नागदा उदयपुर: Difference between revisions
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उदयपुर से २७ किलोमीटर दूरी पर स्थित नागदा एक दर्शनीय स्थान है। यह पहले गुहिल शासकों की प्राचीन राजधानी रह चु्का है। ६६१ ई. (संवत् ७१८) का अभिलेख इस स्थान की प्राचीनता को प्रमाणित करता है, यह पुरातात्विक सामग्री की शैली के आधार पर उतना प्राचीन प्रतीत नहीं होता है। यहाँ के प्राचीन स्मारक समय के साथ नष्ट हो गये होंगे। यहाँ से प्राप्त १०२६ ई. के एक अभिलेख के अनुसार, गुहिल शासक श्रीधर ने यहाँ के कुछ मंदिरों का निर्माण करवाया था, वर्त्तमान का सास- बहू मंदिर इन्हीं मंदिरों में है। शैलीगत समानता के आधार पर भी ये मंदिर १०वीं और ११ वीं शताब्दी में निर्मित प्रतीत होते हैं। कहा जाता है कि इन मंदिरों की स्थापना सहस्रबाहु नामक राजा के द्वारा करवाई गई थी, लेकिन चूँकि गुहिल वंश के इतिहास में इस नाम से किसी भी शासक की चर्चा नहीं की गई है। अतः यह तर्कसंगत प्रतीत नहीं होता। | |||
गुहिल शासकों के सूर्यवंशी होने के कारण बागदा के इस मंदिर को [[विष्णु]] जी को समर्पित किया गया है। गर्भगृह के पृष्ठभाग की प्रमुख ताख में एक चतुर्भुज विष्णु प्रतिमा प्रतिष्ठित है। दोनों मंदिरों के बाह्य भाग पर श्रृंगार-रत नर-नारियों का अंकन किया गया है। इस मंदिरों के दायीं ओर के कोने पर एक शक्ति मंदिर निर्मित है, जिस मंदिर में शक्ति के विविध रुपों का अंकन किया गया है। | |||
नागदा के पास ही एक मंदिर समूह एकलिंग या कैलाशपुरी के नाम से जाना जाता है। यहाँ के लकुलीश मंदिर से प्राप्त शिलालेख ९७१ ई. का है और यह सर्वाधिक प्राचीन है। अन्य मंदिर १२वीं शताब्दी के हैं। | |||
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राजस्थान, उदयपुर से २७ किलोमीटर दूरी पर स्थित नागदा एक दर्शनीय स्थान है। यह एकलिंगजी से कुछ पहले स्थित है। नागदा का प्राचीन शहर पहले रावल नागादित्य की राजधानी थी। वर्तमान में यह एक छोटा सा गाँव है। यह गाँव 11वीं शताब्दी में बने 'सास-बहू' मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। इस मंदिर का मूल नाम 'सहस्त्रबाहु' था जो कि विकृत होकर सास-बहू हो गया है। यह एक छोटा सा मंदिर है। लेकिन मंदिर की वास्तुशैली काफ़ी आकर्षक है।
उदयपुर से २७ किलोमीटर दूरी पर स्थित नागदा एक दर्शनीय स्थान है। यह पहले गुहिल शासकों की प्राचीन राजधानी रह चु्का है। ६६१ ई. (संवत् ७१८) का अभिलेख इस स्थान की प्राचीनता को प्रमाणित करता है, यह पुरातात्विक सामग्री की शैली के आधार पर उतना प्राचीन प्रतीत नहीं होता है। यहाँ के प्राचीन स्मारक समय के साथ नष्ट हो गये होंगे। यहाँ से प्राप्त १०२६ ई. के एक अभिलेख के अनुसार, गुहिल शासक श्रीधर ने यहाँ के कुछ मंदिरों का निर्माण करवाया था, वर्त्तमान का सास- बहू मंदिर इन्हीं मंदिरों में है। शैलीगत समानता के आधार पर भी ये मंदिर १०वीं और ११ वीं शताब्दी में निर्मित प्रतीत होते हैं। कहा जाता है कि इन मंदिरों की स्थापना सहस्रबाहु नामक राजा के द्वारा करवाई गई थी, लेकिन चूँकि गुहिल वंश के इतिहास में इस नाम से किसी भी शासक की चर्चा नहीं की गई है। अतः यह तर्कसंगत प्रतीत नहीं होता।
गुहिल शासकों के सूर्यवंशी होने के कारण बागदा के इस मंदिर को विष्णु जी को समर्पित किया गया है। गर्भगृह के पृष्ठभाग की प्रमुख ताख में एक चतुर्भुज विष्णु प्रतिमा प्रतिष्ठित है। दोनों मंदिरों के बाह्य भाग पर श्रृंगार-रत नर-नारियों का अंकन किया गया है। इस मंदिरों के दायीं ओर के कोने पर एक शक्ति मंदिर निर्मित है, जिस मंदिर में शक्ति के विविध रुपों का अंकन किया गया है।
नागदा के पास ही एक मंदिर समूह एकलिंग या कैलाशपुरी के नाम से जाना जाता है। यहाँ के लकुलीश मंदिर से प्राप्त शिलालेख ९७१ ई. का है और यह सर्वाधिक प्राचीन है। अन्य मंदिर १२वीं शताब्दी के हैं।