पाता है। उस बालक को ठंड में ठिठुरता देख लकड़हारा उसे अंदर बुला लेता है। उसकी बीवी उस बच्चे की सेवा करती है। उसे नहला कर, खाना खिलाकर अपने सबसे छोटे बेटे के साथ उसे सुला देती है। क्रिसमस की सुबह लकड़हारे और उसके परिवार की नींद स्वर्गदूतों की गायन मंडली के स्वर से खुलती है और वे देखते हैं कि वह छोटा बालक यीशु मसीह के रूप में बदल गया है। यीशु बाहर जाते हैं और फर वृक्ष की एक डाल तोड़कर उस परिवार को धन्यवाद कहते हुए देते हैं। तभी से इस रात की याद में प्रत्येक मसीह परिवार अपने घर में क्रिसमस ट्री सजाता है। | इसके अलावा इससे जुड़ी एक और कहानी मशहूर है वह यह कि एक बार क्रिसमस पूर्व की संध्या में कड़ाके की ठंड में एक छोटा बालक घूमते हुए खो जाता है। ठंड से बचने के लिए वह आसरे की तलाश करता है तभी उसको एक झोपड़ी दिखाई देती है। उस झोपड़ी में एक लकड़हारा अपने परिवार के साथ आग ताप रहा होता है। लड़का इस उम्मीद के साथ दरवाजा खटखटाता है कि उसे यहां आसरा मिल जाएगा। लकड़हारा दरवाजा खोलता है और उस बालक को वहां खड़ा पाता है। उस बालक को ठंड में ठिठुरता देख लकड़हारा उसे अंदर बुला लेता है। उसकी बीवी उस बच्चे की सेवा करती है। उसे नहला कर, खाना खिलाकर अपने सबसे छोटे बेटे के साथ उसे सुला देती है। क्रिसमस की सुबह लकड़हारे और उसके परिवार की नींद स्वर्गदूतों की गायन मंडली के स्वर से खुलती है और वे देखते हैं कि वह छोटा बालक यीशु मसीह के रूप में बदल गया है। यीशु बाहर जाते हैं और फर वृक्ष की एक डाल तोड़कर उस परिवार को धन्यवाद कहते हुए देते हैं। तभी से इस रात की याद में प्रत्येक मसीह परिवार अपने घर में क्रिसमस ट्री सजाता है। | ||
;जर्मनी में क्रिसमस ट्री | |||
आज जिस तरह मसीह समुदाय के लोग घर में क्रिसमस ट्री सजाते हैं उसका श्रेय जर्मनी के मार्टिन लूथर को जाता है। कहा जाता है क्रिसमस की पूर्व संध्या में मार्टिन लूथर यूं ही बाहर घूम रहे थे और आकाश में चमकते सितारों को देख रहे थे। जो फर के वृक्षों की डालियों में से बहुत ही सुंदर दिखाई दे रहे थे। घर आकर उन्होंने यह बात अपने परिवार को बताई और कहा कि इस तारे ने मुझे प्रभु यीशु मसीह के जन्म को स्मरण कराया। इसके लिए वे एक फर वृक्ष की डाल घर में लेकर आए और उसे मोमबत्तियों से सजाया। ताकि उनका परिवार उनके इस अनुभव को महसूस कर सके। अत: घर के अंदर क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा की शुरूआत मार्टिन लूथर के द्वारा ही मानी जाती है। | आज जिस तरह मसीह समुदाय के लोग घर में क्रिसमस ट्री सजाते हैं उसका श्रेय जर्मनी के मार्टिन लूथर को जाता है। कहा जाता है क्रिसमस की पूर्व संध्या में मार्टिन लूथर यूं ही बाहर घूम रहे थे और आकाश में चमकते सितारों को देख रहे थे। जो फर के वृक्षों की डालियों में से बहुत ही सुंदर दिखाई दे रहे थे। घर आकर उन्होंने यह बात अपने परिवार को बताई और कहा कि इस तारे ने मुझे प्रभु यीशु मसीह के जन्म को स्मरण कराया। इसके लिए वे एक फर वृक्ष की डाल घर में लेकर आए और उसे मोमबत्तियों से सजाया। ताकि उनका परिवार उनके इस अनुभव को महसूस कर सके। अत: घर के अंदर क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा की शुरूआत मार्टिन लूथर के द्वारा ही मानी जाती है। | ||
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विक्टोरिया काल में इन पेड़ों पर मोमबत्तियों, टॉफियों और बढ़िया किस्म के केकों को रिबन और कागज की पट्टियों से पेड़ पर बांधा जाता था। | विक्टोरिया काल में इन पेड़ों पर मोमबत्तियों, टॉफियों और बढ़िया किस्म के केकों को रिबन और कागज की पट्टियों से पेड़ पर बांधा जाता था। | ||
;क्रिसमस ट्री के रूप | |||
यूनाइटेड स्टेट में क्रिसमस ट्री के रिवाज की शुरुआत आजादी की लड़ाई के दौरान हुई और इसका श्रेय हैसेन ट्रूप्स को दिया जाता है। ब्रिटेन में क्रिसमस ट्री सजाने की शुरुआत सन् 1830 में मानी जाती है। इंग्लैंड में सन् 1841 में जब क्वीन विक्टोरिया के पति प्रिंस अल्बर्ट ने विन्डसर महल (विडसर कैसल) में क्रिसमस ट्री को सजाया, तब से क्रिसमस ट्री ब्रिटेन में बहुत लोकप्रिय हो गया और क्रिसमस सेलिब्रेशन का अहम हिस्सा बन गया। क्वीन विक्टोरिया के समय में क्रिसमस ट्री को कैंडल्स से सजाया जाता था और यह कैंडल्स तारे को दर्शाती थीं। आज भी यूरोप के कई हिस्सों में क्रिसमस ट्री सजाने के लिए कैंडल्स का प्रमुखता से उपयोग किया जाता है। | यूनाइटेड स्टेट में क्रिसमस ट्री के रिवाज की शुरुआत आजादी की लड़ाई के दौरान हुई और इसका श्रेय हैसेन ट्रूप्स को दिया जाता है। ब्रिटेन में क्रिसमस ट्री सजाने की शुरुआत सन् 1830 में मानी जाती है। इंग्लैंड में सन् 1841 में जब क्वीन विक्टोरिया के पति प्रिंस अल्बर्ट ने विन्डसर महल (विडसर कैसल) में क्रिसमस ट्री को सजाया, तब से क्रिसमस ट्री ब्रिटेन में बहुत लोकप्रिय हो गया और क्रिसमस सेलिब्रेशन का अहम हिस्सा बन गया। क्वीन विक्टोरिया के समय में क्रिसमस ट्री को कैंडल्स से सजाया जाता था और यह कैंडल्स तारे को दर्शाती थीं। आज भी यूरोप के कई हिस्सों में क्रिसमस ट्री सजाने के लिए कैंडल्स का प्रमुखता से उपयोग किया जाता है। | ||
Revision as of 15:13, 25 December 2011
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- क्रिसमस में क्रिसमस ट्री
क्रिसमस ईसाइयों का पवित्र पर्व है जिसे वह बड़ा दिन भी कहते हैं। प्रतिवर्ष 25 दिसंबर को प्रभु ईसा मसीह के जन्मदिन के रूप में संपूर्ण विश्व में ईसाई समुदाय के लोग विभिन्न स्थानों पर अपनी-अपनी परंपराओं एवं रीति-रिवाजों के साथ श्रद्धा, भक्ति एवं निष्ठा के साथ मनाते हैं।
क्रिसमस पर घर-घर और प्रत्येक चर्च में सजने वाला क्रिसमस ट्री आज पूरे विश्व में मशहूर हो चला है। रंगबिरंगी सजावटों से, रोशनियों, गिफ्ट्स से सजा-धजा यह क्रिसमस ट्री अपना अद्भुत आकर्षण पेश करता है। हर एक व्यक्ति इसके सौंदर्य में आप ही खो जाता है। रोशनी से नहाया हुआ क्रिसमस ट्री अपनी खूबसूरती की अनोखी छटा बिखेरता है जिसे देखकर मन में एक सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो जाता है।
- क्रिसमस ट्री
क्रिसमस के मौके पर क्रिसमस वृक्ष का विशेष महत्व है। सदाबहार क्रिसमस वृक्ष डगलस, बालसम या फर का पौधा होता है जिस पर क्रिसमस के दिन बहुत सजावट की जाती है। अनुमानतः इस प्रथा की शुरुआत प्राचीन काल में मिस्रवासियों, चीनियों या हिबू्र लोगों ने की थी। यूरोप वासी भी सदाबहार पेड़ों से घरों को सजाते थे। ये लोग इस सदाबहार पेड़ की मालाओं, पुष्पहारों को जीवन की निरंतरता का प्रतीक मानते थे। उनका विश्वास था कि इन पौधों को घरों में सजाने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं।
सदियों से सदाबहार वृक्ष फर या उसकी डाल को क्रिसमस ट्री के रूप में सजाने की परंपरा चली आ रही है। प्राचीनकाल में रोमनवासी फर के वृक्ष को अपने मंदिर सजाने के लिए उपयोग करते थे। लेकिन जीसस को मानने वाले लोग इसे ईश्वर के साथ अनंत जीवन के प्रतीक के रूप में सजाते हैं। हालांकि इस परंपरा की शुरुआत की एकदम सही-सही जानकारी नहीं मिलती है।
- क्रिसमस ट्री की सजावट
माना जाता है कि क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा की शुरुआत हजारों साल पहले उत्तरी यूरोप से हुई। पहले के समय में क्रिसमस ट्री गमले में रखने की जगह घर की सीलिंग से लटकाए जाते थे। फर के अलावा लोग चैरी के वृक्ष को भी क्रिसमस ट्री के रूप में सजाते थे। अगर लोग क्रिसमस ट्री को लेने में सक्षम नहीं होते थे तब वे लकड़ी के पिरामिड को एप्पल और अन्य सजावटों से इस प्रकार सजाते थे कि यह क्रिसमस ट्री की तरह लगे क्योंकि क्रिसमस ट्री का आकार भी पिरामिड के जैसा ही होता है। इसके अलावा क्रिसमस ट्री की उत्पत्ति को लेकर कई किवदंतियां हैं।
- संत बोनिफेस
ऐसा माना जाता है कि संत बोनिफेस इंग्लैंड को छोड़कर जर्मनी चले गए। जहां उनका उद्देश्य जर्मन लोगों को ईसा मसीह का संदेश सुनाना था। इस दौरान उन्होंने पाया कि कुछ लोग ईश्वर को संतुष्ट करने हेतु ओक वृक्ष के नीचे एक छोटे बालक की बलि दे रहे थे। गुस्से में आकर संत बोनिफेस ने वह ओक वृक्ष कटवा डाला और उसकी जगह फर का नया पौधा लगवाया जिसे संत बोनिफेस ने प्रभु यीशु मसीह के जन्म का प्रतीक माना और उनके अनुयायिओं ने उस पौधे को मोमबत्तियों से सजाया। तभी से क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा चली आ रही है।
- छोटा बालक की कहानी
इसके अलावा इससे जुड़ी एक और कहानी मशहूर है वह यह कि एक बार क्रिसमस पूर्व की संध्या में कड़ाके की ठंड में एक छोटा बालक घूमते हुए खो जाता है। ठंड से बचने के लिए वह आसरे की तलाश करता है तभी उसको एक झोपड़ी दिखाई देती है। उस झोपड़ी में एक लकड़हारा अपने परिवार के साथ आग ताप रहा होता है। लड़का इस उम्मीद के साथ दरवाजा खटखटाता है कि उसे यहां आसरा मिल जाएगा। लकड़हारा दरवाजा खोलता है और उस बालक को वहां खड़ा पाता है। उस बालक को ठंड में ठिठुरता देख लकड़हारा उसे अंदर बुला लेता है। उसकी बीवी उस बच्चे की सेवा करती है। उसे नहला कर, खाना खिलाकर अपने सबसे छोटे बेटे के साथ उसे सुला देती है। क्रिसमस की सुबह लकड़हारे और उसके परिवार की नींद स्वर्गदूतों की गायन मंडली के स्वर से खुलती है और वे देखते हैं कि वह छोटा बालक यीशु मसीह के रूप में बदल गया है। यीशु बाहर जाते हैं और फर वृक्ष की एक डाल तोड़कर उस परिवार को धन्यवाद कहते हुए देते हैं। तभी से इस रात की याद में प्रत्येक मसीह परिवार अपने घर में क्रिसमस ट्री सजाता है।
- जर्मनी में क्रिसमस ट्री
आज जिस तरह मसीह समुदाय के लोग घर में क्रिसमस ट्री सजाते हैं उसका श्रेय जर्मनी के मार्टिन लूथर को जाता है। कहा जाता है क्रिसमस की पूर्व संध्या में मार्टिन लूथर यूं ही बाहर घूम रहे थे और आकाश में चमकते सितारों को देख रहे थे। जो फर के वृक्षों की डालियों में से बहुत ही सुंदर दिखाई दे रहे थे। घर आकर उन्होंने यह बात अपने परिवार को बताई और कहा कि इस तारे ने मुझे प्रभु यीशु मसीह के जन्म को स्मरण कराया। इसके लिए वे एक फर वृक्ष की डाल घर में लेकर आए और उसे मोमबत्तियों से सजाया। ताकि उनका परिवार उनके इस अनुभव को महसूस कर सके। अत: घर के अंदर क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा की शुरूआत मार्टिन लूथर के द्वारा ही मानी जाती है।
कहा जाता है कि क्रिसमस और न्यू ईयर के सेलिब्रेशन में सदाबहार वृक्ष का उपयोग पहली बार लत्विया की राजधानी रिगा के टाउन स्क्वेयर में किया गया।
आधुनिक क्रिसमस ट्री की शुरुआत पश्चिम जर्मनी में हुई। मध्यकाल में एक लोकप्रिय नाटक के मंचन के दौरान ईडन गार्डन को दिखाने के लिए फर के पौधों का प्रयोग किया गया जिस पर सेब लटकाए गए। इस पेड़ को स्वर्ग वृक्ष का प्रतीक दिखाया गया था। उसके बाद जर्मनी के लोगों ने 24 दिसंबर को फर के पेड़ से अपने घर की सजावट करनी शुरू कर दी। इस पर रंगीन पत्रियों, कागजों और लकड़ी के तिकोने तख्ते सजाए जाते थे।
1605 में जर्मनी में पहली बार क्रिसमस ट्री को कागज के गुलाबों, सेब और केन्डीस से सजाया गया। पहले के समय में क्रिसमस ट्री के टॉप पर बालक यीशु का स्टेच्यू रखा जाता था। जिसका स्थान बाद में उस एंजल के स्टेच्यू ने ले लिया जिसने गरड़ियों को यीशु मसीह के जन्म के बारे में बताया था। कुछ समय बाद क्रिसमस ट्री के टॉप पर सितारे को रखा जाने लगा जिसने ज्योतिषियों को यीशु का पता बताया था। आज भी क्रिसमस ट्री के टॉप पर सितारा रखा जाता है। क्रिसमस ट्री के साथ-साथ ही सारे मसीह परिवार और चर्च में इस तारे को विशेष तौर पर लगाया जाता है।
विक्टोरिया काल में इन पेड़ों पर मोमबत्तियों, टॉफियों और बढ़िया किस्म के केकों को रिबन और कागज की पट्टियों से पेड़ पर बांधा जाता था।
- क्रिसमस ट्री के रूप
यूनाइटेड स्टेट में क्रिसमस ट्री के रिवाज की शुरुआत आजादी की लड़ाई के दौरान हुई और इसका श्रेय हैसेन ट्रूप्स को दिया जाता है। ब्रिटेन में क्रिसमस ट्री सजाने की शुरुआत सन् 1830 में मानी जाती है। इंग्लैंड में सन् 1841 में जब क्वीन विक्टोरिया के पति प्रिंस अल्बर्ट ने विन्डसर महल (विडसर कैसल) में क्रिसमस ट्री को सजाया, तब से क्रिसमस ट्री ब्रिटेन में बहुत लोकप्रिय हो गया और क्रिसमस सेलिब्रेशन का अहम हिस्सा बन गया। क्वीन विक्टोरिया के समय में क्रिसमस ट्री को कैंडल्स से सजाया जाता था और यह कैंडल्स तारे को दर्शाती थीं। आज भी यूरोप के कई हिस्सों में क्रिसमस ट्री सजाने के लिए कैंडल्स का प्रमुखता से उपयोग किया जाता है।
सन् 1885 में शिकागो का एक अस्पताल क्रिसमस ट्री की मोमबत्तियों द्वारा आग की चपेट में आ गया था। आग की इस वजह को खत्म करने के लिए रेल्फ मॉरिस ने 1895 में बिजली से जलने वाली क्रिसमस लाइट का आविष्कार किया जिनका रूप आज की लाइट्स से काफी मिलता-जुलता था। इस तरह रेल्फ मॉरिस ने क्रिसमस को सुरक्षित बनाया और कैं डल्स द्वारा आग की संभावनाओं को कम किया।
क्रिसमस ट्री के तीन पॉइंट परमेश्वर के त्रियेक रूप पिता़, पुत्र और पवित्र आत्मा को दर्शाते हैं। धीरे-धीरे क्रिसमस ट्री की सजावटों के नए-नए पैमाने बनते चले गए और आज क्रिसमस ट्री को हम रंगबिरंगी रोशनियों, सितारों, घंटियों, उपहारों, चॉकलेट्स से सजा-धजा पाते हैं।
क्रिसमस ट्री के नाम पर पेड़ों की अंधाधुंध कटाई को रोकने के लिए बाजारों में कृत्रिम क्रिसमस ट्री भी उपलब्ध हैं। बाजारों में सजे और बिना सजे दोनों प्रकार के क्रिसमस ट्री मौजूद हैं। जिन्हें हम अपनी इच्छा और क्षमता के अनुसार खरीद सकते हैं और क्रिसमस सेलिब्रेशन को शानदार व यादगार बना सकते हैं।
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टीका टिप्पणी और संदर्भ
बाहरी कड़ियाँ
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