प्रयोग:Shilpi: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
No edit summary
Line 5: Line 5:
*भगवान महावीर ने अपना प्रथम प्रवचन राजगीर के विपुलागिरि नामक स्थान पर प्रारम्भ किया था।  
*भगवान महावीर ने अपना प्रथम प्रवचन राजगीर के विपुलागिरि नामक स्थान पर प्रारम्भ किया था।  
*मुसलमान फकीर मखदूम शाह ने भी इसी स्थान पार साधना की थी, जहाँ उनकी एक मजार स्थापित की गई है।
*मुसलमान फकीर मखदूम शाह ने भी इसी स्थान पार साधना की थी, जहाँ उनकी एक मजार स्थापित की गई है।
*2200 फीट लम्बे इस रज्जुमार्ग में 114 कुर्सियाँ हैं।
राजगीर की सुन्दर घाटी में जापान द्वारा निर्मित आकाशीय रज्जुपथ (रोप वे) की व्यवस्था, जिससे गृद्धकूट पर्वत से रत्नागिरि पर्वत तक आ-जा सकते हैं।
राजगीर की सुन्दर घाटी में जापान द्वारा निर्मित आकाशीय रज्जुपथ (रोप वे) की व्यवस्था, जिससे गृद्धकूट पर्वत से रत्नागिरि पर्वत तक आ-जा सकते हैं।
==महोत्सव==
==महोत्सव==
प्रतिवर्ष 24 से 26 अक्टूबर तक राजगीर महोत्सव का आयोजन होता है, जिसमें मगध के इतिहास की झलक गीत, संगीत और नृत्य के माध्यम से प्रख्यात कलाकारों द्वारा प्रस्तुत की जाती है, जिसे देश विदेश के हजारों पर्यटक पहुँचते है।
प्रतिवर्ष 24 से 26 अक्टूबर तक राजगीर महोत्सव का आयोजन होता है, जिसमें मगध के इतिहास की झलक गीत, संगीत और नृत्य के माध्यम से प्रख्यात कलाकारों द्वारा प्रस्तुत की जाती है, जिसे देश विदेश के हजारों पर्यटक पहुँचते है।

Revision as of 06:22, 27 May 2010

पवित्र स्थल

नालंदा से 19 किमी दूर राजगीर हिन्दू, बौद्ध एवं जैन धर्मों का पवित्र स्थल है, जो प्राचीनकाल में मगध राज्य की राजधानी था और जिसके ध्वंसावशेष यहाँ आज भी विद्यमान है पाटलिपुत्र की स्थापना से पूर्व राजगीर अपने उत्कर्ष के शिखर पर था, जहाँ खण्डहरों के रूप में किला, रथों के पथ, स्नानागार, स्तूप और महल मौजूद हैं।

  • भगवान बुद्ध ने अपने जीवन के अनेक वर्ष यहाँ व्यतीत किए थे।
  • भगवान महावीर ने अपना प्रथम प्रवचन राजगीर के विपुलागिरि नामक स्थान पर प्रारम्भ किया था।
  • मुसलमान फकीर मखदूम शाह ने भी इसी स्थान पार साधना की थी, जहाँ उनकी एक मजार स्थापित की गई है।
  • 2200 फीट लम्बे इस रज्जुमार्ग में 114 कुर्सियाँ हैं।

राजगीर की सुन्दर घाटी में जापान द्वारा निर्मित आकाशीय रज्जुपथ (रोप वे) की व्यवस्था, जिससे गृद्धकूट पर्वत से रत्नागिरि पर्वत तक आ-जा सकते हैं।

महोत्सव

प्रतिवर्ष 24 से 26 अक्टूबर तक राजगीर महोत्सव का आयोजन होता है, जिसमें मगध के इतिहास की झलक गीत, संगीत और नृत्य के माध्यम से प्रख्यात कलाकारों द्वारा प्रस्तुत की जाती है, जिसे देश विदेश के हजारों पर्यटक पहुँचते है।