चापेकर बन्धु: Difference between revisions

भारत डिस्कवरी प्रस्तुति
Jump to navigation Jump to search
[unchecked revision][unchecked revision]
(''''चापेकर बन्धु''' के रूप में 'दामोदर चापेकर' (1870-1897 ई.), '...' के साथ नया पन्ना बनाया)
 
No edit summary
Line 2: Line 2:


*[[महाराष्ट्र]] के इन तीनों चापेकर बन्धुओं ने बाल गंगाधर तिलक के प्रभाव में आकर देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
*[[महाराष्ट्र]] के इन तीनों चापेकर बन्धुओं ने बाल गंगाधर तिलक के प्रभाव में आकर देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
*बालकृष्ण तथा दामोदर चापेकर ने [[जून]], [[1897]] ई. में [[महारानी विक्टोरिया]] के 'हीरक जयन्ती' समारोह के अवसर पर दो ब्रिटिश अधिकारियों रैण्ड और ले. एम्हर्स्ट की हत्या कर दी थी।
*बालकृष्ण तथा दामोदर चापेकर ने [[जून]], [[1897]] ई. में [[महारानी विक्टोरिया]] के '[[हीरक जयंती|हीरक जयन्ती]]' समारोह के अवसर पर दो ब्रिटिश अधिकारियों रैण्ड और ले. एम्हर्स्ट की हत्या कर दी थी।
*इस हत्याकाण्ड के बाद दोनों भाईयों को गिरफ़्तार कर फांसी दे दी गयी।
*इस हत्याकाण्ड के बाद दोनों भाईयों को गिरफ़्तार कर फांसी दे दी गयी।
*तीसरे भाई वासुदेव चापेकर ने गणेश शंकर द्रविड़ की हत्या कर दी, जिसने दामोदर और बालकृष्ण को गिरफ़्तार करवाया था।
*तीसरे भाई वासुदेव चापेकर ने गणेश शंकर द्रविड़ की हत्या कर दी, जिसने दामोदर और बालकृष्ण को गिरफ़्तार करवाया था।

Revision as of 13:57, 2 January 2014

चापेकर बन्धु के रूप में 'दामोदर चापेकर' (1870-1897 ई.), 'बालकृष्ण चापेकर' (1873-1899 ई.) और 'वासुदेव चापेकर' (1870-1899 ई., भारतीय इतिहास में प्रसिद्ध हैं। ये तीनों भाई बाल गंगाधर तिलक से अत्यधिक प्रभावित थे।

  • महाराष्ट्र के इन तीनों चापेकर बन्धुओं ने बाल गंगाधर तिलक के प्रभाव में आकर देश की स्वतंत्रता के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी थी।
  • बालकृष्ण तथा दामोदर चापेकर ने जून, 1897 ई. में महारानी विक्टोरिया के 'हीरक जयन्ती' समारोह के अवसर पर दो ब्रिटिश अधिकारियों रैण्ड और ले. एम्हर्स्ट की हत्या कर दी थी।
  • इस हत्याकाण्ड के बाद दोनों भाईयों को गिरफ़्तार कर फांसी दे दी गयी।
  • तीसरे भाई वासुदेव चापेकर ने गणेश शंकर द्रविड़ की हत्या कर दी, जिसने दामोदर और बालकृष्ण को गिरफ़्तार करवाया था।
  • वासुदेव चापेकर को 8 मई, 1899 ई. में गिरफ़्तार करके फांसी दी गयी।
  • तीनों भाईयों ने भारत की आज़ादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान कर दिया और सदा के लिए अमर हो गये।


पन्ने की प्रगति अवस्था
आधार
प्रारम्भिक
माध्यमिक
पूर्णता
शोध

टीका टिप्पणी और संदर्भ

संबंधित लेख

  1. REDIRECTसाँचा:स्वतन्त्रता सेनानी