नफ़रत की लाठी तोड़ो: Difference between revisions

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* फ़िल्म : देश प्रेमी (1982)
* संगीतकार : लक्ष्मीकांत-[[प्यारेलाल]]
* गायक : [[मोहम्मद रफ़ी|मो. रफ़ी]]
* गीतकार:
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नफ़रत की लाठी तोड़ो, लालच का खंजर फेंको
नफ़रत की लाठी तोड़ो, लालच का खंजर फेंको
ज़िद के पीछे मत दौड़ो, तुम प्रेम के पंछी हो
ज़िद के पीछे मत दौड़ो, तुम प्रेम के पंछी हो
देश प्रेमियों, आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों ...
देश प्रेमियों, आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों ...
मीठे, पानी में, ये ज़हर न तुम घोलो
जब भी, कुछ बोलो, ये सोच के तुम बोलो
भर जाता है गहरा घाव जो बनता है गोली से
पर वो घाव नहीं भरता जो बना हो कड़वी बोली से
तो मीठे बोल कहो, मेरे देश प्रेमियों ...


देखो, ये धरती, हम सब की माता है
देखो, ये धरती, हम सब की माता है
सोचो, आपस में, क्या अपना नाता है
सोचो, आपस में, क्या अपना नाता है
हम आपस में लड़ बैठे,
हम आपस में लड़ बैठे तो देश को कौन सम्भालेगा
हम आपस में लड़ बैठे तो देश को कौन सम्भालेगा
कोई बाहर वाला अपने घर से हमें निकालेगा
कोई बाहर वाला अपने घर से हमें निकालेगा
दीवानों होश करो, मेरे देश प्रेमियों ...
दीवानों होश करो, मेरे देश प्रेमियों ...
मीठे, पानी में, ये ज़हर न तुम घोलो
जब भी, कुछ बोलो, ये सोच के तुम बोलो
भर जाता है गहरा घाव जो बनता है गोली से
पर वो घाव नहीं भरता जो बना हो कड़वी बोली से
तो मीठे बोल कहो, मेरे देश प्रेमियों ...


तोड़ो, दीवारें, ये चार दिशाओं की
तोड़ो, दीवारें, ये चार दिशाओं की
रोको, मत राहें इन, मस्त हवाओं की
रोको, मत राहें, इन मस्त हवाओं की
पूरब पश्चिम उत्तर दक्खिन वालों मेरा मतलब है
पूरब पश्चिम उत्तर दक्खिन वालों मेरा मतलब है
इस माटी से पूछो क्या भाषा क्या इसका मज़हब है
इस माटी से पूछो क्या भाषा क्या इसका मज़हब है
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* फ़िल्म :
* संगीतकार :
* गायक : 
* रचनाकार :


==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
==टीका टिप्पणी और संदर्भ==
<references/>
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==बाहरी कड़ियाँ==
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.youtube.com/watch?v=dyxp1LaStrQ नफ़रत की लाठी तोड़ो (यू-ट्यूब)]
==संबंधित लेख==
==संबंधित लेख==
{{देश भक्ति गीत}}
{{देश भक्ति गीत}}

Revision as of 09:52, 5 November 2012

संक्षिप्त परिचय

नफ़रत की लाठी तोड़ो, लालच का खंजर फेंको
ज़िद के पीछे मत दौड़ो, तुम प्रेम के पंछी हो
देश प्रेमियों, आपस में प्रेम करो देश प्रेमियों ...

मीठे, पानी में, ये ज़हर न तुम घोलो
जब भी, कुछ बोलो, ये सोच के तुम बोलो
भर जाता है गहरा घाव जो बनता है गोली से
पर वो घाव नहीं भरता जो बना हो कड़वी बोली से
तो मीठे बोल कहो, मेरे देश प्रेमियों ...

देखो, ये धरती, हम सब की माता है
सोचो, आपस में, क्या अपना नाता है
हम आपस में लड़ बैठे तो देश को कौन सम्भालेगा
कोई बाहर वाला अपने घर से हमें निकालेगा
दीवानों होश करो, मेरे देश प्रेमियों ...

तोड़ो, दीवारें, ये चार दिशाओं की
रोको, मत राहें, इन मस्त हवाओं की
पूरब पश्चिम उत्तर दक्खिन वालों मेरा मतलब है
इस माटी से पूछो क्या भाषा क्या इसका मज़हब है
फिर मुझसे बात करो, मेरे देश प्रेमियों ...

टीका टिप्पणी और संदर्भ

बाहरी कड़ियाँ

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